अमेरिका के फर्टिलिटी सेंटर में महिलाओं से धोखा, डॉक्टर ने 14 बार इस्तेमाल किया अपना ही स्पर्म
नई दिल्ली. आज के समय में वैसे लोग जो मां-बाप नहीं बन पाते, उनके लिए फर्टिलिटी सेंटर (IVF) किसी वरदान से कम नहीं हैं. वे बड़ी आशाओं और उम्मीदों के साथ वहां जाती हैं कि उनकी गोद अब खाली नहीं रहेगी और जल्द ही घर में बच्चों की किलकारियां गूंज उठेंगी.
दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो ऐसे लोगों के लिए ये फर्टिलिटी सेंटर उम्मीद की किरण बनकर आए हैं, लेकिन एक डॉक्टर ने इस पेशे का गलत इस्तेमाल करते हुए अपने क्लीनिक में आई महिलाओं को अपने ही स्पर्म के जरिए प्रेग्नेंट कर दिया. इतना ही नहीं, डॉक्टर ने ये सब कुछ किसी परिवार को बताए बिना किया.
इस डॉक्टर का नाम पॉल जोंस (Dr Paul Jones) है और वे काफी लंबे समये से यह काम कर रहे थे, लेकिन अब उसकी इस हरकत पर पर्दा उठ गया है. एक टीवी शो में डॉ जोंस के इन गलत कामों को उजागर किया गया.
वेबसाइट डेली स्टार के मुताबिक, दो बहनों माइया सिमंस (Maia Simmons) और ताहनी स्कॉट (Tahnee Scot) ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है.
ऐसे हुआ डॉक्टर की हरकतों का खुलासा
इन दोनों बहनों ने एक न्यूज कार्यक्रम The Truth About My Conception में डॉक्टर के बारे में सारी पोल खोली. इन दोनों के ही पिता जॉन इमंस एक गंभीर बीमारी टेस्टिकुलर कैंसर का सामना कर रहे थे. इसका सीधा मतलब यह था कि जॉन और उनकी पत्नी चेरिल इमंस बच्चे पैदा करने में सक्षम नहीं थे.
इसी वजह से उन्हें फर्टिलिटी सेंटर का रुख करना पड़ा और साल 1980 व 1985 में वे आरोपी डॉ पॉल के पास गए थे, जिनका अमेरिका के वेस्टर्न कॉलरेडो में क्लीनिक है. लेकिन यहां उस डॉक्टर ने चेरिल को बिना बताए ही उनके अंदर खुद का स्पर्म दे दिया.
कुल 14 बार डॉक्टर ने इस्तेमाल किया था अपना स्पर्म
साल 2018 दोनों युवती से Ancestry.com पर किसी व्यक्ति ने संपर्क किया था. उसने एक संदेश में लिखा था, ऐसा लगता है कि हम आपस में भाई-बहन हैं. मेरे पिता वेस्टर्न कॉलरेडो में स्पर्म डोनर है. मैंने अपनी तरह दिखने वाले 3 और भाई-बहनों को ढूंढ लिया है.’
दूसरी ओर, दोनों बहनों माइया और ताहनी ने जेनेटिक टेस्टिंग वेबसाइट के जरिए अब तक अपने 12 ऐसे भाई बहनों को खोज निकाला है. मतलब कि आरोपी डॉ पॉल ने कुल मिलाकर 14 बार अपना स्पर्म इस्तेमाल किया था.
इस जानकारी के बाद से माइया काफी नाराज है. उसने कहा कि इस घटना के बारे में मुझे 38 सालों के बाद पता चला है. गौरतलब है कि इन्हीं हरकतों की वजह से साल 2019 में डॉ जोंस का मेडिकल लाइसेंस जब्त कर लिया गया था.