Uttar Pradesh

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने पर की जा रही अवैध धन की मांग

लखीमपुर खीरी।
योगी सरकार मे सरकारी कर्मचारी भी घूस व कमीशन लेने मे कम नहीं है, एक तरफ योगी सरकार घूस लेने वालों पर कार्यवाही का आदेश देती है तो वहीं कार्यालय सहायक संभागीय परिवाहन अधिकारी घूस लेने मे पीछे नहीं हटते, ताज़ा मामला लखीमपुर खीरी के कार्यालय सहायक संभागीय परिवाहन अधिकारी ऑफिस मे एक पत्रकार ने अपना लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मुख्य ए आर टी ओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह के पास फ़ाइल लेकर मार्क करवाने के लिए गया।

तो ए आर टी ओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह ने उससे नाम पूछा और फिर उससे बोले की सात नंबर काउंटर पर जाओ और अपने सारे डॉक्यूमेंट चेक कराओ। यह सुनकर पत्रकार सात नंबर काउंटर पर गया और अपने सारे डॉक्यूमेंट चेक करवाया। जिसके बाद उस पत्रकार से आठ सौ रुपयों की मांग की गयी।

जिस पर पत्रकार ने आपत्ति जताई तो पैसे की मांग करने वाले ने बताया की ये पैसे यहाँ पर पड़ते है। इस बात पर पत्रकार ने कहा की अभी इसकी शिकायत अधिकारियो से करेंगे तो उसने यह बोला की सब यहाँ अपना अपना हिस्सा लेते है। यहाँ पर सभी कार्य कमीशन पर ही होते है।

इसकी शिकायत के लिए जब पत्रकार ने ए आर टी ओ प्रशासन आलोक कुमार सिंह से बात तो आलोक कुमार सिंह ने बताया की ऐसा कुछ भी नहीं है। और आपसे जिसने भी पैसों की मांग की है। आप लिखित मे प्रार्थना पत्र दीजिये। उसके खिलाफ कार्यवाही होंगी।

सूत्रों के अनुसार यह पता चला है की यदि कोई भी व्यक्ति अपना कम्पलीट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाता है, तो जिसके द्वारा लइसेंस बनवाया जाता है उसको (4800) सौ रूपये कमीशन सहित देने पड़ते है।

जिसमे ऊपर तक के सभी को पैसे देने पड़ते है। जबकि लर्निंग लाइसेंस की ऑनलाइन फीस (350) तीन सौ पचास रुपये ही है। और लाइट ड्राइविंग लाइसेंस की ऑनलाइन फीस (1000) एक हजार रूपये है। तो कुल मिलाकर (1350) तेरह सौ पचास रूपये होते है।

मगर यहाँ पर हर एक व्यक्ति को एक ड्राइविंग लाइसेंस पर चार हजार आठ सौ रूपये देने पड़ते है। जिसमे तेरह सौ पचास रूपये ऑनलाइन फीस और दो हजार एक सौ रूपये दरबारी वाले तथा बाकी के पैसे बीच वाले लेते है। वाह रे वाह कैसे होता है इन पैसों मे बन्दर बाँट।

यदि कोई गरीब व्यक्ति अपना पेट पालने के लिए किसी की गाड़ी चलता है। तो पहले उससे ड्राइविंग लाइसेंस माँगा जाता है। और यही ड्राइविंग लाइसेंस अगर कोई गरीब व्यक्ति बनवाना चाहता हो तो इतनी बड़ी घूस कहाँ से दे पायेगा। अब देखना यह होगा कि इस मामले मे उच्चाधिकारी क्या कार्यवाही करते है या नहीं, या ऐसे ही घूस खोरों का कार्य चलता रहेगा।

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