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‘महाभारत’ के ‘कृष्ण’ नितीश भारद्वाज की टूटी शादी, बोले- तलाक मौत से ज्यादा दर्दनाक…

नई दिल्ली : मनमोहक मुस्कान के मालिक और बीआर चोपड़ा के ऐतिहासिक शो ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण का किरदार निभाकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाने वाले एक्टर नीतीश भारद्वाज (Nitish Bharadwaj) ने12 साल बाद पत्नी स्मिता गाटे चंद्रा से अपनी राहें जुदा कर ली हैं। शादी टूटने के बाद अब एक्टर ने ‘तलाक’ को लेकर अपना अनुभव बताया है।

उन्होंने अपने बयान में ‘तलाक’ को सबसे दर्दनाक कहा कहा। इसके साथ ही उन्होंने शादी टूटने के निम्न कारणों का बताते हुए कहा कि तलाक में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को ही होता है। इसलिए इतने बड़े फैसले में बच्चों के हित को ध्यान में रखकर ही फैसला करना चाहिए।

दो शादी में चार बच्चों के पिता हैं नीतीश भारद्वाज

गौरलतब है कि नीतीश भारद्वाज की दो शादी हुई, लेकिन दोनों ही असफल साबित हुईं। नीतीश भारद्वाज इन दो शादियों में 4 बच्चों के पिता है। नीतीश की पहली शादी 27 दिसंबर 1991 को ‘फेमिना’ पत्रिका के संपादक रह चुके विमला पाटिल की बेटी मोनीषा पाटिल से हुई थी। हालांकि साल 2005 में इनका तलाक हो गया था। इस कपल से दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी हैं।

मोनीषा को तलाक देने के तीन साल बाद साल 2008 में नीतीश ने अपनी दोस्त स्मिता गेट से दूसरी शादी की और 12 साल के बाद साल 2019 में दोनों का तलाक हो गया। मालूम हो कि स्मिता मध्य प्रदेश कैडर से 1992 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। दोनों को शादी दो जुड़वां बेटियां हैं।फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए दी अर्जी

लाइफ में अपनी दोनों ही शादी टूटने को लेकर नीतिश ‘बॉम्बे-टाइम्स’ से बातें किया और अपनी फीलिंग शेयर किया है। इंटरव्यू में उन्होंने कहा , “हां, मैंने सितंबर 2019 में मुंबई के फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी थी। मैं उन कारणों में नहीं पड़ना चाहता कि, हम अलग क्यों हुए। मामला अभी कोर्ट में है। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि, कभी-कभी तलाक मौत से ज्यादा दर्दनाक हो सकता है, क्योंकि आप एक कटे हुए कोर के साथ रहते हैं।”

शादी में यकीन हैं, लेकिन मैं बदकिस्मत हूं

नीतिश आगे शादी टूटने के कारणों के बारें में बताते हुए कहते हैं कि उन्हें शादी में काफी विश्वास है, लेकिन वह इस मामले में काफी बदकिस्मत रहे हैं। वह कहते हैं, “मैं इसमें दृढ़ विश्वास रखता हूं, लेकिन मैं बदकिस्मत रहा हूं। आमतौर पर विवाह टूटने के कारण अनंत हो सकते हैं, कभी-कभी यह एक अडिग रवैये या करुणा की कमी के कारण होता है या यह अहंकार और आत्मकेंद्रित सोच का परिणाम हो सकता है।

लेकिन जब परिवार टूटता है, तो सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को ही होता है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है कि, उनके बच्चों को न्यूनतम क्षति हो।”

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