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रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष /सी ई ओ की सख्ती से मचा उ. रे लखनऊ मंडल में हङकंप, डी. आर. एम. लखनऊ एवं सी. आर. बी. /सी. ई. ओ. की सक्रियता बना चर्चा का विषय

ओ. पी सिंह वैस

लखनऊ / उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल जो भ्रष्टाचार को लेकर पूरे रेलवे बोर्ड में चर्चा का विषय बन गया है तो वहीं रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष /सी ईओ विनय त्रिपाठी एवं उ. रे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक एस. के सपरा जी ने इन भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाना शुरु कर दिया है जिससे पूरे लखनऊ मंडल में ईमानदार छवि के रेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों में इस बात को लेकर चर्चा शुरु हो गयी है कि क्या अब उ. रे लखनऊ मंडल से भ्रष्टाचार एवं नेतागिरी खत्म होने की एक किरण दिखाई दे रही है।

मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ मंडल ऐसा मंडल है जहां यूनियनों की तानाशाही एवं अधिकारी नेता गंठजोङ सदैव हावी रहा। तमाम रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी आये और चले भी गये लेकिन कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में निष्क्रिय रहे और जो भी अधिकारी आते थे तो महा प्रबंधक बङौदा हाऊस से लेकर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मंडल रेल प्रबंधक तक इन तथा कथित भ्रष्ट नेताओं के आगे नतमस्तक हो जाते थे।

अपवाद स्वरुप कमलेश गुप्ता, चाहतेराम एवं आशिमा सिंह जैसी तेज तर्रार अधिकारी जरुर आये लेकिन इन भ्रष्ट नेताओं के सामने नगण्य साबित हुए चूंकि कांग्रेस की सरकार थी, के शासन में ये नेता दोंनों हाथों से लडडू खाते थे और अधिकारी अगर लगाम लगाने की कोशिश भी करता तो ये सब इतने मनबढ थे कि मुर्दाबाद का नारा लगाते और धमकी देते।

रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि लखनऊ मंडल में जब विभागीय परीक्षा होती थी तो अधिकारी नेताजी से परमीशन लेता था और उनके गुर्गो को एक मोटी रकम लेकर परीक्षा में अयोग्य कर्मियों को उत्तीर्ण करवा देता था। उदाहरण स्वरुप अभी लगभग दो वर्ष पहले एक सीडीपीओ आया था वह इतना मुरीद हो गया कि नेता जी के खास बिरादरी के एक नेता जिसका नाम घनश्याम पांडेय बताया जाता है उसको रिटायर मेंट के दो दिन पहले 5400/-ग्रेड पे देकर रिटायर कर दिया इसके बाद जेई की परीक्षा में खुलेआम अवैधानिक ढंग से अपने अधिकार का उपयोग किया। परन्तु हो हल्ला मचने पर् परीक्षा निरस्त हो गयी ये तो एक बहुत मामूली उदाहरण है।

सूत्रों के अनुसार जबसे नये मंडल रेल प्रबंधक आये हैं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है और हित निरीक्षक, एवं लोको निरीक्षक जैसी विभागीय परीक्षा में धांधली को लेकर रोंक लग गयी है। चूंकि मंडल रेल प्रबंधक के बारे में एक चर्चा काफी प्रचलित थी कि एक नेता अपने को मंडल रेल प्रबंधक का खास बताता है लेकिन छानबीन करने पर यह अफवाह बेबुनियाद निकली। अब देखना ये है कि इन अधिकारियों का डंडा भ्रष्टाचारियों पर कितना कारगर साबित होता है।

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