सोनौली कोतवाली क्षेत्र में सैकडों एकड़ उपजाऊ भूमि रोहिन नदी में हो चुकी है विलीन

हिन्दमोर्चा न्यूज़ महराजगंज/ रतनपुर.
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वर्ष 2008-09 में तीन जगहों पर लगाया गया था पत्थर का ठोकर.
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उपजाऊ भूमि के साथ साथ सड़क भी रोहिन नदी में विलीन हो चुकी है. ग्रामीण,
आपको बता दें कि बुटवल के पहाड से निकली रोहिन नदी तबाही मचाने में मशहूर हो चुकी है। नेपाल से निकली रोहिन नदी सोनौली कोतवाली क्षेत्र के श्यामकाट के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है।
श्यामकाट से होकर, सियरहियां, सेमरा, खजुरिया, कोनघुसरी, टिसुरी, लक्ष्मीनगर, परसा, विषनाथपुर, पथरहवा, पचडिहवा, हरलालगढ, गंगापुर, मोतीपुर, पुरूषोत्तमपुर, सिंहपुर, सिरसिया, कल्याणपुर, शीशमहल, लालपुर, घटवा,मरचहवा, जवहवा, शाहपुर होते हुए रोहिन नदी लक्ष्मीपुर क्षेत्र में प्रवेश करते हुए जंगल के रास्ते रोहिन नदी में मिल जाती है।
सोनौली क्षेत्र के सेमरा, खजुरिया, टिसुरी, लक्ष्मीनगर में विगत कुछ वर्षों में कटान की रफ्तार इतनी तेज हुई कि किसानों की 150 एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि रोहिन नदी में बिलीन हो चुकी है।
वर्ष 2008-09 में तीन जगहों पर लगाया गया था पत्थर का ठोकर रोहिन नदी के कटान को रोकने के लिए वर्ष 2008-09 में राजकुमार के घर के पास, रामजनम के खेत के पास, रामवृक्ष के खेत के पास पत्थर का ठोकर बाढ खण्ड व सिचाई विभाग ने लगवाया था लेकिन पानी के बेग से सारे ठोकर ध्वस्त हो गए थे।
राजकुमार,किशोर,सुग्रीम,जालिम,रामवृक्ष, राजेन्द्र, शंकर,रामजनम,दुर्गाप्रसाद,छोटक,रामसेवक, ओमप्रकाश,खदेरू, रविन्द्र, कन्हई आदि ग्रामीणों का कहना है कि उपजाऊ भूमि के साथ साथ नदी के किनारे लक्ष्मीनगर, सेमरा,खजुरिया, टिसरी तक बनी सड़क रोहिन नदी में विलीन हो चुकी है।