Lucknow

NR लखनऊ मंडल में नये खुलासे , यूनियन नेता ठेकेदार मिलकर कर रहे हैं ठेका , आधा दर्जन अप्रत्यक्ष रुप से यूनियन नेता शामिल रेलवे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

लखनऊ / उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का ठेका भी यूनियन के नेताओं के संरक्षण में रेलवे बोर्ड, बङौदाहाऊस से लेकर मंडल के अधिकारियों का संरक्षण, रेलमंत्रालय एवं पीएमओ आफिस बना शोपीस। प्राप्त विवरण के अनुसार लखनऊ मंडल में यूनियन के तथाकथित नेताओं के जालसाज़ी से लेकर तरह -तरह के कारनामें उजागर हो रहे हैं लेकिन रेलमंत्री से लेकर तमाम वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साध रखे हैं इस लिए कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव आसानी से जीतकर सत्ता हासिल करने का मंसूबा फिर सफल हो सके।

रेलवे के अधिकृत सूत्रों ने बताया कि उत्तर रेलवे के मंडल आफिस से लेकर आलमबाग स्टोर, आलमबाग डीजलशेड अथवा कैरिज एंड वैगन कारखानों में जितने भी टेंडर हो रहा है सबमें कहीं न कहीं यूनियन के दबंग नेता दूसरे पारिवारिक सदस्यों के नाम पर ठेका चला रहे हैं और अधिकारी चुप्पी साध रखे हैं।

सबसे मजे की बात तो ये है कि ये यूनियन के नेता कभी डियूटी भी नहीं करते हैं और हाजिरी लग जाती है अगर इनकी 10 वर्ष की वर्किंग रिपोर्ट रेलवे खंगाले तो सारी जालसाज़ी सामने आ जायेगी और ये सब जेल की चहरदीवारी के पीछे पहुंच जायेंगे, साथ ही साथ ये नेता और इनके गुर्गे आन लाईन हाजिरी के सारे सिस्टम में ध्वस्त कर रखे हैं

जब कि यही नेता रेल अधिकारियों से मिलकर आन लाईन बायोमेट्रिक्स मशीनें भी खरीदवा रखा है जिसमें अच्छा खासा कमीशन भी लिया हुआ है। एक लोको निरीक्षक अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया कि कुछ ऐसे मुख्य लोको
निरीक्षक हैं जो सप्ताह में एक दिन ही आते हैं और पूरे हफ्ते की हाजिरी लगा देते हैं और संबधित अधिकारीआंखें बंद कर रखी है.

आप देख सकते हैं कि CMS से निकलने वाले माईलेज को बिना हस्ताक्षर किये पूरा का पूरा वेतन
आहरण कर रहे हैं अगर ईमानदारी से चेक किया जाये तो अधिकतर कर्मचारियों का वेतन नियम से अधिक हो रहा है। बताया जाता है कि कर्मचारियों का इस कदर दुरुपयोग हो रहा है कि आलमनगर में स्थापित डीजल इंजन में तेल भरने की प्रक्रिया पांच महीनें से बंद है लेकिन अभी भी सरकारी और संविदा कर्मियों हाजिरी दी जा रही है और प्रतिमाह दस लाख रुपयों से अधिक रेलवे का नुकसान हो रहा है.

दूसरी तरफ ट्रेन संचालन में कर्मचारियों के अभाव में बाधा उत्पन्न हो रही है क्यों कि इनको आन लाईन नहीं दिखाया गया है। उक्त रेलवे कर्मी ने बताया कि आफिसों में लोको निरीक्षकों के साथ सहायक की भी नियुक्ति हुई है इतने लोको निरीक्षक हो गये हैं कि एक -एक कार्य के लिए तीन -तीन निरीक्षक लगे हुए हैं और इन लोको निरीक्षकों का कहना है कि साहब जो चाहेंगे वही होगा और संबधित अधिकारी के चलते आफिस में लगकर माईलेज भी ले रहे हैं और टेंडर में अवधान पैदा करके अच्छा खासा कमीशन भी ठेकेदारों से ऐंठ रहे हैं.

अधिकारियों को भी लाभ पहुंचाने का कार्य करने में सक्रिय बताये जाते हैं। करोङों की संपत्ति बनाने में मंडल का एक चर्चित यूनियन का प्रमुख नेता जी, एवं मदनगोपाल मिश्रा, रायबरेली का एक नेता मुख्य हितनिरीक्षक, सुधीरसक्सेना जिन पर फर्जी तीन इंक्रीमेंट लगने का आरोपी भी है औ़र इसके साथ ही एक मंडल का चर्चित एवं दबंग निरीक्षक राजेश महाजन, संजय श्रीवास्तव, आदि चर्चित नाम बताये जाते हैं.

सूत्रों के अनुसार सुधीर सक्सेना के सर्विस रिकार्ड में दर्ज है और इनसे वरिष्ठ राजेश श्रीवास्तव जो 2013 में रिटायर भी हो चुके हैं अपने अधिकार की लङाई लङ रहे हैं लेकिन इनको आज तक न्याय नहीं मिल सका है। दूसरी तरफ सुरेन्द्र मिश्रा जो सप्ताह में एक दिन आता है और दशकों से एक ही सीट पर मलाई काट रहा है और साथ ही साथ एक कार्य के लिए तीन -तीन इंस्पेक्टरों को भी लगा रखा है.

इनके संरक्षण में सैकङों सरकारी क्वार्टरों को भी कंडम दिखाकर किराये पर चलाये जाने का समाचार मिला है। रनिंग स्टाफ मनोज कुमार श्रीवास्तव जैसे लोगों का आन लाईन नहीं करने से सैकङों की संख्या में कर्मचारियों को घुमाकर वेतन दिया जा रहा है और कुछ यूनियन के लोग एक लिंक पर ही कब्जा कर रखा है.

सुधीर कुमार सक्सेना तो करीब तीन दशकों से एक ही सीट पर मलाई काटकर करोङपति हो चुका है रनिंग रुम में ठेकेदारों को फर्जी ढंग से भुगतान कराये जाने का समाचार मिला है और ठेकेदारों ने एक नायाब तरीका निकाल रखा है कि प्रति माह संविदा कर्मियों को बदलता रहता है और आधे से अधिक कर्मियों का वेतन खुद जेब में रख रहा है और आज तक किसी भी कर्मचारियों का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराया गया है और न तो कोई कार्ड उपलब्ध कराया गया है।

इतना भ्रष्टाचार होने के बावजूद रेलमंत्रालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय कोई कदम नहीं उठा रहा है क्योंकि अगर भ्रष्टाचार पर लगा लगी तो लोकसभा चुनाव पर असर पङेगा भाजपा सरकार गोदी मीडिया और चैनलों पर तरह -तरह से भ्रष्टाचार का जीरो टारलेंस की बातें करती है।

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