NR लखनऊ मंडल में नौकरशाहों के लिए नियम जाए भाड़ में, मैकेनिकल ओएण्डएफ विभाग में चल रहा घोटालों का खेल

लखनऊ । उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल बना चरागाह अधिकारियों के लिए दुधारू गाय साबित होता मैकेनिकल ओएंडएफ विभाग, करोङों का खेल कर चुक एक पूर्व सीडीएम्ई। रेलमंत्री एवं रेलवे बोर्ड के निर्देशों को दिखाया भ्रष्टाचार का आईना।
प्राप्त विवरण के अनुसार उरे लखनऊ मंडल का मैकेनिकल ओएंडएफ ऐसा विभाग है जहां नियुक्ति पाने के लिए अधिकारियों को बोली लगानी पङती है और जिस अधिकारी की पहुंच नई दिल्ली मुख्यालय तक है तो उसको कामयाबी जल्द ही मिल जाती है और तीन से चार वर्ष में करोङपति बन जाता है।
उदाहरण स्वरुप इसके पहले एक ऐसा चर्चित अधिकारी रहा जिसकी पकङ रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष (CEO) के आफिस में तैनात एक अधिकारी से था और उसके खिलाफ मीडिया में खबरें चलती रही लेकिन कोई प्रभाव नहीं पङा और मंडल के अधिकारी नतमस्तक हो गये तथा अपनी पहुंच के चलते वह लखनऊ लोको में ही नियुक्ति करवा रखा है।
रेलवे के एक विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार आलमबाग डीजलशेड में लगभग 200 बिजली के मोटर स्क्रैप में पङी है जिसमें प्रति मोटर में 200 से 250 किलो तांबा होता है और इसके साथ -साथ सैकङों टन एल्यूमीनियम, लोहा एवं पीतल है, इसके बावजूद उक्त अधिकारी की क्या मंशा है क्यों नहीं नीलामी करायी जा रही है।
आधा दर्जन कर्मचारियों ने बताया कि इसकी कीमत लगभग 50 करोङ से अधिक ही होगा जबकि नियमानुसार कोई भी स्क्रैप को रोंका नहीं जा सकता क्योंकि इससे जो पैसा आयेगा उससे रेलवे का विकास होगा ले लखनऊ मंडल में उल्टी गंगा बह रही हैं ये सब देश का विकास नहीं बल्कि अपने विकास के लिए सारे हथकंडे अपना रखे हैं।
सूत्रों के अनुसार यहां मृतक कर्मचारियों के नाम से भी वेतन वसूला जाता था जिसको विजिलेंस भी जांच कर चुकी है यह वेतन ‘लिव फ्यूल’स्टोर टेंडर इत्यादि में साथ ही साथ फर्जी टीए तथा टयूशन फीस सभी में जमकर घोटाला किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार लोको पायलटों को फर्जी हाजिरी देकर माईलेज दिया जा रहा है और किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं होता क्योंकि ये सब सशंकित रहते हैं कि किसी दिन जरुर जांच के घेरे में आयेंगे।सूत्र ने बताया कि लगभग छह माह से बिना अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर से ही बिल पास हो रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार इसका प्रमुख सरगना एक दबंग एवं मनबढ किस्म का सीओएस बताया जाता है ये खुलेआम धमकाकर वेतन बनवाता है क्योंकि जिसको कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है और उसको वेतन बनाने में लगाया गया है और इसमें दो दबंग किस्म के रेल कर्मचारी शामिल बताये जा रहे हैं।
आइए चलते हैं लखनऊ मंडल के सबसे काबिले तारीफ मैकेनिकल विभाग के उस अधिकारी के पास जो ईमानदारी का तमगा लगा रखा है और पूरे मंडल में चर्चा का बिषय बना हुआ है एंव अपने चहेते कर्मियों को मनमाफिक आफिसों में लगा रखा है, खुलेआम शिकायत होने के बावजूद इन कर्मियों के खिलाफ नहीं कर रहा कोई कार्रवाई।
रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि जबसे ये अधिकारी आया है भ्रष्टाचार में आये दिन इजाफा हो रहा है और एक लेटर ईशू हुआ है जो पोल खोलने के लिए काफी है आफिस में लगे हुए सहायक लोकोपायलट को अधिकारियों की मिलीभगत से मुख्य लोकोनिरीक्षक अजयकुमार मौर्य, ‘साधु’ अजयप्रकाशगौङ के साथ दीपककुमारसिंह, सौरभ यादव, राजेश्वर विश्वकर्मा लोको पायलट को लगाया गया है।
सूत्रों के अनुसार जो कार्य पहले एक बाबू जिसका वेतन मात्र एक लाख रुपये से भी कम था करता था,उसी कार्य को छः लोगों को लगाया गया है और इन लोगों का प्रतिमाह वेतन 7 से 8 लाख रुपया रेल विभाग भुगतान कर रहा है लेकिन गजब का है ये अधिकारी कि अभी तक इनके द्धारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है और तो और मेडिकल अनफिट कर्मियों को परेशान करने के लिए सीट से हटाकर उक्त अधिकारी द्धारा खानापूर्ति की जा रही है.
इसमें अधिकारियों का चहेता जो केवल साहब को खुश करके विजय कुमार नामक कर्मी आलमनगर में बैठकर वेतन आहरण कर रहा है और अभी तक नहीं हटाया गया । सबसे मजे की बात तो ये है कि एक मुख्य लोको निरीक्षक जो लगभग दो वर्षो से मेडिकल में अपनी पहुंच के चलते अनफिट हुआ है और घर बैठकर वेतन ले रहा है और इनको अभी तक मंडल आफिस में नियुक्ति नहीं दी गई ।
सूत्रों के अनुसार सीडीएम्ई ओएंड एफ ने इनकी नियुक्ति कर दिया है जबकि ये उक्त अधिकारी के क्षेत्र से बाहर बताया जाता है और 35 वर्षो से एक ही सीट पर मलाई काट रहे हैं। इसी के साथ ही सुधीर सक्सेना जो कि अवैध ढंग से तीन -तीन इंक्रीमेंट लेने का आरोप इन पर लग चुका है और इसकी जांच का आदेश भी हो चुका है चूंकि ये यूनियन का कमाऊ पूत है इसलिए इसका बाल बांका आज तक नहीं हुआ।
इसी तरह से एक चर्चित नाम है सुरेंद्र मिश्रा जो कि लोको आफिस इंचार्ज हैं दशकों से एक ही सीट पर लगा हुआ है और प्रेमचंद्र प्रसाद इत्यादि मंडल के क्ई लोग लगे हैं जो रेलवे को कंगाल करने पर लगे हैं और गजब का है लखनऊ मंडल का अधिकारी जो कानों में तेल डाले पङा है। उरे लखनऊ मंडल में कार्मिक विभाग से लेकर इंजीनियरिंग एवं कामर्शियल विभाग जहां पैसों की बौछार होती है और एक मामूली क्लर्क करोङपति हो जाता है
गत दो वर्ष पूर्व मुकेशबहादुर सिंह सीडीपीओ के पद पर चार वर्ष तक तैनात रहे और लाखों का घोटाला करके दिल्ली चला गया यूनियन के एक नेता घनश्याम पांडेय को रिटायरमेंट के दो दिन पहले 5400/ ग्रेडपे में पदोन्नति कर दिया था। और इसी पैसों के चक्कर में सी.डीसीएम (आईआरटीएस) अधिकारी को सीबीआई ने रंगे हाथ गिरफ्तार करके जेल भेजा था ये तो एक मामूली उदाहरण है।