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यूपी में आज भी मोदी ही हैं जीत का ‘फुलप्रूफ’ फार्मूला

अजय कुमार,लखनऊ

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के भारी-भरकम नेताओं और बड़ी-बड़ी रैलियों के बाद भी भाजपा के लिए 2022 की लड़ाई आसान नहीं लग रही है.समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव लगातार बीजेपी को टक्कर दे रहे हैं. सपा प्रमुख हर उस मुद्दे को हवा दे रहे हैं,ंजिससे भाजपा को नुकसान हो सकता है. इसी के साथ अखिलेश ने समाजवादी सरकार बनने पर शहरी उपभोक्ताओं को 300 यूनिट और गांव में सिंचाई के लिए फ्री बिजली देने का भी दांव चल दिया है.इससे पूर्व आम आदमी पार्टी ने उसकी सरकार बनने पर तीन सौ यूनिट फ्री बिजली दिए जाने की बात कही थी,लेकिन अखिलेश के दावें में इस लिए दम लगता है क्योंकि भाजपा के बाद सपा ही सत्ता की दौड़ में आगे दिखाई दे रही है.

कारसेवकों पर गोली चलाने को सही ठहराने वाले सपा के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव से इतर अखिलेश यादव ने तो बदली सियासी हवा को देखकर यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भगवान राम का जो मंदिर बन रहा है,यदि उनकी(अखिलेश की) सरकार होती तो मंदिर निर्माण का काम पूरा हो चुका होता.
अखिलेश लगातार इस कोशिश में लगे हैं कि किस तरह से बीजेपी के पक्ष में हो रहे हिन्दू वोटों के धु्रवीकरण को रोका जा सके. इतना ही नहीं सपा प्रमुख बीजेपी की हर चाल का जबाव भी दे रहे हैं,जो समाजवादी पार्टी के लिए खबरे की घंटी साबित हो सकती है,

इसी लिए जब इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापा मारा गया तो अखिलेश यह साबित करने में जुट गए कि पीयूष से उनका या उनकी पार्टी का कोई लेनादेना नहीं है,बल्कि पीयूष तो बीजेपी का ही करीबी है.बाद में जब सपा एमएलसी और कन्नौज के एक और इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन के यहां आयकर का छापा पड़ा तो अखिलेश इसे केन्द्र सरकार द्वारा समाजवादियों को डराने के लिए उठाया गया कदम बताने लगे.

चुनावी रण में अखिलेश काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं, इसी लिए वह सबसे ज्यादा हमला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कर रहे हैं. उनके द्वारा योगी सरकार के हर फैसले का ‘सियासी पोस्टमार्टम’ किया जा रहा है. योगी को प्रदेश के लिए अनुपयोगी बताना भी इसी कड़ी का हिस्सा है.

दरअसल, अखिलेश यादव 2017 में मिली हार से सबक लेते हुए यह नहीं चाहते हैं कि 2017 की तरह 2022 का चुनाव भी अखिलेश बनाम मोदी के बीच का मुकाबला नहीं बन जाए,जिससे सपा को नुकसान ही नुकसान उठाना पड़ा था. ऐसा इसलिए है क्योंकि मोदी का चेहरा आज भी किसी भी चुनाव में जीत का ‘फूलपू्रफ फार्मूला’ माना जाता है। इसीलिए सपा प्रमुख उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को ‘अखिलेश बनाम योगी’ के बीच का मुकाबला बनाना चाहते हैं.इससे समाजवादी पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का भी फायदा होगा, क्योंकि करीब 05 फीसदी वोटर ऐसे जरूर होते हैं जो हमेशा से सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ मतदान करते हैं. यह पैटर्न हर चुनाव में देखने को मिलता है.

इस बात का अहसास बीजेपी को भी है,इसीलिए वह सपा प्रमुख से अलग राह पकड़कर यूपी की जंग, मोदी का चेहरा आगे करके जीतना चाहती है. इसकी वजह पर जाया जाए तो समाजवादियों को पता है कि यूपी में 2014 से मोदी का सिक्का चल रहा है. मोदी यूपी में अपने बल पर बीजेपी को तीन बड़े चुनाव जिता चुकी है,इसमें दो लोकसभा और एक विधान सभा का चुनाव शामिल है. 2014 का लोकसभा चुनाव तो मोदी ने काफी विपरीत हालात में बीजेपी को जिताया था, उस समय यूपी में बीजेपी की सियासी जमीन काफी ‘बंजर’ नजर आती थी.

यूपी में जब भी चुनाव होता तो सपा और बसपा को ही सत्ता का दावेदार माना जाता था,लेकिन अब बसपा हासिये पर चली गई है और भाजपा ने समाजवादी पार्टी को भी पीछे धकेलते हुए यूपी में बड़ी बढ़त बना ली है,लेकिन अखिलेश ने हार नहीं मानी है,वह छोटे-छोटे दलों को मिलाकर बीजेपी को चुती दे रहे हैं. अखिलेश की तेजी के चलते यूपी में सत्ता की लड़ाई काफी रोचक दिखाई दे रही है. यूपी में बीजेपी की सरकार बची रहे इसके लिए लिए पार्टी आलाकमान ने अपने सबसे बड़े महारथी मोदी को फ्रंट पर खड़ा कर दिया है.

अगले दो-ढाई महीनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरे प्रदेश को अपनी सभाओं के माध्यम से मथने जा रहे हैं, मोदी की अभी तक प्रदेश में कई सभाएं हो चुकी हैं. संभवता आचार संहिता लागू होने के बाद प्रधानमंत्री की सबसे पहली रैली लखनऊ में ही होगी,इस रैली का असर पूरे प्रदेश की सियासत पर पड़ेगा. यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली चुनावी रैली 9 जनवरी को लखनऊ में वृंदावन विहार कॉलोनी स्थित डिफेंस एक्सपो मैदान में प्रस्तावित है,जिसमें बीजेपी करीब पांच लाख लोगों को जुटाने की तैयारी कर रही है।

मोदी की अभी तक की रैलियों पर नजर डाली जाए तो वह भी इस प्रयास में लगे हैं कि हिन्दू वोटों का बंटवारा नहीं होने पाए.मोदी जहां रैली करते हैं,वहां वह हिन्दुत्व की तो अलख जलाते ही हैं इसके अलावा जिस जिले में रैली होती है, वहां की क्षेत्रीय समस्याओं, वहां के लोगों की धार्मिक आस्था,संस्कृति सब बातों को अपने भाषण में जगह देते हैं और विपक्ष पर जमकर हमला बोलते हैं.वह यह बताना भी नहीं भूलते हैं कि किस तरह से योगी राज में प्रदेश गुंडामुक्त हो गया है,जबकि अखिलेश राज में जंगलराज जैसी स्थितियां थीं, वह यह भी याद दिलाते हैं कि सपा सरकार में करीब 700 साम्प्रदायिक दंगें हुए थे,जिसमें मुजफ्फरनगर का दंगा भी शामिल है.

पश्चिमी यूपी में जब मोदी जाते हैं तो वहां पलायन को मुद्दा बनाते हैं और जब बुंदेलखंड पहुंचते हैं तो हर घर को नल-जल की बात करने लगते हैं. मोदी की रैलियों में भीड भी जमकर आ रही है,इससे भी बीजेपी का विश्वास मजबूत हो रहा है. आज स्थिति यह है कि हर कोई चाहता है कि उनके जिले में मोदी की कम से कम एक रैली जरूर हो जाए. मोदी जिस आत्मीय तरीके से जनता से संवाद स्थापित करते हैं,उसी का फल है कि तमाम सर्वे जो अभी तक योगी सरकार के बनने पर संदेह जता रहे थे, प्रदेश में मोदी की इंट्री के बाद अब कहने लगे हैं कि योगी की सरकार बनना तय है.

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