नारी या पुरुष सशक्तिकरण की अपेक्षा सच्चाई और अच्छाई सशक्तिकरण की ज्यादा अवश्यकता समाज को है
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध से एक ओर जहां चिन्ता होती है वही दूसरी ओर महिलाओं के द्वारा किये जा रहे अपराध भी चिन्ता का विषय है। जब भी किसी महिला के साथ अन्याय होता है तो मुझे बुरा लगता है। किसी मासूम बच्ची के साथ बलात्कार होता है तो मुझे और भी बहुत बुरा लगता है ।अफसोस होता है इंसान की घृणित सोचपर जो जानवरों को भी शर्मिदा करते है।मगर मुझें उससे भी ज्यादा बुरा तब लगता है, जब मैं समाचार में ,टेलीविजन पर देखती हूं कि, किसी महिला ने ऑटो वाले को बिना बात के झापड़ मार दिया? किसी महिला ने अपने पति को मार कर टुकड़े-टुकड़े कर दिए एवं उसे केमिकल डालकर जलाने की कोशिश की?? प्रेम में असफल होकर किसी महिला ने जिम ट्रेनर की हत्या करवा दी ??
महिलाओ के द्वारा किये गये अपराध की खबर जब मेरे कार्यस्थल पर ,पुरुष वर्ग के द्वारा पढ़ा जाता है,एवं इशारों इशारों में महिलाओं को नीचा दिखाया जाता है उस वक्त मुझे बहुत बुरा लगता है। एक महिला ने प्रेम में पड़कर अपने पति की हत्या करवा दी? एक महिला ने ऐसा किया ?एक महिला ने वैसा किया ?तब मुझे बहुत बुरा लगता । तब मुझे लगता है कि, यह नारी सशक्तिकरण का कुपरिणाम है ।
जो महिलाएं अच्छे घरों से होती है शिक्षित और संस्कारी होती है उन महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण का उपयोग अपनेआप को बेहतर बनाने में किया ,समाज में अपनी स्थिति सुधारने में किया।अपनेआप को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया ।किन्तु जो महिलाएं अपराधी और महत्त्वाकांक्षी प्रवृति की होती है उसने नारी सशक्तिकरण का नाजायज फायदा उठाया।निर्भीक होकर मर्यादा तोड़ने में की ?
समाज की स्थिति इन महिलाओं की स्वच्छन्दता के कारण कमजोर होती जा रही है एवं इनसे वैसी महिलाओं को हानि होती है जो एक सभ्य और अच्छी महिला होती है,इनके सपने मिट्टी में मिल जाते है ,इन्हे घर से निकलने में घरवाले पाबंदी लगाते है।खराब महिलाओं के कारण अच्छी महिलाओं का जीवन बर्बाद होता है।
वर्तमान में ऐसी महिलाओं के कारण पुरुषों को पुरूषसशक्तिकरण की आवश्यकता होने वाली है। साथ में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की जगह अब बेटा पढ़ाओ बेटी बचाओ की स्थिति उत्पन्न हो रही है। यह स्थिति हमारे समाज में क्यों बनती जा रही हैं? इसका एक ही कारण है ,हमारे समाज में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हर देश में ,हर कस्बे में ,हर घर में ,अच्छे और बुरे दो तरह के इंसान होते हैं ।
अच्छे लोग हमेशा अच्छाई करते हैं ,और बुरे लोग हमेशा बुराई करते हैं। अच्छे लोग कभी भी बुराई के रास्ते पर जा सकते हैं, मगर बुरे लोग अच्छाई के रास्ते पर आने में आनाकानी करते हैं। जितनी महिलाएं हमारे समाज में अच्छी होती हैं, उतने पुरुष भी अच्छे होते हैं। जितने महिलाएं हमारे समाज में बुरी होती हैं ,उतने ही पुरुष भी बुरे होते हैं। इस कारण से हमारे समाज में समस्याएं देखी जा रही है ,घरेलू हिंसा देखे जाते हैं, बलात्कार, चोरी डकैती, जैसे लूट, धोखाधड़ी ,जैसी समस्याएं देखी जाती हैं ।
तो आप लोग ही बताइए कि सशक्तिकरण किनका होना चाहिए ?? नारी अच्छी भी होती है और बुरी भी होती है तो अगर सशक्तिकरण होती है तो अच्छी नारी का सशक्तीकरण होगा लेकिन जो बुरी औरत है उनका महा सशक्तिकरण हो जाता है जिसका परिणाम हम लोग सब देख रहे हैं और दबी जुबान में नारी सशक्तिकरण का विरोध भी होना शुरू हो चुका है। मुझे लगता है कि नारी सशक्तिकरण की जगह यदि सच्चाई और अच्छाई सशक्तिकरण को बढ़ावा समाज दिया जाए तो बहुत अच्छे परिणाम आ सकते है।
देश ,समाज , शिक्षा, रोजगार, मानवाधिकार,इंसानियत को सशक्त किया जाए निश्चय तो ही हमारे देश से बहुत सारी समस्याएं समाप्त हो जाएगी।बलात्कार छेड़खानी,जैसी समस्या का अंत हो जाएगा।लड़का और लड़की दोनों को अच्छे संस्कार दिए जाए, समझ दी जाए, अच्छाई और बुराई में फर्क करना सिखाया जाए तो निश्चय ही समाज की स्थिति सुधरेगी।
नैतिकता को बढ़ावा दिया जाना हमारे समाज में सबसे ज्यादा जरूरी है क्योकि,कोई भी लड़की जितनी बलात्कार की शिकार होती है उससे ज्यादा लड़को के झासें में आकर शोषण का शिकार होती है क्योकि, सच का ,अच्छे बुरे का ,सही इंसान पहचाने का ज्ञान लड़कियों में नही होता है।लड़कियों को दबाकर उसे दब्बू बना दिया जाता है जिससे वे आए दिन अनहोनी का शिकार होती रहती है।
उसी तरह बेटे और बेटी का फर्क समाज में इतना रहा है कि, लड़के अपनेआप को सर्वेसर्वा समझने लगते है,नैतिक शिक्षा के अभाव में कुकृत्य करते है। इसलिए प्रत्येक कानून से पहले समाज में सच्चाई और अच्छाई को बढ़ावा देना होगा।प्रत्येक माता पिता को लड़कियों को मजबूत बनाना होगा ऐसी समझ और संस्कार देना होगा जिससे वो आसानी से अच्छे और बुरे में फर्क कर सके।
उसी तरह लड़को को भी नैतिक शिक्षा की अश्यकता है,शिक्षा के साथ समझ देना भी जरूरी है ,बचपन से ही औरतों की इज्जत करना सिखाना जरूरी है ।समाज अच्छा बने इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रयास करना होगा।प्रत्येक माता पिता को यह प्रयास करना होगा कि,कुछ भी बनने से पूर्व उनके बच्चे एक अच्छा इंसान जरूर बने।
कोई भी कानून नारी की सुरक्षा के लिए बन जाए तब तक सही परिणाम नही दे सकता जबतक ,जबतक समाज अच्छा और सच्चा नही बनेगा क्योकि उस कानून का इस्तेमाल अच्छे के लिए करेगे और बुरे लोग बुरे के लिए।