बिल्थरा रोड थाना उभांव क्षेत्र के ग्राम फरसाटार में मोहर्रम सातवीं का जुलूस

हिन्द मोर्चा न्यूज़ तहसील रिपोर्टर खालिद नफीस अहमद
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(बलिया) बिल्थरा रोड थाना उभांव क्षेत्र के ग्राम फरसाटार में मोहर्रम सातवीं का जुलूस
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क्यों मनाया जाता है मुहर्रम? क्या है इमाम हुसैन की शहादत के पीछे की कहानी, जानें
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इस्लामिक कैंलेडर का पहला महीना मुहर्रम बुधवार (19 जुलाई) से शुरू हो गया है. ये महीना मुस्लिमों के लिए बेहद खास माना जाता है, जो कि गम के तौर पर मनाया जाता है.
इस महीने में मुसलमान खास तौर पर शिया मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाते हैं. इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में अपने साथियों के साथ शहीद हो गए थे। आज मोहर्रम की सातवीं तारीख़ को जुलूस की शक्ल में कर्बला के जानिब चौक से अलम उठा कर मिट्टी लाई जाती है और ताजिया के स्थान पर बने हुए चौक पर उसे रखा जाता है। सातवीं जुलूस में जगह जगह अकीदत मंदों ने तबर्रुक के तौर पर शरबत पानी खुर्मा वगैरह तकसीम किया
मुहर्रम की दसवीं तारीख को मनाए जाने वाले यौम-ए-आशूरा के दिन ही ताजिए निकाले जाते हैं. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे।
मुहर्रम के महीने को लेकर शिया और सुन्नी समुदाय, दोनों की मान्यताएं अलग-अलग हैं. जहां शिया समुदाय के लोग मजलिस (इमाम हुसैन की शहादत का जिक्र) करते हैं और जुलूस निकालते हैं. वहीं सुन्नी समुदाय के कुछ लोग आशूर के दिन रोज़ा रखते हैं।
सुन्नी लोग मुहर्रम की 9 – 10 या 10- 11 को रोजा रखते हैं. वैसे इस महीने मुसलमानों के लिए रोजा रखना फर्ज नहीं होता है. नफिल (पुण्य) के तौर पर मुस्लिम ये रोजा रखते हैं। इस रोज़े का सवाब एक साल के रोज़े का मिलता है।
इस अवसर पर गुलाम अनवर अन्नू, फैज़ानुल हसन, शमसेर आलम उर्फ लख्खी, इस्लाम, हैदर अली, जावेद अहमद, अफरोज अहमद, निजामुद्दीन, सोनू फरसाटारी शाहआलम, फखरुद्दीन, जलील अहमद, हसन रब्बानी, मिनहाज हसन, फारूक अहमद, जियाउल हक, शारिक अशरफ, आज़ाद, वली अख्तर उर्फ परवेज़,के साथ क्षेत्राधिकारी रसड़ा फ़हीम कुरैशी हमाराहियों के साथ रहे मुस्तैद।