Ayodhya

सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पर हुए भीषण हादसे में करोड़ों का नुकसान. जवाबदेही से जिम्मेदार अधिकारी कर रहे किनारा

👉इस तरह की लापरवाही से और भी घटनाओं के इंतजार में विभाग के अफसर
👉रेलवे में नेतागिरी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे तो कम होगी घटनाएं को लेकर चर्चा

( ओपी सिंह वैस )

लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के तानाशाही के चलते एक और घटना घटित होने का इंतज़ार रेल प्रशासन को, नहीं चेत रहा लखनऊ मंडल और दर्जनों लोको निरीक्षकों एवं सहायक चालकों को आफिस में लगाकर दिया जा रहा माईलेज एवं अन्य कर्मचारियों से 18- घंटे से 20 घंटे कराई जा रही डियूटी।

ज्ञात हो कि इस भीषण घटना के पहले भी क्ई दुर्घटना हो चुकी है लेकिन रेलवे अधिकारी यूनियन के दबाव में सारा कार्य कर रहे हैं
विगत वर्षो पूर्व जाफरगंज एवं मालीपुर स्टेशन के बीच जाफरगंज आऊटर पर 13009/10 हाबङा देहरादून एक्सप्रेस डिरेल हो चुकी है और उसके दो एसी डिब्बे पलट गये थे

इसके पहले खेतासराय जौनपुर के बीच, एवं जाफरगंज स्टेशन पर 14235/36 जनता एक्सप्रेस भी डिरेलमेंट हो चुकी है ये एक छोटा उदाहरण है। सूत्रों के अनुसार लखनऊ मंडल में अगर यूनियन खत्म हो जाये तो आधी दुर्घटना वैसे कम हो जायेगी क्योंकि वहीं पूर्वोत्तर रेलवे भी है जहां नेतागिरी नगण्य है तो रेलवे डिरेलमेंट भी नहीं के बराबर है।

मिली जानकारी के अनुसार सूत्रों के अनुसार बृहस्पतिवार को सुल्तानपुर में जो भीषण ट्रेन दुर्घटना हुई है उसका रहस्य धीरे धीरे खुल रहा है। और अब तक अरबों रुपये का नुकसान होने का सनसनी खेज समाचार मिला है एक रिटायर रेल चालक ने बताया कि एक इंजन की कीमत 50 करोङ से अधिक बतायी जा रही है और दो इंजन तो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और जो इंजन थे वो भी काफी नुकसान हो
गया है। इसके अलावा मालगाङी का एक डिब्बा भी लगभग दो करोङ से अधिक कीमत बताया जा रहा है और आठ डिब्बे पटरी से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं। अब देखना ये है कि रेलवे किसको दोषी करार देती है।

विश्वस्त्र सूत्रों के अनुसार जिस माली गाङी का लोको पायलट गंभीर रुप से घायल हुआ है उसको काफी दिनों से 18- 20 घंटे डियूटी करायी जा रही थी और बताया तो यहां तक जाता है कि उसको रेस्ट भी नहीं मिलता था और तो और सुल्तानपुर का जो लोको निरीक्षक है जिसका नाम आरके मीना बताया जाता है

अपुष्ट सूत्रों के अनुसार उसका बयान सुनकर आप हंसी नहीं रोंक पायेंगे। सूत्रों के अनुसार जो लोको निरीक्षक होता है उसके जिम्मे 25 लोको पायलट होते हैं जिन्हें लोको निरीक्षकों द्धारा बकायदा लाईन का प्रशिक्षण दिया जाता है और उसके साथ लोको पायलट फुट प्लेट करता है,यहां तो गजब का बयान आ रहा है.

जिसे रेल प्रशासन दबा रखा है उक्त लोको निरीक्षक आर के मीना जिसको डेढ लाख वेतन मिलता है कहा है कि हमें अभी तक ये नहीं मालूम कि हमारे जिम्मे कौन कौन लोको पायलट लगाये गये हैं जबकि सूत्रों के अनुसार 50 लोको पायलटों को पिछले माह ही उक्त लोको निरीक्षक के अधीन रेल प्रशासन लगा चुका है।

सूत्रों के हवाले से खबर के अनुसार जो यूनियन के पदाधिकारी हैं अधिकारियों की जी हुजूरी करके बिना कार्य किये ही वेतन +माईलेज का भुगतान आफिस में बैठकर ले रहे हैं और साथ ही ठेकेदार और तमाम कर्मचारियों की फौज रेल को खोखला करने में लग गयी है और जिनकी कोई पकङ नहीं है उनको एक सीट के बजाय चार सीटों पर लगाया जा रहा है.

उदाहारणार्थ लखनऊ मंडल में लगभग 800/- लोको पायलट हैं जिनकी देख रेख एवं प्रशिक्षित करने के लिए 50 लोको निरीक्षक की नियुक्ति हुई है और प्रत्येक चालक के साथ हर दो महीने में लोको निरीक्षकों को फुट प्लेट करनी होती है इस तरह से लोको निरीक्षकों की संख्या काफी बताया जाता है लेकिन कुछ ऐसे लोको निरीक्षक हैं जो अधिकारियों के रहमोकर्म पर मौज कर रहे हैं और यूनियन में जिन्दाबाद का नारा लगाने में सक्रिय रहते हैं।

एक लोको निरीक्षक ने बताया कि सबसे ताजा उदाहरण सुरेन्द्र मिश्रा जो कि 07/1/23 से 18/1/2023 तक अनुपस्थिति थे जिसकी ऑन लाइन क्रिस से प्राप्त करके संलग्न किया गया है लेकिन 01/01/2023 से 31/1/023 का माईलेज चार्ज किये हैं जिसकी कांपी क्रिस से प्राप्त करके संलग्न किया गया है, और इसकी जांच आफिस से भी की जा सकती है कि इनको जनवरी में कितना माईलेज का पैसा मिला और किस अधिकारी के पास करने से हर महीने प्राप्त हो रहा है ये हर महीने दशकों से इसी तरह से भुगतान प्राप्त कर रहें हैं और ये कभी जब भी आते हैं 12 बजे आते हैं और 14 बजे तक चले जाते हैं इसी तरह से जितने भी पदाधिकारी हैं यूनियन में ये सब यही रवैया अपना रखा है।

पूरी खबर देखें

संबंधित खबरें

error: Content is protected !!