Ayodhya

सरकारी योजनाओं के बावजूद टूटे छप्पर के नीचे जिंदगी काट रहा संतराम,नहीं मिला पीएम आवास

 

दोस्तपुर,सुल्तानपुर। सरकार का सपना है हर गरीब के सिर पर छत हो, लेकिन सुल्तानपुर जनपद के दोस्तपुर क्षेत्र के बरूआ सकरवारी गांव में यह सपना आज भी अधूरा है। यहां रहने वाले संतराम विश्वकर्मा, जो मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं, वर्षों से एक जर्जर सीमेंट की चादर के नीचे पत्नी और बच्चों के साथ जीवन गुजारने को मजबूर हैं बारिश हो या चिलचिलाती धूप संत्राम का परिवार हर मौसम की मार चुपचाप सह रहा है संतराम बताते हैं कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया, स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला पात्र होने के बावजूद आज तक उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। उनकी तकलीफ यहीं खत्म नहीं होती ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में पीएम आवास योजना का लाभ उन्हीं को मिल रहा है जो सुविधा शुल्क देने को तैयार हैं सूत्रों की मानें तो ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक की मिली भगत से अपात्र लोग भी लाभ उठा रहे हैं, जबकि वास्तव में जरूरतमंद लोग पीछे छूट रहे है। संतराम जैसे कई ग्रामीण सरकारी योजनाओं के कागजों में तो शामिल हैं, लेकिन हकीकत में वे आज भी बेघर हैं गांव के लोगों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक संतराम का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल उठाता है। सबका साथ, सबका विकास और हर परिवार को छत जैसे नारों को हकीकत में बदलने के लिए जरूरी है कि शासन ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच करे और वास्तविक पात्रों को प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिलाए यह खबर न सिर्फ भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलती है, बल्कि एक गरीब परिवार की वो सच्चाई भी सामने लाती है, जो वर्षों से उम्मीद और उपेक्षा के बीच झूल रहा है सवाल ये है कि क्या संतराम जैसे लोगों को कभी उनका हक मिलेगा, या फिर वो यूं ही व्यवस्था की दरारों में दबे रहेंगे?

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