भीटी तहसीलदार का कथित छोटा पेशकार अवैध कर्मी ने दफ्तर में बैठने का बदला समय

-
मुकदमों में फैसला दिलाने के नाम पर वादकारियों से सौदेबाजी में करोड़ों की सम्पत्ति बना चुका है अवैध कर्मी
अम्बेडकरनगर। भीटी तहसीलदार का कथित छोटा पेशकार जिसके द्वारा मुकदमों में वादकारियों के पक्ष में फैसला दिलाने के एवज में करोड़ों रूपये बेश कीमती जमीन सौदा करके अर्जित की गयी है, ने पिछले दिनों मीडिया में खबर आने के बाद अब उसने कार्यालय में बैठने का समय बदल दिया है। उक्त पर अधिकारियों की कृपा होना बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार तहसीलदार कार्यालय में राजेन्द्र प्रसाद यादव नाम का अनाधिकृत कर्मी जो अपने को तहसीलदार का छोटा पेशकार बताता है ,के द्वारा तहसील क्षेत्र के ऐसे वादकारी जिनका मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे लोगों से उसके द्वारा मुकदमा जितवाने के नाम पर वादकारियों से सौदेबाजी का खेल सालों से चला आ रहा है। इस मामले को लेकर पिछले दिनों ‘‘अपने को भीटी तहसीलदार का छोटा पेशकार बताने वाले सम्पत्तियों को लेकर चर्चा‘‘ शीर्षक में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गयी है। इसके बाद उक्त कथित छोटा पेशकार द्वारा तहसील में कार्य करने का समय बदल दिया है जिसके द्वारा प्रातः 7 से 9 बजे और शायं 6 से 9 बजे तक पटल पर बैठकर नियम विरूद्ध कार्य किया जाना बताया जा रहा है। तहसील क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कथित छोटा पेशकार ने मिझौड़ा, महमदपुर निकट नगहरा ,भीटी तहसील मुख्यालय व नरहरिया समेत इई-गिर्द बाजारों में जहां बेशकीमती सड़क की जमीन है और वहां के वादकारी जिनका तहसीलदार न्यायालय में मुकदमें विचाराधीन रहे हैं,ऐसे लोगों से उसके द्वारा फैसला कराने के नाम पर कुछ अंश जमीन का सौदा किया गया और बैनामा भी करवा लिये गये हैं जिनकी मौजूदा कीमत करोड़ों में बतायी जा रही है। लोगों का कहना है कि एक नौकरी वाला कर्मचारी इतनी सम्पत्ति वेतन से नहीं अर्जित कर सकता जितना उक्त कथित छोटा पेशकार राजेन्द्र प्रसाद यादव ने दलाली के बलबूते बना लिया है। लोगों ने यह भी बताया कि मीडिया में खबर आने के बावजूद अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और उसे कार्यालयीय अवधि में तहसील में न दिखने का मौखिक आदेश देकर सुबह और शाम उसके द्वारा कार्य ले रहे हैं। इससे साबित होता है कि इस कृपा बरसने के पीछे कहीं न कहीं छोटा मुंशी के सौदेबाजी में सभी का हिस्सा रहता है जिसके चलते उसके विरूद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही है।