बैनामा और खतौनी धारक किसान सावधान, तहसील प्रशासन आपको कब्जा दिलाने के लिए बाध्य नहीं

जलालपुर।अंबेडकरनगर।बैनामा और खतौनी धारक किसान सावधान। यदि आपकी खतौनी जलालपुर तहसील के नगरपालिका अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में है।कोई दबंग आपकी खतौनी अथवा बैनामा शुदा जमीन पर जबरिया कब्जा कर ले तो तहसील प्रशासन आपको कब्जा दिलाने के लिए बाध्य नहीं है।आपको अपनी जमीन पर कब्जा पाने के लिए राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत मुकदमा दायर करना होगा। यह मुकदमा कितने दिन तक चलेगा कोई सीमा नहीं है। ऐसे ही सैकड़ो मुकदमा तहसील अदालत में दशकों से विचाराधीन है।
विदित हो कि बीते कई वर्षो से दर्जनों पीड़ित किसान अपनी बैनामा अथवा खतौनी शुदा जमीन पर कब्जा पाने के लिए तहसील का चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया आदेश भी नाकाफी साबित हो रहा है।ये पीड़ित मुख्यमंत्री पोर्टल टोलफ्री नंबर जिलाधिकारी समेत अन्य कोई ऐसा अधिकारी नही है जिससे लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराया हो किंतु तहसील पहुंचते ही ये शिकायते दम तोड़ देती है।
शिकायत पर पैमाईश स्थलीय जांच की बात छोड़िए, धारा 24 वाद दायर कर अनुतोषण प्राप्त करने की आख्या लगाना सबसे सटीक श्लोगन बन गया है। तहसील प्रशासन के ढुलमुल रवैया से क्षेत्र में भूमाफियाओं की चांदी है। कुछ ऐसे ही उदाहरण है जिन्होंने सरकार को शुल्क चुका कर बैनामा लिया है। तहसीलदार अदालत ने खतौनी में नाम भी तरमीन कर दिया है।इस दौरान उनका कब्जा भी था।
खेती बाड़ी भी होती थी किंतु किसी दबंग ने दबंगई और गुंडई के बल पर जमीन पर कब्जा कर लिया तो जमीन पर पुनः कब्जा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। कुछ ऐसे ही मामलो का वर्णन निम्न है जो अपनी खतौनी शुदा जमीन पर कब्जा पाने के लिए बीते कई वर्षो से तहसील का चक्कर लगा रहे हैं।
केस नंबर एक
शिवपाल गांव निवासिनी विजय लक्ष्मी ने गांव स्थित एक भूखंड का गांव निवासी हरिलाल से बैनामा लेकर खेत की जुताई बुवाई करने लगी।नाम तरमीन के वक्त विपक्षी ने तहसीलदार अदालत में आपत्ति लगा दिया। इसी दौरान बिपक्षियो ने बोई गई फसल को जोत कर अपनी फसल की बुवाई कर जबरिया कब्जा कर लिया। पीड़िता ने थाना सीओ पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र दिया किंतु पुलिस राजस्व का मामला बता कार्यवाही से इनकार करती रही।इस दौरान पीड़िता ने माननीय उच्च न्यायालय में वाद दायर कर अनुतोषण भी प्राप्त कर आदेश की कापी स्थानीय अदालत में जमा किया है किंतु पीड़िता आज भी कब्जा नहीं पा सकी।
केस नंबर दो
भिसवा चितौनागांव निवासी सैनिक रंघुबंश तिवारी ने गांव की ही सावित्री देवी से एक भूखंड का बैनामा लिया और खतौनी सैनिक के नाम तरमीन भी हो गई। बैनामा के वक्त इन्होंने कब्जा भी पा लिया किंतु परिवार के कही चले जाने के बाद गांव के ही जग भवन मंशाराम यादव समेत अन्य ने सरकारी जमीन का हवाला देते हुए उपली कंडा आदि रख अवैध कब्जा कर लिया। पीड़ित सैनिक छुट्टी लेकर अपनी खतौनी शुदा जमीन पर कब्जा पाने के लिए अधिकारियों का चक्कर काट वापस ड्यूटी पर चला गया। कब्जा नही मिला।
केस नंबर तीन
मुंडेहरा गांव के विनोद तिवारी ने गांव निवासी संतराम और राजकरन से भूमि का बैनामा 2002 में लेकर कब्जा प्राप्त कर लिया।इस दौरान विपक्षी ने नामांतरण खतौनी के समय अदालत में आपत्ति दाखिल कर दिया।16 वर्ष की लंबी मुकदमेबाजी के बाद अदालत के आदेश पर खतौनी विनोद के नाम स्थांतरित हुई। इसी दौरान विपक्षी लुकमान अंसारी ने जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। बीते तीन वर्ष से पीड़ित विनोद बैनामा शुदा जमीन पर कब्जा पाने के लिए मुख्यमंत्री दरबार तक एंडी घिस चुके हैं किंतु कब्जा तहसील प्रशासन नही दिला सका। उपजिलाधिकारी हरिशंकर लाल से जब इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने थोड़ी देर बाद करने की बात कह फोन काट दिया।