Ayodhya

जलालपुर तहसील के अधिकारी व कर्मचारी मस्त, फरियादी त्रस्त शासन की मंशा ध्वस्त

क्षेत्र के समस्या लेकर चक्कर लगा रहे पीड़ितों ने बताई दास्तान
ओंकार शर्मा

अम्बेडकरनगर। राजस्व कर्मियों की लापरवाही, इच्छा शक्ति का अभाव और कानूनी प्रक्रियाओं में भेदभाव के चलते तहसील पहुंच रहे पीड़ितो को समुचित लाभ और न्याय नहीं मिल रहा है। अधिकारियों की जिम्मेवारी महज जनसुनवाई और उल जलूल आख्या लगाने तक ही सिमट कर रह गई है।यह हम नहीं अपितु तहसील का चक्कर लगा रहे पीड़ितो के शिकायत और उनकी जुबान कह रही है। शुक्रवार को तहसील में जनसुनवाई कर रहे उपजिलाधिकारी और तहसीलदार के समक्ष कुछ ऐसे ही मामले पहुंचे जिनका ब्यौरा प्रकाशित किया जा रहा है। यह मामले तो एक बानगी है ऐसे सैकड़ों पीड़ित अपना सब कुछ छोड़कर अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर है।
केस- 1
टिकरी ग्राम पंचायत के एक चकमार्ग पर अवैध कब्जा कर स्थाई और अस्थाई निर्माण कर लिया गया है। गांव निवासी ननकऊ मौर्य की शिकायत पर तत्कालीन हल्का लेखपाल की रिपोर्ट पर माननीय तहसीलदार अदालत में बेदखली का मुकदमा दायर किया गया। नोटिस जारी होने के बाद अवैध कब्जेदारों ने कोई जवाब दावा नहीं लगाया। माननीय अदालत ने 24ध्10ध्24 को अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया और 800 रुपए जुर्माना लगा दिया।अदालती आदेश तो पारित कर दिया गया किंतु अवैध अतिक्रमण हटाने में कोई दिलचपसी नहीं दिखाई गई।इसी दौरान अवैध कब्जेदारों ने इसी अदालत पर वाद दायरा दायर कर दिया जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया और बेदखली की कार्यवाही रोक दी गई।इस अदालती आदेश के पहले बेदखली की कार्यवाही अदालत द्वारा कई मामलों में की गई। पीड़ित अधिवक्ता के माध्यम से वाद दायरा लेकर चक्कर लगाता रहा किंतु उसके अवैध कब्जा को बुलडोजर आदि से हटा दिया गया। तहसील प्रशासन के इस दोहरे चरित्र की चर्चा आम हो गई है।
केस- 2
नूरपुर कला निवासी कोदई के चक संख्या 393 का सम्पूर्ण रकबा 395 एयर है। सरकार ने इस खतौनी से 88 एयर जमीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लिए यूपीडा को बैनामा करा दिया। इसके बाद इनकी जमीन 307एयर बचनी चाहिए किंतु राजस्व लेखपाल ने जालसाजी करते हुए 307 एयर के बजाय इनकी शेष जमीन का रकबा 122 एयर दर्ज करा दिया।इसे दुरुस्त कराने के लिए पीड़ित किसान तहसील का चक्कर लगा रहा है।अब इस किसान की शेष बची जमीन को सरकार औद्योगिक गलियारा के लिए अधिकृत कर रहा है। किसान अपनी जमीन सरकार को बैनामा भी करना चाहता है किंतु कागजात में रकबा कम होने के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है। विभाग जालसाजी करने वाले लेखपाल के विरुद्ध न तो कार्यवाही करने की हिम्मत जुटा पा रहा है और न ही इस कमी को दुरुस्त कर रहा है। किसान मूल खतौनी समेत अन्य कागजात लेकर चक्कर लगाने को विवश है।
केस- 3
जलालपुर ब्लॉक के अस्तावाद के ग्राम प्रधान दिलीप कुमार पानी निकासी के लिए खड़ंजा मार्ग के बीच से नाली का निर्माण करा रहे है। यह नाली राम भारत के घर से ओमप्रकाश के घर के सामने बनी मुख्य नाली तक होना है।कुछ कार्य हुआ भी है किंतु शिवपूजन नामक विपक्षी निर्माण कार्य को दबंगई के बल पर रुकवा दिया। यह हाल तब है जब यह आम रास्ता घरौनी में भी दर्ज है।उपजिलाधिकारी ने शिकायती पत्र पर सीधे कार्यवाही के बजाय खंड विकास अधिकारी को कमेंट लिखकर भेज दिया। सवाल यह है कि बीडीओ इस मामले में क्या करेंगे।
केस- 4
गुवावा जमालपुर गांव के सीमा पर एक भूखंड आबादी के रूप में दर्ज है।इस आबादी की जमीन पर कोई घर छप्पर रिहायशी मकान आदि का निर्माण नहीं हुआ है। इस जमीन पर पेड़ आदि लगे हुए है। किंतु तत्कालीन घूसखोर लेखपाल रामजस ने आर्थिक लाभ के लिए नियम कानून को दरकिनार कर कबूलपुर गांव निवासी कुछ लोगो की घरौनी बना दिया गया। तालाब तक पहुंचने के लिए यही एक मात्र रास्ता है जहां शादी विवाह में पूजन के साथ छठ पूजा के लिए लोगों का आना जाना होता है। कबूलपुर गांव निवासी ओमप्रकाश मिश्र, राधेश्याम शुक्ल व घनश्याम शुक्ल आदि का खेत इसी आबादी के अगल बगल है। उक्त लोगों ने मुख्यमंत्री पोर्टल संपूर्ण समाधान दिवस आदि में शिकायत दर्ज कराई। वर्तमान लेखपाल ने अलग अलग एक ही मामले की गई शिकायत पर अलग अलग रिपोर्ट लगाकर अपने मंसूबों को जाहिर कर दिया। जब कि उक्त परिवार के लोगों द्वारा इस आबादी से की गई सामानों की चोरी का नामजद मुकदमा भी दर्ज कराया है।

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