Ayodhya

NR मंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाना नवागत रेल प्रबंधक के लिए आसान नहीं

  • वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने कहा मामले की जांच करा कर होगी कार्यवाही

लखनऊ। उत्तर रेलवे मंडल में बेलगाम भ्रष्टाचार सरकार की भ्रष्टाचार जीरो टारलेंस नगण्य। मिली जानकारी के अनुसार सुल्तानपुर स्टेशन पर तैनात मुख्य आरक्षण सुपरवाइजर की एक आडियो हाथ लगा है जिसमें खुलेआम दलालों को लाभ पहुंचाने के लिए एक साथ तत्काल टिकट किस तरह से बना रहे हैं जरा गौर करें ,मुख्य आरक्षण सुपरवाइजर शैलेन्द्र मिश्र दलालों के हिसाब से लगाते हैं डियूटी,डियूटी लगाने की कीमत एक हजार रुपए लेते है कीमत आडियो सुने। ये केवल सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि अकबरपुर रेलवे स्टेशन भी दलालों की चपेट में है। रेलवे विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं, इसका उदाहरण जौनपुर में कार्यरत एक सेक्शन इंचार्ज (एसएसई/वर्क्स) को देखकर लगाया जा सकता है। करीब 13 वर्षों से एक ही स्थान पर जमे संजय कुमार पर ठेकेदारों से भारी कमीशन की मांग, काम में अनावश्यक अड़चनें डालना, और मनमानी रवैये जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ मंडल में ये कोई नया मामला नहीं है ये तो पूरा मंडल में इन तथाकथित यूनियन नेताओं की तूती बोल रही है और अधिकारी हाथ पर हाथ धर कर बैठे हुए हैं । आखिर अधिकारी हाथ पर हाथ धरे क्यों न बैठे उनका भी कोई कसूर नहीं है क्योंकि जब अधिकारी सख्ती करते हैं तो यही तथाकथित यूनियन के लोग मुर्दाबाद का नारा लगाते हैं और अमर्यादित अपशब्दों का प्रयोग करते हैं जैसा कि अभी महीने के शुरुआती दिनों में मंडल आफिस में नंगा नाच हो चुका है और रेलवे बोर्डध्रेलवे मंत्रालय चुप्पी साध रखी है। सूत्रों की मानें तो उक्त तथाकथित एसएसई जो जौनपुर में काफी दिनों से डटा हुआ है अपने पद का दुरुपयोग करते हुए हर छोटे-बड़े काम के एवज में मोटी रकम की मांग करता है। तथा ठेकेदारों का आरोप है कि बिना घूस दिए कोई कार्य स्वीकृत नहीं होता, और यदि कोई ठेकेदार उनकी शर्तें मानने से इनकार कर दे, तो उनका काम लंबित पड़ा रहता है। एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर (वर्क्स) के चलते कई परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाती। वह रेलवे नियमों का सहारा लेकर लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है। बताते हैं कि इतना ही नहीं, रेलवे विभाग के कर्मचारी भी उसके व्यवहार से नाखुश हैं। कर्मचारियों का कहना है कि एस एस ई का तानाशाही अंदाज विभागीय कार्यशैली और छवि दोनों को नुकसान पहुँचा रहा है।आश्चर्य की बात यह है कि उनके खिलाफ बीते वर्षों में कई शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बताया जाता है कि तबादले की हर कोशिश को वह किसी न किसी तरीके से विफल कर देता है और मलाईदार पद पर बने रहने में सफल रहता है। स्थानीय लोगों और ठेकेदारों ने रेलवे बोर्ड से मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस संदर्भ में वरिष्ठ रेल अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।यह मामला केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, जो समय रहते सुधारा न गया तो भविष्य में और भी गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। अब देखना ये है कि क्या नवागत मंडल रेल प्रबंधक सुनील कुमार वर्मा क्या इन भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने में सफल हो जायेंगे क्योंकि पूरा मंडल भ्रष्टाचारियों के सिस्टम में चल रहा है।

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