Ayodhya

NR मंडल: हित निरीक्षक की परीक्षा फिर हुई निरस्त, मामला आया सुर्खियों में

लखनऊ।उत्तर रेलवे जोन लखनऊ मंडल एक बार फिर सुर्खियों में, विगत वर्षों से लटकी विभागीय परीक्षा हित निरीक्षक की एक बार फिर हुई निरस्त, आखिर क्यों किसका है दबाव जबकि रेलवे बोर्ड का स्पष्ट आदेश है कि अब जो भी परीक्षा विभागीय होगी उसको आरआरसी करायेगा,लेकिन इसके बावजूद परीक्षा सीबीटी के जरिए होनी है गत अगले माह.. सूत्रों के हवाले से मंडल में दर्जनों पद विभिन्न विभागों में खाली है और विभाग से भरे जाने हैं।जिसमें वाणिज्य विभाग टीसी, गाड़ी लिपिक, इंजीनियरिंग विभाग में जेई, कार्मिक विभाग में हित निरीक्षक के पद वर्षों से खाली चल रहे हैं क्या निष्पक्ष सीबीटी के जरिए परीक्षा संपादित हो पायेगी..ये बना यक्ष प्रश्न सूत्रो के अनुसार यूनियन के नेताओं एवं संबंधित बेलगाम बाबुओं के काले कारनामों के चलते मुख्य हित निरीक्षक की परीक्षा एक बार फिर निरस्त हुई।सूत्रों की मानें तो लखनऊ मंडल में लगभग पांच वर्षों से हित निरीक्षक की परीक्षा लटकी हुई है इस लिए की संबंधित बाबू एवं तथाकथित नेताओं की फौज का आमदरफ्त हो जाता है अपने चहेतों को नियुक्ति करवाने के लिए लिए। जिनके द्धारा दर्जनों रेलवे कर्मचारियों को यार्ड मास्टर, गार्ड,हित निरीक्षक,जेई,टिकट कलेक्टर,आदि बनवाने के लिए विगत कई वर्षों से यह धंधा अनवरत जारी है,कहा तो यहां तक जाता है कि बड़ौदा हाऊस का एक चर्चित अधिकारी का दबाव भी मंडल पर भारी पड़ रहा है एक तथाकथित नेता के प्रभाव से उक्त अधिकारी नेता जी के लिए सब कुछ करने को तैयार है, और नोटिफिकेशन जारी होते ही फिर ये तथा कथित नेता कुकुरमुत्तों की तरह विभागीय परीक्षा में चहेतों को नियुक्ति के लिए अधिकारियों के दरवाजों पर माथा टेकना शुरू कर दिया है।

क्या सीबीटी परीक्षा सकुशल होगी संपन्न ?या फिर भ्रष्टाचारी रहेंगे कामयाब 

रेलवे के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि इसी अवैध वसूली के कारण तत्कालीन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी बबल यादव ने विभागीय परीक्षा को सीबीटी से कराने का फैसला मुख्यालय से लिया, इसके बावजूद ये भ्रष्टाचारी तथाकथित नेता अपने अयोग्य चहेतों को पास कराने के लिए बड़ौदा हाऊस तक की दौड़ लगा दिया।सूत्रों की मानें तो आलमनगर स्टेशन पर तैनात एक वाणिज्य विभाग का सुपरवाइजर जो एक यूनियन का पदाधिकारी है और मंडल के एक वाणिज्य विभाग के चर्चित अधिकारी का खास चहेता है का रिकॉर्ड बड़ौदा हाऊस की विजिलेंस ले गयी है जांच करने के लिए, लेकिन क्या इसके खिलाफ होगी जांच निष्पक्ष, इस तरह से कई कर्मचारी हैं विजिलेंस की रडार पर। जबकि उक्त चर्चित सुपरवाइजर पर इसके पहले भी विजिलेंस केस हो चुका है और दशकों से आलमनगर स्टेशन पर तैनात है।एक और वाणिज्य विभाग का अधिकारी है जो इसके लिए वरदान साबित हो चुका है खुलेआम मदद करता है अगर सीबीआई उक्त अधिकारी को दबोचे तो लाखों का घोटाला का होगा पर्दाफाश।आखिर कौन है वो वरिष्ठ अधिकारी एवं नेता जो खुलकर हिदायत दे रखी है मंडल के अधिकारियों एवं संबंधित बाबुओं को कि मैं जो कहूं उसका अक्षरत: हो पालन।खैर देखना ये है कि क्या परीक्षा सकुशल संपन्न होगी या फिर चढ़ेगी भ्रष्टाचारियों के भेट l

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