NR मंडल: कार्मिक विभाग में करोड़ों का हुआ घोटाला, कंप्यूटर से लेकर बायोमेट्रिक मशीन खरीद में बड़े पैमाने पर खेल की चर्चा

लखनऊ।उत्तर रेलवे मंडल आफिस हज़रतगंज लखनऊ का कार्मिक विभाग बना चर्चा का विषय। करोड़ों का हुआ घोटाला तत्कालीन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी सहित लगभग आधा दर्जन बाबू लपेटे में।सूत्रों के हवाले से खबर यह घोटाला 2017से लेकर 2020 तक अनवरत जारी रहा, लेकिन आज तक न तो रेलवे की विजिलेंस जांच करने आई और न ही अन्य जांच एजेंसी।आईए बताते हैं कि 2017 में तत्कालीन सीडीपीओ के आते ही कार्मिक विभाग में रावणराज हो गया इसके बाद फिर मामला भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा का विषय बन गया मामला उस समय गरम हो गया जब तत्कालीन सीडीपीओ मुकेश बहादुर सिंह अपने चहेते बाबुओं एवं अधिकारियों की मिली भगत से दर्जनों कंप्यूटर औने पौने दामों पर ख़रीद डाला जबकि कंप्यूटर का रेट से दो गुना अधिक रेट पर कंप्यूटर की खरीद की गयी जिसमें लाखों रुपया कमीशन बाजी के रूप में चला गया, इसके बाद रेलवे बोर्ड द्बारा पूरे लखनऊ मंडल में रेलवे कर्मचारियों की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक मशीन का टेंडर निजी कंपनी को दिया गया जिसको तत्कालीन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी एवं इसके गुर्गों ने डुप्लीकेट मशीनों को लगवा दिया फिर एक हफ्ते के अंदर रद्दी की टोकरी में चला गया यानी ये तो एक छोटा घोटाला है।सूत्रों की मानें तो कार्मिक विभाग रेलवे हजरतगंज लखनऊ में अब तक करोड़ों का घोटाला हो चुका है और मामला कागजों में रफा दफा हो गया। रेलवे के सूत्रों की मानें तो कार्मिक विभाग तत्कालीन सीडीपीओ के रहते खुलेआम लूट मची हुई थी एक चहेता बाबू मृतक आश्रित कोटे में भर्ती में सीडीपीओ के नाम लाखों रुपयों की अवैध वसूली भी करता था। सूत्रों की मानें अपुष्ट खबर के अनुसार कुछ चार पहिया वाहन खरीद में भी खेल खेला गया है।सबसे अहम भूमिका लेखा विभाग की भी होती है जो बिल पास होता है तो लेखा विभाग चेक करता है इसके बाद ही बिल पास होगा। लेकिन लेखा विभाग में आधा दर्जन ऐसे कर्मचारी हैं जिनमें दो सीनियर सेक्शन आफीसर ऐसे हैं जो एक वरिष्ठ अधिकारी का खास चहेता हैं और ये सीबीआई की रडार पर हैं ऐसा गोपनीय ढंग से सूत्रों ने बताया है क्योंकि जब सीबीआई मंडल आफिस में रेड किया तो ये चंडाल चौकड़ी मेन गेट से भाग निकली। लेखा विभाग में और इंजीनियरिंग विभाग में तो करोड़ों का वारा न्यारा होता है खैर अब देखना ये है कि क्या सीबीआई असली सरगना को दबोचे पायेगी।पता चला है कि वाणिज्य विभाग का एक वरिष्ठ अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध हो गयी है इस रैकेट में तीन अधिकारी हैं एक तो जेल चला गया। वाणिज्य विभाग का अधिकारी मंडल में जो मालगाड़ी का रेक आता है उसका प्रमुख कर्ता धरत्ता बताया जाता है और एक परिचालन विभाग का अधिकारी है जो रेक को समय से खाली करने का देख भाल करता है।सबसे मजे की बात तो ये है कि ये अवैध वसूली टांडा एनटीपीसी एवं आलमनगर स्टेशन बना हुआ है जहां महीने में सैकड़ों मालगाड़ी का रेक आता है अंडरलोड होने के लिए।अगर एक रेक एक घंटा देरी से खाली होता है तो साढ़े आठ हजार रुपए पेनाल्टी पड़ती हैं बस यहीं से खेल शुरू होता है और रेक को समय से दिखाया जाता है हर माह लगभग चार लाख से पांच लाख रुपए की अवैध कमाई भ्रष्टाचारियों द्धारा संचालित की जा रही है।
वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक का चहेता बना स्टेशन अधीक्षक सुल्तानपुर
लखनऊ मंडल के परिचालन विभाग का चर्चित अधिकारी हुआ बेलगाम बंद साईकिल स्टैंड का अवैध ढंग से चलवा रहा है मामला सुल्तानपुर स्टेशन का! इतना निडर अधिकारी सूत्रों की मानें तो ये बनना चाहता है लखनऊ मंडल में अगला वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक।सूत्रों की मानें तो अगर सीबीआई जांच करे तो लगभग आधा दर्जन वरिष्ठ मंडल अधिकारी एवं एक दर्जन कर्मचारी जेल के सीखचों के पीछे होंगे।