NR मंडलः ओएण्डएफ मेकेनिकल विभाग के एक अफसर के भ्रष्टाचार और अर्जित करोड़ों की सम्पत्ति को लेकर चर्चा

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इस अधिकारी की मण्डल रेल प्रबंधक और बड़ौदा हाउस तक बताया जा रहा गहरी पैठ
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इसके खिलाफ जांच में सीबीआई से लेकर विजिलेंस टीम नहीं कर पा रही बाल-बांका
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री द्वारा जहां भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निरन्तर प्रयास किया जा रहा है वहीं एनआर मण्डल का एक अफसर अवैध कमाई के जरिये करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित कर चुका है। इस भ्रष्ट नौकरशाह की बड़ौदा हाउस से लेकर अन्य बड़े अधिकारियों में गहरी पैठ व नात-रिश्तेदारी होना बताया जा रहा है। जिसके आगे कई मंडल रेल प्रबंधक आये और चले भी गये लेकिन इसका कोई भी बाल बांका नहीं कर सका।
उत्तर रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि मंडल का यह ऐसा विभाग है जहां नियुक्ति के लिए काफी जुगाड़ लगाना पड़ता है चूंकि यहां करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई होती है और यहां इसी भ्रष्टाचार में लिप्त दो-दो अधिकारियों को हटाया भी जा चुका है और इस विभाग को बिजली विभाग में समाहित किया गया है जिसमें चार-चार अधिकारी लगे हैं.
इनमें तो एक ऐसा घाघ अधिकारी तैनात है जो खुलेआम लूट खसोट में सक्रिय है। और अपने को एक वरिष्ठ नेता का रिश्तेदार बताता है और इसकी पत्नी भी सरकारी विभाग में अधिकारी है और इसी कारण से यह मंडल में दशकों से सीट बदल-बदलकर अंगद की तरह पैर जमाये बैठा है।
बताते हैं कि यह इतना मनबढ़ है कि कर्मचारियों को गाली से बात करता है और इसका वही कर्मचारी खास होता है जो जमकर कमीशन बाजी करे और उसी की इंट्री होती है एंव कमाई वाली सीट पर चिपके पड़े हैं। सबसे मजे की बात तो ये है कि एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम लोग बेरोक-टोक साहब से मिलते हैं और जो चाहते है कराते हैं अगर साहब को सीबीआई पकड़े तो लाखों का जेवरात बरामद होगा।
बताया कि इस अधिकारी की लाटरी तब और लग गयी जब मैकेनिकल विभाग को समाहित कर दिया गया जिसमें करोड़ों का खेल इसी विभाग के इंस्पेक्टर की ठेकेदार से सेटिंग से होता आ रहा है एंव अधिकारी जाते रहे लेकिन ये इंस्पेक्टरों को कोई भी अधिकारी तबादला करना मुनासिब नहीं समझा।
कुछ तो ऐसे हैं जो कभी भी ड्यूटी नहीं करते और आफिस में ही बैठकर यूनियन बाजी करते हैं और ये सब अवैध ढंग से वसूली अर्जित धन का बंदरबांट करने में सक्रिय रहते हैं। साथ ही साथ ये सब अपने साथ एक सहायक लोको पायलट को लगा रखे हैं। सूत्र ने बताया कि नियमानुसार इन इंस्पेक्टरों को आफिस से हटाकर लाईन पर लगाना चाहिए लेकिन काफी पहुंच होने के कारण इनको कमाई वाली सीट पर ही लगाया जाता है।
आइए आगे बताते चले कि रेलवे में एक और विभाग है सतर्कता ये कभी भी इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ इस लिए नहीं कार्यवाही करते चूंकि ये रेलवे से ही 5 वर्ष के लिए विजिलेंस विभाग में नियुक्त होते हैं और यूनियनों के खास चहेता होते हैं और साथ ही साथ हर माह इनके लिए अलग से चढ़ावा जाता है। ये क्या करते हैं कि जब दबाब पड़ता है तो यूनियनों के दलाल नेताओं के कहने पर छोटे कर्मचारियों को नाप देते हैं।
सूत्रों ने बताया कि उदाहरणार्थ कुछ ऐसे कर्मचारियों को ट्रेन में एसी के पास पर अवैध ढंग से सफर करते हुए विजिलेंस ने पकड़ा लेकिन कार्यवाही नगण्य रही। चूंकि मामला यूनियनों के जुड़े लोगों से था वहीं बडे़-बड़े अधिकारी करोड़ों का माल हजम करके मौज कर रहे हैं। इस संबंध में जब मंडल के प्रमुख अधिकारी से संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल नाट रिचेबुल बताया।