NR जोन: कर्मचारियों का शोषण रोकने के नाम पर यूनियन नेताओं की संपत्ति में इजाफा, बेतहाशा बढ़ रहा बैंक खातों में बैलेंस

लखनऊ। मंडल में जहां एक तरफ रेलवे में नौकरशाही के खिलाफ तथाकथित कर्मचारियों का शोषण रोकने के लिए यूनियन का गठन हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ अब तथाकथित यूनियन नेता ही भक्षक के रूप में सक्रिय हो गये हैं और इन के ऊपर लक्ष्मीजी की कृपा बरस रही है आखिर भारतीय रेलवे में जो नेता इस आशय का संभाषण करते हैं कि हम रेलवे कर्मचारी का शोषण नहीं होने देंगे लेकिन इन रेलवे कर्मचारियों के जो मठाधीश नेताओं की फौज है जिसे कर्मचारी अपना आका समझते हैं कभी इनके गिरेबां में झांककर देखा कि एक मामूली रेलवे कर्मचारी यूनियन नेता बनने पर कहां से करोड़पति हो गया,रेलवे कर्मचारी खुद हैं दोषी जो इन भ्रष्टाचारियों के लिए.करते हैं ज़िंदाबाद मुर्दाबाद का नारा।सूत्रों के अनुसार इन चर्चित नेताओं के विभिन्न शहरों में आलीशान मकान ,लखनऊ में माल जैसे करोड़ों का बिजनेस,आखिर पैसा आया कहां से इसका ज़बावदेही कौन ? भारतीय रेलवे में कर्मचारियों के यूनियन का गठन हुआ था मात्र इसलिए कि कर्मचारियों पर नौकरशाही हावी न हो पाये,और कर्मचारियों का समय समय पर आने वाली दिक्कतों को ये तथाकथित नेता नटवरलाल, अधिकारियों से मिलकर समस्या का निदान करेंगे,लेकिन इस बदलते परिवेश में ये तथाकथित भक्षक के रूप में अवतरित इन नेताओं का पेट इतना बड़ा हो गया है कि अगर पूरा रेलवे का बजट दे दिया जाए तो शायद कम पड़ जायेगा! जिसका जीताजागता उदाहरण भारतीय रेलवे के लगभग आधा दर्जन तथाकथित नेता भ्रष्टाचार की चपेट में, नोएडा,नई दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे शहरों में इनका बना मकान एवं होटल।आखिर ये पैसा आया कहां से इसका जबाबदेही खुद रेलवे कर्मचारी है जो इनके कहने पर स्वयं जाकर ज़िंदाबाद मुर्दाबाद का नारा लगाते हैं।रेलवे में घोटाला का नया तरीका ईजाद ,अधिकारियों नेताओं की तथाकथित दलाली ,मिलीभगत से सेवा पुस्तिका होती है गायब !सबसे मजे की बात तो ये है कि जो भ्रष्टाचारी नेता हैं उनका मददगार खुद बड़ौदा हाऊस का एक वरिष्ठ अधिकारी कार्मिक विभाग का है जो खुलकर अधिकारियों पर दबाव बनाकर अवैध ढंग से कार्य करवाता है इसी के चलते पिछले माह तत्कालीन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी अमित पांडेय का तबादला हो गया चूंकि उन्होंने इन भ्रष्टाचारियों के आदेश का पालन नहीं किया,जबकि इनका अक्टूबर माह में होता कार्य काल पूरा।गजब का है रेलवे महकमा और भारतीय रेलवे यूनियन के जनप्रतिनिधि नेता! लखनऊ मंडल में तो कुछ ऐसे सीएमआई हैं जिन पर लाखों का घोटाला है और यूनियनों का पदाधिकारी बनकर दशकों से एक ही स्थान पर जमें हुए हैं रेलवे प्रशासन के अधिकारी हाथ डालने से डर रहे हैं, अभी विगत पिछले दिवस प्रतापगढ स्टेशन पर तैनात एक चर्चित यूनियन की महिला नेता जो आरक्षण लिपिक के पद पर तैनात है खुलेआम अवैध तत्काल टिकट की बिक्री करते हुए पकड़ी गयी जिसका यही पेशा है दर्जनों बार धरी गयी विजिलेंस ने भी पकड़ा लेकिन बाल बांका नहीं,जिसको वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने आरोप पत्र SF-5 जारी किया एंव दूसरे स्टेशन पर तबादला कर दिया। इसके अलावा एक और है महिला आरक्षण लिपिक सुल्तानपुर इनका भी बाल बांका नहीं हो रहा है इन पर भी कई आरोप लग चुके हैं। चूंकि नेताजी के खास हैं खैर कुछ भी नेता जी सभी भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सक्रिय रहते हैं । अभी ज्ञात होगा सबसे ताजा उदाहरण 2020-21 में जब पूरा देश महामारी के कारण जूझ रहा था तो रेलवे कर्मचारी मालगाड़ी एवं कुछ ही दिन बाद कोचिंग गाडियां चला रहे थे जिस महामारी में दर्जनों रेलवे कर्मचारी की जानें चली गई? जबकि यूनियनों के खातों में करोड़ों रुपए जमा है लेकिन किसी भी मृतक रेलवे कर्मचारी के परिवार को ये तथाकथित यूनियन अहेतुक सहायता नहीं दिया ।
करोड़ों के घोटाले की जांच कराने से कन्नी काट रहे रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी
जबकि रेलवे कर्मचारियों से चंदा वसूली इस लिए होती है कि कर्मचारियों के सामने यदि कोई दिक्कत आती है तो यूनियन तत्काल उस पैसे से मदद करे,खैर एक ऐसे चर्चित नेताजी हैं कि उन्होंने इतना चूना लगाया रेलवे को ,कि अब रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से दबाव बनवा रहे हैं किसी तरह उनकी रिटायरमेंट हो जाये पूरा सम्मान के साथ। ये वही नेता है जिसने लगभग दो वर्ष पहले 90 लाख की जमीन मोहनलाल गंज में खरीदा वो भी बैंक से लोन दिखाकर।और एक और नेताजी हैं जो नोएडा और दिल्ली तथा बंगलौर जैसे शहरों में आलीशान मकान तथा एनजीओ चलवा रहे हैं ये तो एक मामूली उदाहरण है।