NR मण्डलः रेल प्रबंधक की बैठक में सीपीआई राजेश महाजन पर आरोपों की बौछार और गूंजा भ्रष्टाचार

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NR मण्डलः रेल प्रबंधक की बैठक में सीपीआई राजेश महाजन पर आरोपों की बौछार और गूंजा भ्रष्टाचार
लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के भ्रष्ट अधिकारी एवं यूनियन गंठजोङ फिर हुआ सक्रिय मीटिंग में आरोपों से घिरा चर्चित सीपीआई राजेश महाजन मंडल रेल प्रबंधक की मीटिंग में रहा मौजूद। हफ्तों पहले स्पोर्ट्स कमेटी में भी हुआ खेल कमेटी सचिव का नाम प्रियंकाशैली मिश्रा लिस्ट में नाम हुआ फाईनल लेकिन दबाव में प्रियंका शैली मिश्रा का नाम गायब करवाकर प्रीती सिंह को बनाया गया सचिव मंडल रेल प्रबंधक फोन पर पूंछने पर नहीं दे सके सकारात्मक जबाव। अभी एक हफ्ता भी नहीं बीता कि एक और कारनामा आया मंडल आफिस में सामने। गत दिवस मंडल रेल प्रबंधक जो काफी तेज तर्रार बताये जाते हैं आ गये संदेह के घेरे में और अब इनकी मीटिंग में मंडल आफिस का चर्चित सीपीआई हितनिरीक्षक राजेश महाजन जिस पर विजिलेंस तक की जांच विचाराधीन है। मंडल रेल प्रबंधक के साथ मीटिंग करके यह साबित कर दिया कि कोई भी अधिकारी बिना यूनियन के दबाव में कार्य नहीं कर सकता जबकि इसके पहले मंडल में रहे तेज तर्रार तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक कमलेश गुप्ता, एवं चाहतेराम अपना छाप छोड़ गये हैं जिन्होंने इन भ्रष्टाचारियों को अपने कार्यकाल में आफिस में घुसने तक नहीं देते थे। पिछले हफ्ते स्पोर्टस कमेटी में सचिव के पद पर खिलाङियों का चौन हुआ है जिसमें मंडल की तेज तर्रार महिला खिलाड़ी जो सबसे वरिष्ठ बतायी जाती प्रियंका शैली मिश्रा का सचिव के पद पर चौन हुआ और चिटठी भी निकल गयी लेकिन चौबीस घंटे भी नहीं बीता की यूनियन के दबाव में मंडल रेल प्रबंधक ने यूनियन की खास प्रीती सिंह को सचिव पद पर नियुक्ति कर दिया। जब इस संबंध में मंडल रेल प्रबंधक सचिन मोहन शर्मा से संवाददाता ने पूंछा तो मंडल रेल प्रबंधन ने साफ इंकार कर दिया कि नाम नहीं हटाया गया है इसके बाद जब प्रियंका शैली मिश्रा से जानकारी चाही तो वह इतना घबङा गयी कि मंडल रेल प्रबंधक के डर से कोई जबाव नहीं दे सकी। केन्द्र सरकार के जीरो टारलेंस की धज्जियां खुले आम उङायी जा रही है। एक महिला का उत्पीङन एवं खुलेआम मैकेनिकल विभाग में एक अधिकारी दो-दो सरकारी गाङियों को वर्षो से खुद इस्तेमाल कर रहा है और ठेकेदारों से मिलकर अवैध बिलों को पास कराया जा रहा है जिसमें एक लोको निरीक्षक एवं एक सहायक की भूमिका संदिग्ध बतायी जाती है। यही नहीं बिना पद के ही लगभग पांच दर्जन रनिंग स्टाफ को नियंत्रक आफिस में लगाकर अवैध ढंग से वेतन ‘माईलेज ‘और इनको ओवर टाईम भी दिया जा रहा है जो प्रतिमाह करोङों रुपये का चूना लगाया जा रहा है लेकिन मंडल रेल प्रबंधक साधे हुए हैं चुप्पी क्यों जांच का विषम है। रेलवे का एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि यह सब खेल यूनियन के एक नेता के दबाव में महा प्रबंधक बङौदा हाऊस एवं मंडल रेल प्रबंधक की मौन चुप्पी साधने से हो रहा है। रेल मंत्री जी ये यूनियनों के नेता एवं अधिकारी कब तक रेल को खोखला करते रहेंगे निम्न लिखित कारण,जांच एजेंसियों का निष्पक्ष जांच नहीं करना ,अधिकारियों एवं कर्मियों को क्ई वर्षो से एक ही मंडल एवं पद पर रहना, यूनियन के नेताओं का अधिकारियों से मिली भगत होना। यूनियनों के चंदे की जांच नहीं करवाया जाना, यूनियनों के चुनावों का निष्पक्ष एवं समय से नहीं होना समय-समय पर संवेदनशील पद को जांच के दायरे में शामिल करना। जांच एजेंसियों की भी जांच न होना क्योंकि यही विजिलेंस इंहीं भ्रष्ट अधिकारियों से रिपोर्ट बनवाते हैं इसके अलावा ठेकेदार के कार्यो का अवलोकन करने से लेकर बिल पास कराने के कार्य को एक ही शीट पर होना। अधिकारियों,कर्मचारियों व यूनियन के पदाधिकारियां की संपत्ति में उछाल का कारण जिसमें संपत्ति की जांच होनी चाहिए। वर्षो पहले इंजीनियरिंग विभाग में करोङों का घोटाला भी गया रद्दी की टोकरी में, जिसमें सैकङों कर्मचारियों ने कई वर्षों तक एक एक इंक्रीमेंट लिया है अधिक। सबका निचोड़ एक ही है कि सरकार को इसकी जांच किसी अन्य विभागों की एजेंसिंयो से करवाना चाहिए।