NR मण्डलः परिचालन विभाग में रेलवे का कानून बना तमासा,जिम्मेदार कर रहे नजरदांज

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NR मण्डलः परिचालन विभाग में रेलवे का कानून बना तमासा,जिम्मेदार कर रहे नजरदांज
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ऐसी दशा में गाड़ियों का अनाधिकृत रूप से हो रहा ठहराव
लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के वाराणसी स्टेशन पर विगत पिछले दिनों जिस तरह से लगभग आधा दर्जन माल गाङि़यों एवं यात्री वाहन एक्सप्रेस ट्रेनें लोको पायलटों (ड्राइवर) के अभाव में अतिरिक्त ठहराव हुआ जिससे रेलवे बोर्ड एवं मंडल स्तर के अधिकारियों में हङकंप जैसी स्थिति उत्पन्न हुई वह बड़े शर्मनाक की बात है और मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी को इसका खामियाजा तक भुगतना पङा।
इस संबंध में लखनऊ मंडल के एक अति विश्वसनीय सूत्र ने जो जानकारी उपलब्ध कराई है वह रेल प्रशासन का पोल खोलने के लिए काफी है ।
उक्त सूत्र ने बताया कि मंडल में रनिंग स्टाफ (चालक और गार्डस की कमी निरन्तर बनी रहती है और यह समस्याएं विगत वर्षो में और गंभीर हो गयी है।
इसके लिए मंडल का यांत्रिक विभाग अदूर दर्शिता और प्रशासनिक अक्षमता का शिकार हो गया है जिस कारण लगातार ऐसे अनावश्यक विलंब हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी ही समस्या विगत क्ई वर्षो पूर्व भी हो चुकी है जब लखनऊ मंडल को उच्च स्तर के प्रशासनिक आदेश पर छ.ब्.त्स्ल् से आपरेट होने वाले ब्व्।स् ज्त् ।
थ्थ्प्ब् को लखनऊ मंडल को दिया गया था। जिसके लिये रनिंग स्टाफ उपलब्धता आवश्यक थी, इसके लिए परिचालन विभाग द्वारा आगे बढ़कर पहल भी की तथा मंडल में चालक और गार्डस की कार्यक्षमता का गहन सूक्ष्म विश्लेषण तत्कालीन वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (वर्तमान डीआरएम मालदा) विकास चौबे एवं तत्कालीन आई आरटीएस अधिकारी एवं सहायक परिचालन प्रबंधक अजीत सिन्हा, ने पाया कि बडे़ स्टेशन यार्ड और गुडस यार्ड, लोको शाप, लोकोशेड, कैरिज एंड वैगन वर्कशाप में शूटिंग कार्यो में लगे काफी शंटर एक ही स्थान पर कार्यरत हैं और चालक बनने के इच्छुक नहीं हैं।
मंडल स्तर पर फिर विभागीय परीक्षा के जरिए सलेक्शन करके चालक बनाया गया और ऐसे ही मालगाड़ी पर कार्य करने वाले गार्ड से प्रत्येक महीने कम से कम 5000-किमी0 माईलेज का लक्ष्य दिया गया जिससे रनिंग स्टाफ की कमी को पूरा करके लखनऊ मंडल के रेल राजस्व में नये आयाम प्राप्त हुए।