साहिबे सज्जादा मोइनुद्दीन अशरफ ने जायरीनों को दो श्रेणी में कराया खीरके मुबारक की जियारत

👉पहली श्रेणी में बडे पैसे वाले जायरीन जो नजराना के तौर पर बडा चढ़वा देते हैं
👉दूसरी श्रेणी में आम जायरीन जो अकीदा के साथ जियारत को आते हैं और धक्का खाते हैं
👉अव्यवस्थाओं के बीच जायरीनों ने दो श्रेणी में किया खिरके मुबारक की जियारत
टांडा अंबेडकर नगर। विश्व विख्यात सूफ़ी संत हजरत सैयद मखदूम अशरफ़ का 639वां सालाना उर्स के दौरान मखदूम अशरफ इंतजामिया कमेटी की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त।पूरे रूहाबाद कैंपस में न पानी की कोई व्यवस्था न टेंट की व्यवस्था न रैन बसेरा की व्यवस्था बल्कि ररन बसेरा को जिसमें जायरानों के रूकने की व्यवस्था दी जाती है उसमें कमेटी द्वारा मोटी रकम लेकर किराए की दुकानों को स्थापित कर दिया गया है।रूहाबाद कैंपस में गंदगी का आलम ऐसा है कि मानो कि गंदगी का पूरी तरह साम्राज्य स्थापित हो गया हो।
बताते चलें की खीरके मुबारक 27 व 28 मुहर्रमुल हराम को साहिबे सज्जादा मोइनुद्दीन अशरफ द्वारा सैयद मखदूम अशरफ का प्राचीन वस्त्र धारण कर दस्ताने आलिया जाते हैं जहां दूर दराज के लोग उनकी जियारत करने के लिए आते हैं, वहां भी पूरी तरीके से अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा जिसकी वजह यह है कि जायरीनों को दो श्रेणी में बांटा गया।
प्रथम श्रेणी जिसमें बड़े पैमाने पर पैसे देने वाले वो जायरीन जो नजराने के तौर पर चढ़ावा देते हैं उनको लहदखाने के कैंपस मे जगह दी जाती है व आस्ताने पर जियारत के लिए सहूलियत के साथ जगह दी जाती है जबकि वहीं आम जायरीन जो पूरे अकीदत के साथ खिरके मुबारक का जियारत करने आते हैं उनको द्वितीय श्रेणी में रखा जाता है जिसके कारण आम जायरीनों को धक्के खाने को मजबूर होना पड़ता है।
बड़े पैसे वाले जो जायरीन नज़राने के तौर पर बडा चढ़ावा देते हैं उन्हें आसानी और सहूलियत दिया जाता है जबकि वहीं बेचारे आम जायरीन जिनकी पहुंच वहां तक नहीं हो सकती बड़ा चढावा नहीं दे सकते उनको भीड़ में धक्का मुक्की खानी पड़ती है यह दोयम दर्जे का व्यवहार इस पवित्र स्थली की शाम को पलीता लगा रहा है। इंसान इंसान में हो रहा है भेद क्योंकि यहां पर है पैसे का खेल।