सावधान! राजस्व व पुलिस का चक्कर लगाते रहिए फिर भी सरकारी जमीनों पर हो जायेगा कब्जा

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सावधान! राजस्व व पुलिस का चक्कर लगाते रहिए फिर भी सरकारी जमीनों पर हो जायेगा कब्जा
जलालपुर तहसील क्षेत्र में भूमाफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही के बजाय अधिकारियों पर लग रहे आरोप
सालों से आये मामले इसकी सच्चाई को कर रहे हैं बयां,इस कार्यशैली से दबंगों का हौसला बुलन्द
जलालपुर,अंबेडकरनगर। सावधान, आपके गांव में आपकी जमीन अथवा ग्रामसभा की जमीन दबंगों द्वारा राजस्व कर्मियों की मिली भगत से कब्जा कर उस पर अवैध निर्माण कर लिया जाएगा। उच्चाधिकारी जांच कर निर्माण को अवैध भी ठहरा देंगे लेकिन फिर भी कब्जा हटवाने के लिए आप बार-बार तहसील व थाने के चक्कर लगाते रह जायेंगे।
ताजा मामला कटका थाना क्षेत्र के ग्राम चितई पट्टी का है। दबंगों द्वारा दशकों से चले आ रहे खड़ंजे पर ग्राम प्रधान के मिली भगत से दीवाल खड़ी किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बावजूद दीवाल से प्रभावित पीड़ित दीवाल हटाने के लिए तहसील और थाने का दर्जनों बार चक्कर लगाने को मजबूर है जिससे खुन्नस खाए दबंगों ने धमकी देकर मामले में हस्तक्षेप न करने की बात कह रहे हैं। बीते दो महीने पूर्व गांव के इंद्रमणि यादव, सहित अन्य लोगों द्वारा कब्जा करने की नियत से एक सड़क पर ग्राम प्रधान के मिलीभगत से दीवाल खड़ा कर लिया। दीवाल से प्रभावित सड़क के किनारे बसे लोगों द्वारा आपत्ति कर हटाने की मांग करते हुए कटका थाने में तहरीर दिया। लेकिन कोई कार्यवाही न होने से निराश पीड़ित ने जलालपुर उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर दीवाल को हटाने की मांग किया। उप जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए हल्का लेखपाल और कानूनगो को जांच कर अवैध रूप से सड़क पर किए गए अतिक्रमण को हटाने का सख्त निर्देश दिया लेकिन ग्राम प्रधान के संरक्षण के कारण अवैध रूप से किए गए निर्माण को लेखपाल और कानूनगो द्वारा नहीं हटवाया गया। दीवाल न हटने से पीड़ित ने दोबारा उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर स्वतः संज्ञान लेने की प्रार्थना किया। उपजिलाधिकारी व तहसीलदार द्वारा मामले को संज्ञान लेते हुए घटनास्थल का मुआयना किया जिसमें सड़क पर खड़ी किए गए दीवाल को अवैध पाया। जिस पर लेखपाल व कानूनगो से तत्काल दीवाल हटाने का निर्देश दिया लेकिन ग्राम प्रधान, लेखपाल और कानूनगो के मिली भगत के कारण उच्चाधिकारियों के आदेश का अवहेलना करते हुए आदेश का पालन नहीं किया गया। दीवाल न हटने से पीड़ित जलालपुर थाने से लेकर तहसील तक दर्जनों बार चक्कर पर चक्कर लगाकर दीवाल को हटाने की मांग कर रहा है। जिससे विपक्षियों ने पीड़ित को बार-बार मारने पीटने की धमकी पीड़ित शिकायत कर्ता डरा हुआ है। जबकि इसके जलालपुर तहसील के राजस्व विभाग और पुलिस विभाग द्वारा पीडितों की समस्याओं का निस्तारण में उदासीनता के चलते बड़ी घटनायें भी हो चुकी है।
केस-1
पहला मामला इसी कटका थाना क्षेत्र के इसी गांव के बगल दुधई और सुरजूपुर गांव के सीमा के बीच सुरजुपुर गांव के चकमार्ग पर सुभाष गौड़ पशु आश्रय का निर्माण कर रहा था जिसमें समिति के सचिव सुनील सिंह ने उप जिलाधिकारी से चकमार्ग पर निर्माण की शिकायत कई बार किया लेकिन लेखपाल के पैमाइश न होने के कारण और दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ता गया। विवाद इतना बढ़ा की सुनील सिंह को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
केस-2
दूसरा मामला जैतपुर थाना क्षेत्र के जोलहापुर गांव में भूमि विवाद में फौजदार और निर्मल के परिवार के बीच जमीनी विवाद को लेकर विवाद होता रहता थाद्य इसी विवाद में हुई मारपीट में पप्पू की मौत हो गई। परिवारों के बीच लगभग दर्जनों बाद पुलिस और राजस्व को लिखित शिकायती पत्र देकर मामले के निस्तारण की मांग की थी। लेकिन निस्तारण न होने के चलते विवाद बढ़ता गया और एक पक्ष को अपनी जान गवानी पड़ी।
केस-3
तीसरा और चौथा मामला मालीपुर थाना क्षेत्र के खानपुर उमरन गांव में सगे भाई केके सिंह और महातम सिंह के बीच जमीनी विवाद को लेकर आए दिन राजस्व विभाग पैमाइश कर निस्तारण करने की मांग की थी लेकिन राजस्व विभाग के द्वारा निस्तारण न होने पर केके सिंह के पुत्र सत्येंद्र की घातक पिटाई से मौत हो गई। इस मामले में भी परिजनों ने बताया था की मामले का निस्तारण करने के लिए लगातार पुलिस और राजस्व विभाग को शिकायती पत्र दिया जा रहा था। इसी थाना क्षेत्र के भिस्वा चितौना गांव में राकेश यादव और राम सुरेश तिवारी के बीच वर्ष भर से भूमि विवाद चल रहा है जिसको लेकर राम सुरेश द्वारा मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, संपूर्ण समाधान दिवस, एवं अन्य जनता दर्शन में प्रार्थना पत्र देकर मामले के निस्तारण की मांग की थी लेकिन राजस्व विभाग द्वारा शिथिलता बरतने के कारण उभय पक्षों के बीच आए दिन हो रहे विवाद में राकेश ने विपक्षी राम सुरेश को जानलेवा हमला करते हुए मरणासन्न कर दिया। लेकिन राजस्व विभाग पूर्व की घटनाओं से सबक न लेते हुए विवादों को सुलझाने के बजाय उलझाने में लगी रहती है। यदि इसी तरह चलता रहा तो कभी न कभी अप्रिय घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता।