Ayodhya

लोस चुनाव में जातीय समीकरण को भाजपा,सपा और बसपा ने बनाया जीत का हथियार

  • लोस चुनाव में जातीय समीकरण को भाजपा,सपा और बसपा ने बनाया जीत का हथियार
  • अपने पक्ष में जातियों का वोट पाने के लिए सभी प्रत्याशी अपना रहे तरह-तरह का हथकण्डा
  • क्या इस बार के चुनाव में 2014 का इतिहास दोहरा पायेगी भाजपा,जनपद वासियों में इसे लेकर चर्चा

जलालपुर,अम्बेडकरनगर। लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे भाजपा,सपा और बसपा के उम्मीदवार जातीय समीकरण के सहारे चुनावी नैया पार करने की जुगत में लगे हैं। जातिगत मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए लिए सभी राजनैतिक दलों के प्रत्याशी विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाना रहे हैं। इस जातीय समीकरण की बिसात में कुछ जातियां जहां खुल कर अपने पार्टी और नेता के सपोर्ट में पहले से खड़े है वही अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की जुगत लगाई जा रही है।

यह हाल है जनपद लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा से वर्तमान सांसद रितेश पाण्डेय सपा से कटेहरी विधानसभा के विधायक लालजी वर्मा और बसपा से पुराने खिलाड़ी पूर्व चेयरमैन कमर हयात ताल ठोक रहे हैं। अपने पिता के राजनीतिक वारिस के तौर पर राजनीति में उतरे रितेश पांडेय 2019 की लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर संसद में पहुंचे और मुखर सांसद के रूप में पहचान बनाते हुए क्षेत्र की बात को सबसे बड़ी पंचायत में रखा।
चुनावी जनसभाओं में अपने पिछले कार्यकाल को याद दिलाते हुए रितेश पांडेय द्वारा इस बार मोदी की गारंटी भी दी जा रही है वहीं उनके प्रतिद्वंदी व बसपा से ही सपा में आए हुए लालजी वर्मा द्वारा अपनी व्यक्तिगत छवि, राजनीतिक अनुभव तथा जातीय समीकरण के आधार पर वोट मांगते हुए जीत का दावा किया जा रहा है।

बसपा द्वारा कलाम शाह का टिकट काटने के बाद लोकसभा की राजनीति में नए किंतु नगरीय चुनाव के मंझे हुए खिलाड़ी कमर हयात को चुनावी समर में उतारते हुए दलित व मुस्लिम वोटों को एकत्र कर मामले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया गया है। 55 लोकसभा क्षेत्र के कुल साढे़ 18 लाख मतदाताओं में 4 लाख दलित, 3 लाख 70 हजार मुस्लिम, 1 लाख 78 हजार कुर्मी,1 लाख 70 हजार यादव, 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण, 1 लाख ठाकुर तथा शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं। इनमें दलित व मुस्लिम मतों पर बसपा, यादव कुर्मी व मुस्लिम वोटों पर सपा जबकि सवर्ण व लाभार्थी वोटों पर भाजपा द्वारा अपना दावा ठोंका जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 लाख 54 हजार वोटों के साथ 52 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए सपा बसपा के संयुक्त प्रत्याशी रितेश पांडेय द्वारा अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को हराया गया था। मुकुट बिहारी वर्मा 4 लाख 68 हजार वोटों के साथ 43 प्रतिशत मत प्राप्त करने में सफल रहे थे। वहीं 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा प्रत्याशी हरिओम पाण्डेय द्वारा 42 प्रतिशत प्राप्त करते हुए विजय प्राप्त की गई थी जबकि बसपा प्रत्याशी राकेश पांडेय को 28 प्रतिशत व सपा प्रत्याशी राममूर्ति वर्मा को 23 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे।

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