बेवाना पुलिस की दरिंदगी का शिकार हुआ मंशाराम चौहन का परिवार

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“अपनी मंशा में कामयाब नहीं होने और पुलिस अधीक्षक आदि से शिकायत करने से नाराज बेवाना पुलिस ने मंशाराम व उसके नाबालिग पुत्र पत्नी ; बेटी और भतीजे को झूठे मुकदमे में किया नामजद
अम्बेडकरनगर ; जनपद के थाना बेवाना पुलिस की दरिंदगी को रोकने और न्याय की फरियाद करने वाले मंशाराम को पुलिस अधीक्षक भी न्याय नहीं दिला सके. बेवाना पुलिस को अपने आला हाकिम की भी खौफ नहीं है. मोटी रकम के लिए कितना गिर सकती है इसकी कोई सीमा नहीं है. यहाँ पुलिस अपराधियों की मददगार और निर्दोष व अत्याचार के शिकार सताए लोगों पर कहर बनकर उन्हें शिकार बनाने में कोई कोर – कसर नहीं क़रती.
गौरतलब रहे बेवाना थाना की पुलिस पर अधिकारीयों का जैसे नियंत्रण ही नहीं है. जिसका खामियाजा क्षेत्र की भोली- भाली और निर्दोष जनता को भुगतना मजबूरी बन गया है. जिसका ताजा उदाहरण नेनुआ गांव का मंशाराम और उसका परिवार है. पुलिस उत्पीड़न का सालोंसाल से यह परिवार शिकार होता आ रहा है. मंशाराम और उसके विपक्षी रामप्रसाद के बीच दीवानी न्यायलय में आबादी की भूमि के बंटवारे को लेकर मुकदमा चल रहा है. जिसमे न्यायलय से स्थगन आदेश जारी किया गया है.
राम प्रसाद की पत्नी बेवाना थाना की पुलिस की कई सालों से गहरा सम्पर्क बना हुआ है और वह मंशाराम को परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोरती है. थाना की पुलिस उसकी भरपूर मदद करने में संकोच नहीं करती है. स्थगन आदेश को दरकिनार करके बेवाना पुलिस नया निर्माण कराने के लिए मंशाराम के विपक्षी के मदद में रहती है.
बीते १ जून २०२३ से शुरू हुए कारनामों से पीड़ित मंशाराम थानाध्यक्ष बेवाना से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय का चक्कर लगाने के साथ न्याय की फरियाद किया फिर भी बेवाना पुलिस ने शाजिस के तहत मु.अ.सं. ८१/२०२३ धारा १४७; ३३६; ५०४; ४२७ के तहत मंशाराम और उसकी बीमार पत्नी व १३ वर्षीय नाबालिग बेटा सहित भतीजे को आरोपी बनाकर सताने काम करती नज़र आ रही है. पुलिस अधीक्षक क्या मंशाराम और उसके परिवार को न्याय दिला पाएंगे इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं|