Ayodhya

पालिका टांडा चेयरमैन पर निविदाओं में गोल-माल का आरोप, जांच की मांग शुरू 

टांडा। टांडा तहसील क्षेत्र में स्थित ए श्रेणी दर्जा प्राप्त नगर पालिका परिषद की पालिका अध्यक्ष की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के कारण 11 सभासदों का विरोध चल रहा हैं। और इसी कारण से चर्चाओं में चल रहीं नगर पालिका परिषद टांडा की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में अध्यक्ष के पक्षकार सभासदों से विपक्ष के 11 सभासदों के द्वारा बोर्ड बैठक के दौरान वित्ती जानकारी लेने के बाद जानकारी न देने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। इस बीच विपक्ष के 11 सभासदों ने बोर्ड बैठक का बहिष्कार कर मदनी हाल से बाहर निकल आए थे। इस बीच प्रस्तावित भारी भरकम बजट वोटिंग के बाद पालिकाध्यक्ष बहुमत के आधार पर अध्यक्ष के पक्षकार सभासदों कि सहमति से पास कर लिया गया लेकिन इसके बाद गत दिनों पालिका अध्यक्ष के कार्यालय में बैठे अध्यक्ष शबाना नाज़ के पक्षकार सभासदों ने अध्यक्ष शबाना नाज के सामने पालिका जेई नितेश कुमार मौर्या को धमकाना और कमरे में बंद कर सरकारी कागजों को फाड़ना आदि की घटना ने माहौल को और गर्म कर दिया।इस बीच बात इतनी बढ़ गई कि जे.ई नितेश कुमार मौर्या को जान से मार डालने कि धमकी के साथ अध्यक्ष के कार्यालय कक्ष में बंधक बनाकर उसके साथ अभद्रता करने की हदों को पार करने के मामले में टांडा कोतवाली पुलिस ने जेई नितेश कुमार मौर्या की तहरीर पर तीन सभासदों के खिलाफ मुकदमा संगीन धाराओं में पंजीकृत किया गया है। जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला के दरबार उन्होंने तत्काल मामले को पता करते हुए सभी प्रकरण अपने संज्ञान में लिया। हालांकि दो ही दिनों बाद पालिका अध्यक्ष शबाना नाज ने नगर के विकास के लिए निकली 95 कार्यों की निविदा को नियम कानून को ताक पर रखकर निरस्त कर दिया। इसके बाद यह भी मामला पहुंचा जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला के दरबार में पहुंचा और उन्होंने तत्काल प्रभाव से उस टेंडर को निरस्त किए जाने के प्रकरण में अपर जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी टांडा की टीम गठित कर जांच अधिकारी नामित कर दिया। दरअसल जिलाधिकारी के द्वारा गठित टीम अपने द्वारा सभी पहलुओं पर तकनीकी जांच रिपोर्ट तैयार कर रही हैं और जल्द ही जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला के दरबार में जांच रिपोर्ट पहुंचेगी। हालांकि इस बीच एक और निविदा से जुड़ा अनियमितता बरतने का मामला सामने आया है जो 13 फरवरी 2024 को पालिकाध्यक्ष शबाना नाज व अधिशाषी अधिकारी आशीष सिंह के समय में 49 कार्यों के लिए निकाली गई निविदा में भी एक ही अकाउंट निविदा शुल्क जमाकर सभी ठेकदार ने टेंडर प्रक्रिया में प्रतिभाग लिया है और उनको टेंडर भी आवंटित हो गया जिसका भुगतान भी ज्यादातर कार्यों में हो गया है। इसी तरह लगभग 49 विकास कार्यों के बाबत निकाली गई निविदा में बंदरबाट की गई है। हालांकि इस मामले में भी उच्च स्तरीय जांच किए जाने की जनहित में अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब सवाल उठता हैं कि उक्त निविदा को भी जिलाधिकारी द्वारा निरस्त करवा कर जांच बैठा देनी चाहिए जिससे पता लगाया जा सके कि भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा कहा और किसके द्वारा फैलाई जा रही हैं। हाल ही में अध्यक्ष शबाना नाज़ द्वारा नियम कानून के विपरीत निरस्त किए गए टेंडर की जांच बैठाते हुए जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने पालिका के आउटसोर्सिंग कर्मचारी गोकुल को नगर पंचायत इल्तिफ़ातगंज के द्वारा की गई शिकायत पर यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया गया था कि डिजिटल सिंग्नेचर के नाम पर गोकुल कुमार ने दस हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई थी व उसके द्वारा अपनी निजी कंप्यूटर की दुकान का संचालन किया जाता हैं। जहां से ठेकेदारों के लिए निविदा/टेंडर की ऑनलाइन बिट डाली जाती हैं। जो पूर्णता गलत है। और जांच में दोषी पाए गए कहते हुए तत्कालीन उपजिलाधिकारी टांडा ने गोकुल को उनके दायित्वों से कार्यमुक्त कर दिया गया था। जब की इसी तरह से 13फरवरी 2024 में निकाली गई 49 कार्यों की निविदा में भी इसी गोकुल के खाते से ही ठेकेदारों ने टेंडर शुल्क जमा किया है । लोगो का कहना है इस निविदा पर भी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।

पूर्व में 49 कार्यों की जांच पर खुल जाएगी मनमानी की पोल 

पालिका परिषद टांडा में लगभग 9 करोड़ की निविदा में खेल के करने की जाँच अभी उच्च अधिकारियों द्वारा की जा रही है वहीं अब एक और मामला सामने आने लगा है नगर पालिका टांडा की अध्यक्ष द्वारा इन 95 कार्यों से पहले भी 49 कार्यों की निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें पालिकाध्यक्ष के चहेते ठेकेदारों ने निविदा डाली गई थी इसीलिए इन 49 कार्यों को पालिकाध्यक्ष द्वारा निरस्त नहीं किया गया जबकि इन निविदा में भी इसी तरह से टेंडर शुल्क अदा किया गया था जिसका आरोप लगाकर पालिकाध्यक्ष ने इन 95 कार्यों की निविदा निरस्त की है ऐसे में सवाल यह उठता है कि इससे पूर्व हुए 49 कार्यों की भी जाँच की जानी अति आवश्यक है

ठेकेदारों पर कब होगी कार्यवाही 

नगर पालिका के जिन ठेकेदारों ने पालिकाध्यक्ष को पत्र देकर टेंडर शुक्ल गलत जमा करने का जुर्म खुद कबूल किया है उन ठेकेदारों पर कार्यवाही कब होगी यह भी एक चर्चा का विषय है जबकि इस मामले में एक ठेके के कर्मचारी को बलि का बकरा बना कर उनको नौकरी से निकाल दिया गया जबकि खुद अपनी कमी बताने वाले ठेकेदारों पर कब कार्यवाही होगी यह भी एक गम्भीर प्रश्न है क्योंकि यह ठेकेदार इससे पहले भी इसी तरह से टेंडर शुल्क अदा करते आए है ऐसे में इनपर भी कार्यवाही किया जाना भी न्याय हित में होगा ।

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