नेटवर्क कंपनियों के महाजाल के विरुद्ध कार्यवाही करने में असफल साबित हो रही जिले की प्रशासनिक मशीनरी

👉 सूत्रों के अनुसार ज्यादातर लुटेरी कंपनियों का मास्टरमाइंड एक ही व्यक्ति है
👉 खुफिया विभाग इन कंपनियों पर लगाम लगाने में नाकाम
अंबेडकरनगर। इस समय जिले में करोड़पति बनाने वाली कंपनियों की भरमार है। यह कंपनियां पैसा लगाओ और डॉलर कमाओ का फंडा दिखाकर जिले में ठगी का जाल काफी बड़े पैमाने पर बिछा चुकी है। मजे की बात तो यह है कि इतना बड़ा फ्राड जिला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
सूत्रों के अनुसार इसी तरह की एक और कंपनी पैसा लगाओ डालर कमाओ के नाम पर टाल्विन लाइफ के बाद न्यू नेट नाम की कंपनी अंबेडकर नगर जिले में काफी बड़े पैमाने पर ठगी का जाल बिछाना शुरू कर चुकी है बस देखना इतना बाकी रह गया है कि कितने दिन तक यह लोगों को लूटने में सफल रहेगी।
बताते चलें कि विगत दिनों पहले जिले में पैसा लगाओ और डालर कमाओ के तर्ज पर आईडीए नाम की कंपनी ने सैकड़ों करोड़ लूट कर फरार हो गई और इस कंपनी के जन्मदाता भी इसी अंबेडकर नगर जिले के ही रहने वाले हैं। लेकिन इतनी बड़ी कृपा इनके ऊपर बरस रही है आज तक इनका बाल बांका भी ना हो सका।
आईडीए के भागने के बाद टाल्विन लाइफ के भी नेटवर्कर जिले में भूमिगत हो गए थे। परंतु इस समय मामला जैसे ही ठंडे बस्ते में गया सारे नेटवर्कर ठगी का जाल बिछाने के लिए मैदान में निकलकर हजारों लगाओ करोड़ों कमाओ का अभियान चलाना शुरु कर दिए हैं।
आखिर सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2400 रुपया लगाने पर 10 किस्तों में लाखों रुपया कैसे आ जाता है इस बात को समझाने में यह नेटवर्कर कितने माहिर है। और यह जनता भी बिना कुछ किए में लाखों कमाने के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई तक गवां बैठते हैं।
और कुछ दिनों बाद यह जालसाज इन लोगों को ठग कर फरार हो जाते हैं और प्रशासन भी शिकायत पर इनसे मोटी रकम वसूल कर इन्हें छोड़ देता है जिससे इनके हौसले बुलंद रहते हैं।
सहजादपुर बाजार में एक जगह ऐसी है जहां पर कुछ नेटवर्कर आकर बैठते हैं आज उन्हीं के बीच में बैठकर इन फराड कंपनियों के बारे में जब कुछ जानकारी चाही गई तो वहां पर पुराने पेशेवर नेटवर्कर यह कहते नजर आएगी हमको कमाने से मतलब है हम सब को बताते हैं कि जब तक चल रही है कमा लीजिए नहीं तो हम भी तो जान ही रहे कि भाग जाएगी।
लेकिन इन सब शब्दों से उनके चेहरे पर इसी प्रकार की कोई घबराहट ही नहीं थी बल्कि वह कंपनी की ही बड़ाई इस कदर कर रहे थे जैसे कि मानो भारत सरकार ने उन्हें कंपनी चलाने के लिए पूर्ण रूप से छूट दे दी हो। और जिला प्रशासन इस तरह के कृत्य करने के लिए उनको शरण दे दिया हो। आखिर जालसाजों के ऊपर प्रशासन कब तक मेहरबान रहेगा।