Ayodhya

डीजीपी साहब! अकबरपुर कोतवाल कहीं गर्भवती महिला के मौत का इंतजार तो नहीं कर रहे थे

  • 👉कोतवाल ने इंसानियत मानवता को खुलेआम कर दिया शर्मसार
  • 👉जिसकी काबिलियत हेड कांस्टेबल कि नहीं उसे कोतवाल की कुर्सी दे दी गई
  • 👉कोतवाली के अंदर घंटें भर से महिला बेहोश पड़ी कोई पूछने वाला नहीं
  • 👉आखिरकार कोतवाली का महिला स्टाफ रोटी बेलने गया था क्या
  • 👉गर्भवती पीड़ित महिला के प्रार्थना पत्र को बदलने का मुंशी प्रमोद यादव बना रहा था दबाव

द्वारा विक्रांत यादव

अंबेडकरनगर। जनपद के गर्भवती महिला से मारपीट कांड में अकबरपुर कोतवाल संजय पांडेय ने पार्टी बनकर अदा की भूमिका।
घंटे भर से बेहोश गर्भवती महिला को कोतवाली परिसर में लावारिस की तरह कोतवाली स्टाफ ने उसी के हालत में छोड़ दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़ित गर्भवती महिला खुशबू यादव कांड को अकबरपुर कोतवाल संजय पांडेय ने लीपापोती कर हजम करने के लिए एड़ी से चोटी तक का दम लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा।

बताते चलें कि 30 जनवरी की रात को एक पत्रकार के परिवार पर किया गया हमला। अकबरपुर कोतवाली अंतर्गत मीरानपुर में तीन महिलाओं पर कहर बनकर टूट पड़े मनबढ और दबंग विपक्षी रेलवे लिपिक बृजेश यादव पुत्र स्व. उदयभान यादव, सविता यादव पत्नी बृजेश यादव ने षड्यंत्र के तहत घात लगाए तीनों महिलाओं को घर में अकेला पाकर घर में घुसकर लाठी-डंडों से हमलावर हो गए जान से मार डालूंगा-जान से मार डालूंगा कहकर पीटते रहे जब तीनों महिलाओं ने बचाओ-बचाओ की गुहार लगाना शुरू किया तो आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे लोगों को आते देख दोनों हमलावर जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए।

तीनों पीड़ित महिलाओं ने कोतवाली अकबरपुर में पहुंचकर प्रार्थना पत्र देते हुए कार्रवाई की मांग की तो कोतवाली पुलिस ने प्रार्थना पत्र लेकर सुबह मेडिकल कराने की बात कहकर वापस भेज दिया और 31 जनवरी की सुबह से लेकर शाम तक तीनों पीड़ित महिलाओं की कोई सुनवाई नहीं हो हुई बात तक करने में गुरेज कर रहा थे। कोतवाल संजय पांडेय, सीयूजी नंबर और प्राइवेट नंबर दोनों बंद करके कमरे में घुस गया।

इधर स्वास्थ्य विभाग में तैनात पीड़िता गर्भवती महिला खुशबू यादव पत्नी अविनाश यादव को 30 जनवरी की रात घटना के बाद से ब्लीडिंग चालू हो गया और स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। पीड़ित परिवार कोतवाली में आस लगाए बैठे थे किन्तु कोतवाल ने मनबढ और दबंगों से सांठगांठ कर इन हमलावरों का मामला दर्ज कर मेडिकल के लिए भेज दिया तो परिवारजन पूरी तरह से हैरान परेशान हो गए कि आखिर कार्य क्या हो रहा है जो घायल है मरणासन्न की स्थिति में है उसके मामले को दर्ज नहीं किया गया और मेडिकल भी नहीं कराया गया।

इन हमलावरों पर कोतवाल इतना मेहरबान कैसे और क्यों हो गया, यह बात जग जाहिर हो चुका था। जबकि वही तीनो पीड़ित महिलाएं इस आस में इंतजार कर रही थी कि अब मेरी फरियाद सुनी जाएगी और मेडिकल कराया जाएगा किंतु ऐसा न हो सका। देर रात जब गर्भवती महिला खुशबू यादव की हालत पूरी तरह से नाजुक हो गई और वह दर्द को सहन न कर सकी फिर अचानक से कोतवाली परिसर में बेहोश होकर गिर पड़ी एक पल के लिए तो परिजनों में कोहराम-सा मच गया कि कहीं खुशबू के साथ कोई बड़ी अनहोनी न हो जाए।

घंटे भर महिला कोतवाली के अंदर बेहोश पड़ी थी किंतु कोतवाल से लेकर पूरा स्टाफ बेहोश गर्भवती महिला को उसकी इस दैनीय हालत में छोड़ दिया।मामला मीडिया के संज्ञान में आते ही कोतवाल के हाथ-पांव फूलने लगे,वही परिजन द्वारा अकबरपुर कोतवाल और स्टाफ के द्वारा दिखाए गए निर्दयता, संवेदनहीनता और मानवाधिकार के हनन का इस घटिया कृत्य को कैमरे में कैद करना शुरू किया तो थाने का मुंशी प्रमोद यादव जो सुबह से पीड़ित महिलाओं पर प्रार्थना पत्र बदलने का दबाव बना रहा था और कह रहा था कि कोतवाल साहब ने कहा है कि अपने प्रार्थना पत्र को बदल लो वरना तुम्हारा मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। मुंशी ने अपनी गुंडई दिखाते हुए मोबाइल छीनने के लिए टूट पड़ा और परिवारजनों को भद्दी-भद्दी गालियां भी देने लगा‌।

मामला मीडिया के संज्ञान में आते ही कोतवाल से लेकर पूरी कोतवाली स्टाफ के हाथ-पांव फूलने लगे कोतवाल के इस निर्दयता पूर्ण कृत्य से आहत परिवार के द्वारा ही लगभग रात्रि 8:00 बजे 108 डायल कर एंबुलेंस को बुलवाया गया।गर्भवती पीड़ित महिला के होश न आने पर परिवारजनों में कोहराम मच गया तब जाकर बेहोश महिला के साथ दोनों महिलाओं को मेडिकल के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अकबरपुर भेजा गया। खुशबू यादव की हालत को नाजुक देखते हुए तत्काल प्रभाव से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां पर पीड़ित गर्भवती महिला का इलाज चल रहा है।

डीजीपी साहब! वर्दीधारियों में क्या अब इंसानियत और मानवता नहीं रह गया है, मानवाधिकार के हनन का नंगा नाच संजय पांडेय जैसे कोतवाल और कोतवाली का स्टाफ ऐसे ही खुलेआम करता रहेंगा। ऐसे ही खुलेआम अपराधियों को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। कानून व्यवस्था की धज्जियां खुद कानून के रखवाले उड़ाते रहेंगे।शरीर पर वर्दी और कंधे पर स्टार क्या इसीलिए दिया गया है कि खुलेआम अपराधियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके, इंसानियत और मानवता को शर्मशार करें मानवाधिकार का खुलेआम उलंघन कर गुंडई पर उतारू रहे? पीड़ित महिलाओं और जनता की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करने के वजाय घटिया कृत्यों को अंजाम दे सके।

कोतवाली अकबरपुर पुलिस के कारनामे की खबर और पढ़िए अगले अंक में

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