Ayodhya

जीवन कल्याण में पुराण के नारद भक्ति का श्रवण करना चाहिए-आचार्य

 

अंबेडकरनगर। तहसील जलालपुर के कुलहियापट्टी गांव स्थित बाबा चौबाहे धाम पर चल रहे सरस संगीतमयी श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ का प्रवाह जारी है। कथा के तीसरे दिन कथा आचार्या ने नारद मोह और उनकी भक्ति का वर्णन किया। कहा कि प्रभु ने जिस स्थान पर कामदेव को भस्म किया उसी स्थान पर नारद तप करने लगे। तप से कामदेव के भयभीत होने पर नारद को अभिमान हो गया कि उन्होंने काम पर विजय प्राप्त कर ली। भगवान विष्णु हरि ने माया के द्वारा विश्व मोहिनी स्वयंवर में नारद को आसक्त देखकर वानर रूप दे दिया। जिससे कुपित होकर उन्होंने विष्णु को शाप दिया। विष्णु के अवतार भगवार राम को सीता वियोग में वानरों व भालुओं संग 14 वर्ष का जीवन यापन करना पड़ा। आचार्या त्रिवेनी कल्याण सारस्वत और बैशाली किशोरी भारी भीड़ को कथा सुनाते हुए कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए पुराण में नारद भक्ति क्रमशः श्रवण, कीर्तन, स्मरण, वंदना, पूजन और आत्म निवेदन का मार्ग है। इस दौरान उन्होंने ने यज्ञदत्त की कथा सुनाते हुए बच्चों को संस्कारित और सदाचारी बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि शिव भक्ति से जीवन में यश, बल, बुद्धि, विद्या और दीर्घ आयु के साथ ही सुख समृद्धि भी प्राप्ति होती है। कार्यक्रम से पहले यजमान राज नारायण शर्मा पत्नी के साथ दोनों आचार्यों को आसन पर बिठाया। कथा सुनने के लिए महिला पुरुष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।

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