जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण बाजारों में फल-फूल रहा है जमीन दलाली का कारोबार

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जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण बाजारों में फल-फूल रहा है जमीन दलाली का कारोबार
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ऐसे कारोबारियों के चंगुल में फंस रहे हैं अशिक्षित व नसेड़ी प्रवृत्ति के खतौनी धारक
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राजस्व कर्मियों से लेकर पुलिस ने बनाया इस कारोबार को अवैध कमाई का जरिया
अम्बेडरनगर। जिले में जमीन कारोबारियों का जाल बिछता जा रहा है। जिधर देखिए चाय-पान की दुकानों से लेकर इनके द्वारा सौदेबाजी का खेल आम बात हो गयी है। इस कारोबार में पुलिस से लेकर राजस्व कर्मियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है जिनके द्वारा खतौनी धारकों और क्रेताओं के बीच सौदा तय कराने में दलाली का कारोबार बेखौफ जारी है।
ज्ञात हो कि 1995 में जनपद सृजन के पश्चात यहां की जमीनों की दर धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ। इसके बाद से इस कारोबार में दलालों की भरमार होने लगी। वर्तमान में देखा जाए तो जिला मुख्यालय से लेकर तहसील मुख्यालयों,नगरीय क्षेत्रों व ग्रामीण बाजारों में ऐसे दलालों का कारोबार चरम पर पहुंच गया है। जिधर देखिए चाहे वह जलपान की दुकान हो अथवा चाय और पान की सभी जगहों पर दलालों द्वारा जमीन के खतौनी धारक और क्रेताओं में सौदेबाजी की चर्चा करते नजर आ रहे हैं। इनके चंगुल में ज्यादातर अशिक्षित व नसेड़ी प्रवृत्ति के खतौनी धारक आये दिन फंस रहे है। दलालों द्वारा ऐसे लोगों को शराब,गांजा,अफीम,चरस,हिरोइन जैसे मादक पदार्थों को खिला-पिलाकर औने-पौने दाम में जमीनों की सौदेबाजी कराकर अच्छी खासी कमाई का खेल किया जा रहा है। जिला मुख्यालय को लिया जाए तो कोतवाली गेट के बगल पान-जलपान की दुकान पर इन कारोबारियों का मजमा सुबह-शाम लगा रहता है। इसमें पुलिस और राजस्व महकमा के कर्मचारी भी जरूर बैठे मिल जायेंगे। सूत्रों के अनुसार अकबरपुर कोतवाली के कुछ सिपाही हैं जिनके द्वारा इस कारोबार के जरिए तमाम नामी-बेनामी सम्पत्तियां भी अर्जित की गयी है। इसी तरह तहसीलों के कुछ लेखपालों का भी कारोबार खूब फल-फूल रहा है। बताया जाता है कि ऐसे लोगों की रजिस्ट्री दफ्तर में गहरी पैठ है जिनके जरिए तमाम लोग चंगुल में फंसकर अपनी पैतृक सम्पत्ति भी गवां रहे हैं। शिकायतें भी आमबात है बावजूद ठोस कार्यवाही न होने से इन सभी के हौंसले बुलन्द है।