Ayodhya

जमीनी विवाद में न्याय के लिए चक्कर लगा रहे पीड़ितों पर दबंगों का जानलेवा हमला

  • अकबरपुर थाने की पुलिस के भ्रष्टाचार से बदलपुर के पीड़ित हुए पिटाई का शिकार

अम्बेडकरनगर। थाना कोतवाली अकबरपुर क्षेत्र स्थित बदलपुर (सोनगांव) में रविवार की शुबह जमीनी विवाद के चलते  दो पक्षों में हुई मार-पीट की घटना के बाद पुलिस की एक तरफा कार्यवाही से जंहा दूसरे पक्ष के लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। वहीं पुलिस के ऊपर भी एक पक्ष से मिली-भगत कर दूसरे पीड़ित परिवार के साथ नाइंसाफी किए जाने का इल्जाम लगना शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को पीड़ितों समय से न्याय दिलाने का आदेश भले ही दिया जा रहा है लेकिन शायद उनके आदेश पर लछिमिनियां अभी भी हाबी नजर आ रही है। उक्त प्रकरण में बताया जाता है कि गांव निवासी महेश कुमार अपनी खतौनी की जमीन पर बने मकान के सामने मिट्टी की पटाई करवा रहे थे। और उनके सगे पट्टीदार राम सूरत व उनका परिवार ट्रैक्टर-ट्राली से दरवाजे पर गिराई गई मिट्टी को समतलीकरण करने से मना कर रहे थे। उक्त प्रकरण में पीड़ित महेश कुमार द्वारा महीने भर से कोतवाली अकबरपुर का चक्कर लगाया जा रहा था। प्रार्थना पत्र देने पर पुलिस विवादित स्थल तक जाती थी और वापस चली आती। पीड़ित को जब थाने बुलाती वह पहुंच जाता लेकिन उसका विपक्षी कभी पुलिस के बुलाने पर कोतवाली नहीं गया। क्योंकि उसके साथ हल्के का सिपाही जो मिला हुआ था। चर्चा है कि हल्के का एक सिपाही पीड़ित के विपक्षियों से मलाई काटकर उसकी बराबर मदद करता रहा है। रविवार को पुलिस प्रशासन से मदद की नाउम्मीद होने पर पीड़ित परिवार दरवाजे पर गिरी मिट्टी को समतल करने का कार्य शुरू किया तो उसके विपक्षी उपरोक्त के पुत्र अजीत कुमार,पुत्री रेखा सरिता, कंचन आदि लोगों ने महेश के परिवार पर लाठी डंडों से हमला बोल दिया। दोनों पक्षों में मार-पीट हुई। दोनों पक्षों की तरफ से तहरीर पड़ी तो वहां हल्का सिपाही ने अंदर-अंदर खेला करवा दिया। और सिपाही,हल्का दरोगा, और कोतवाली के मुंशी तीनों मिलकर पीड़ित पक्ष के एक लोगों को अंदर करते हुए दूसरे पक्ष का मेडिकल करवा कर एक तरफा मुकदमा पंजीकृत कर दिया। पीड़ित पक्ष से कोतवाली में बैठाए गए मुकेश कुमार का शांति भंग की धारा 151 के तहत चालान भी कर दिया। दूसरा पक्ष कोतवाली से इतराते हुए ऐसा चला जैसे वह रिश्तेदारों के यहां आया हुआ था। पुलिस की खाऊं कमाऊं नीति से छोटे-छोटे मामले इतना गंभीर रूप धारण कर लिया करते हैं। कि वह नासूर बन जाते हैं। यहां पर भी पुलिस का रवैया अगर ऐसा बना रहा तो आने वाले दिनों में निश्चित रूप से बड़ी घटना घटने से कोई रोक नहीं सकता है। पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार करते हुए विपक्षियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करवाए जाने की मांग की है।

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