चारबाग रेलवे स्टेशन बना माफियाओं का अड्डा, विभाग को पहुंचा रहे करोड़ों का घाटा

आरपीएफ,जीआरपी, एवं कथित रेल अधिकारियों की मिलीभगत से दर्जनों अवैध वेंडर मंशा में कामयाब
लखनऊ। उत्तररेलवे चारबाग स्टेशन जो वीआईपी की श्रेणी मेंआता है तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित आला अधिकारी का निवास है वहीं नाक के नीचे रेलवे माफियाओं का गैंग सक्रिय है और खुलेआम अवैध सामान से लेकर पानी की बोतलें,आदि नशीले पदार्थों तक का कारोबार धड़ल्ले से जारी है लेकिन कोई भी पूंछने वाला नहीं है इस रैकेट में लगभग दो दर्जन से अधिक अपराधी अवैध वेंडर के रूप में कार्य कर रहे हैं।इसका जीता जागता उदाहरण,एक अपराधी मुठभेड़ में मारा जा चुका है लेकिन रेलवे के आरपीएफ, जीआरपी के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा।इस संबंध में रेलवे के एक अधिकारी ने एक बयान में गोपनीय शर्त पर बताया की चारबाग रेलवे स्टेशन पर आठ दर्जनअवैध वेंडरों द्बारा रोजाना पानी की बोतल से लेकर तमाम अवैध सामग्री,आपत्ति जनक सामान ऊंचे दामों पर बेंचा जा रहा है, उन्होंने बताया कि जब रेलवे अधिकारी जांच कराने की तैयारी करते हैं तो पहले ही इसकी सूचना आरपीएफ जीआरपी के कुछ तथाकथित कर्मचारी इन अवैध वेंडरों को पहले ही सूचित कर देते हैं। सूत्रों की मानें तो प्रतिमाह लाखों रुपया की अवैध वसूली चारबाग में होती है आरपीएफ जीआरपी के नाकों के नीचे, रेलवे माफियाओं का काकस संगठन बाराबंकी से लेकर लखनऊ शहर तक है फैला।मिली जानकारी के अनुसार पानी की बोतल तो खुलेआम सारी ट्रेनों में बेंचा जा रहा है ।चारबाग स्टेशन पर तैनाती के लिए आरपीएफ से लेकर जीआरपी एवं रेलवे अधिकारियों तक को लगाना पड़ता है दौड़ अधिकारियों के दरवाजे पर *!* रेलवे के सूत्रों की मानें तो चारबाग रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ हो या जीआरपी अथवा रेलवे का वाणिज्य विभाग नियुक्ति के लिए काफी दौड़ भाग लगानी पड़ती है अधिकारियों के दरवाजे पर।इस लिए कि चारबाग स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों रुपए की अवैध कमाई का है जरिया। चूंकि स्टेशन के बाहर भी रात होते ही सज जाती हैं अवैध दूकाने बिकते हैं नशीले पदार्थ। तीन सप्ताह पहले चारबाग स्टेशन पर पानी बेचने वाला वेंडर निकला शातिर अपराधी, आलमबाग पुलिस ने मुठभेड़ में किया ढेर *!* अभी लगभग तीन सप्ताह पहले एक अपराधी ढाई वर्ष की बच्ची के रेप केस में आलमबाग पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा जा चुका है जो ट्रेन में पानी बेचता था।रेलवे के अधिकृत सूत्र ने बताया कि आरपीएफ एवं जीआरपी के तथाकथित कर्मचारियों की संलिप्तता से चारबाग रेलवे स्टेशन पर बिक रही हैं खाने की घटिया सामग्री चेकिंग स्टाफ अभियान चलाता भी है, तो वो कुछ दिन बाद बेअसर हो जाता है क्योंकि इन अवैध वेंडरों की सेटिंग संबंधित आरपीएफ एवं जीआरपी से होती है और जो स्टाल के लाइसेंसी हैं रेलवे ने जितनी जगह एलाट कर रखी है उससे ज्यादा जगह घेरे हुए हैं जैसा कि फोटो में साफ साफ दिखाई दे रहा है। सेंधा रेस्टोरेंट और रेल कोच रेस्टोरेंट के लगभग( 40 से 50) चालीस से पचास अवैध वेंडर लखनऊ स्टेशन पर चल रहे हैं।ये तो केवल चारबाग स्टेशन का मामला है यही स्थिति पूरे मंडल में है।एक अवैध वेंडर ने बताया कि हम लोग अधिकारियों को पैसा देते है माहवारी बाकी पानी आदि की फुटकर लेन देन अलग से है।जबकि रेलवे में अधिकृत वेंडर का हर वर्ष अथवा पांच वर्ष पर मेडिकल होता है और उनका नाम पता सभी स्टालों पर लिखे होते हैं। क्या रेलवे के अधिकारी अथवा आरपीएफ के जिम्मेदार अधिकारी बतायेंगे कि क्या कोई रेलवेबोर्ड ऐसा कोई सर्कुलर जारी किया है जिसमें आरपीएफ को पूरी जिम्मेदारी दी गयी है ।