खबर का असर…….तमसा नदी में डॉक्टर अशोक स्मारक डिग्री कॉलेज के अवैध कब्जे का मामला गरमाया, एसडीएम करवाएंगे जांच

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नगर पालिका अधिशासी अधिकारी बीना सिंह ने कहा हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है अब दिखवायेंगे
(विक्रांत यादव/राजा )
अंबेडकरनगर। जिले में तमसा नदी पर अतिक्रमण जिस तरह से हो रहा है ऐसा लग रहा है कि कुछ दिनों बाद तमसा नदी का अस्तित्व समाप्त होकर नाले का रूप धारण कर लेगी। जहां प्रदेश सरकार नदियों के अस्तित्व को लेकर नए-नए फरमान समय-समय पर जारी कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग हैं जो नदियों का अस्तित्व मिटाने के लिए हर पल धन बल, केवल पर प्रशासन को मिलाकर जबरदस्त आक्रमण करने में महारत हासिल कर रहे हैं।
अकबरपुर शहर से गुजरने वाली तमसा नदी इस समय अतिक्रमणकारियों की वजह से नाले का रूप धारण कर चुकी है। तमसा मार्ग पर स्थित डॉक्टर अशोक कुमार स्मारक कॉलेज जिला मुख्यालय पर स्थित उक्त विद्यालय प्रबंधक द्वारा तमसा नदी के अस्तित्व को पूरी तरह से मिटाने का बीड़ा उठा लिया गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि राजस्व विभाग के अधिकारी व नगर पालिका परिषद भी इतने बड़े अतिक्रमण से अंनभिज्ञ बना हुआ है। इस मामले में उप जिलाधिकारी पवन जायसवाल से बात की गई , उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी नहीं है अब आगे दिखवाएंगे। इससे पहले भी सरकार द्वारा जिले के अधिकारियों को नदी की सीमा को चिन्हांकन करके खाली करने का आदेश सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया। लेकिन अभी इस समय डॉक्टर अशोक कुमार स्मारक कॉलेज द्वारा तमसा नदी पर मिट्टी की पटाई का कार्य जोरों पर चल रहा है जहां इस अतिक्रमण से अभी जिला स्तरीय अधिकारी अंजान बने बैठे हैं वही सामने बरसात का मौसम भी करीब है ऐसे में जब तमसा नदी का पानी घुटते हुए गले से ऊपर आएगा तो यही सरकारी तंत्र सिर्फ रौब झाड़ते हुए अपनी पीठ खुद ही थपथपाता रहेगा और जिनके घरों में बाढ़ का पानी घुसेगा वह बाढ़ से बचने के लिए प्रशासन से गुहार लगाएंगे।
आखिर कारण क्या है के जो ऐसे अतिक्रमण को अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किया जाता है। क्या तमसा नदी पर हो रहे इस प्रकार के अतिक्रमण को राजस्व महकमा भी देखने के बजाय अंधा बना रहेगा।क्या उत्तर प्रदेश सरकार के सारे आदेश इन जिला स्तरीय अधिकारियों के लिए सिर्फ हवा-हवाई ही होते हैं? तमसा नदी के नाम पर ही उस पर जाने वाली सड़क को तमसा मार्ग के नाम से जाना जाता है। उक्त मार्ग पर दर्जनों विद्यालय बने हुए हैं जहां पर कई हजार की संख्या में छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और बहुत सारे लोगों का उसे मार्ग से आना-जाना होता है। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतने बड़े अतिक्रमण को जिले के अधिकारी नजर अंदाज क्यों कर रहे हैं?। कहीं ऐसा तो नहीं है कि जिस प्रकार जिले में अधिकारियों और कर्मचारियों को मैनेज कर अवैध खनन का कार्य जोरों पर चल रहा है उसी तरह से मैनेज कर विद्यालय प्रशासन भी अतिक्रमण करने में सफलता हासिल कर रहा है। आखिरकार प्रशासन की क्या मजबूरी है जो अतिक्रमण होने के बावजूद भी नजर अंदाज करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों का साथ देता है। क्या मुख्यमंत्री जी इस जिले में जिन अधिकारियों को कमान मिली है क्या सिर्फ कागजों में ही वर्क की मॉनिटरिंग होती है और धरातल पर सब कुछ नदारत रहता है। ऐसे में सरकार पर सवालिया निशान उठना लाजिमी है।