आखिरकार! गोवंशों के मिले अवशेष प्रकरण में पुलिस को दर्ज करना पड़ा मुकदमा

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कथित ह्वाट्सऐपिया पत्रकारों की सफाई और थानेदार के गोलमाल जवाब की सच्चाई उजागर
अम्बेडकरनगर। थाना सम्मनपुर क्षेत्र के तमसा नदी सुल्तानगढ़ पुल के नीचे गोवंशों के मिले अवशेष प्रकरण में आखिरकार पुलिस को मुकदमा दर्ज ही करना पड़ा। जब कि कथित ह्वाट्सऐपिया पत्रकार मामले को दफन करने के लिए पुलिस की चापलूसी में लगे रहे। इस घटना को लेकर क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। ज्ञात हो कि सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा गोवंशों की सुरक्षा और उनके रहने में पशुशालाओं की व्यवस्था तथा चारे आदि की व्यवस्था प्रशासनिक मशीनरी के जरिये कराया जा रहा है। ताकि इन गोवंशों से किसानों की फसलें नुकसान न हो और उनके तस्करों द्वारा बध न हो इसके बावजूद भी आये दिन जिले के थाना क्षेत्रों में कहीं न कहीं गोवंशों के अवशेष मिल रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं स्थानीय पुलिस की मिलीभगत उजागर हो रही है। ऐसा ही मामला गत दिवस थाना सम्मनपुर क्षेत्र का आया और इस समाचार पत्र में शीर्षक ‘‘तमसा नदी में मिले गोवंशों के अवशेष को दबाने में जुटी पुलिस‘‘ प्रमुखता से प्रकाशित हुई। इसके बाद मामला काफी गर्म हो गया और संवाददाता के मोबाइल पर दर्जन भर कथित ह्वाटस्ऐपिया पत्रकारों के काल भी आये जिनके द्वारा थानेदार और उनकी पुलिस को अपना खास बताया गया और यह भी कहने में कोई संकोच नहीं किये कि इस तरह की घटना कोई नहीं है। वहीं थानेदार ने भी दूरभाष पर गोलमाल जवाब देकर अपना पिण्ड छुड़ा लिया था। मामला उच्चाधिकारियों और कुछ संगठनों के संज्ञान में आने के बाद वही पुलिस ने आनन-फानन में दाउदपुर के प्रधान से तहरीर लिया जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि सुल्तानगढ़ नदी पुल से वे गुजर रहे थे जहां पानी में बहता हुआ गोवंश के मुण्ड और खाल दिखाई पड़ा। प्रधान की इस तहरीर पर पुलिस ने अपराध संख्या-261/2024 गो हत्या निवारण अधिनियम की धारा 3 व 2 के तहत अज्ञात के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कर लिया है। अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ जहां कथित ह्वाटस्ऐपिया पत्रकार और पुलिस मामले को दबाने में लगे रहे तो कैसे नदी में गोवंशों का अवशेष बरामद हो गया। इससे साबित होता है कि सभी थाना क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं हो रही है किन्तु ह्वाटस्ऐपिया पत्रकारों और पुलिस की करतूत के चलते पशु तस्करां का कारोबार पूरी तरह से फल-फूल रहा है जो उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आ ही नहीं पा रहे हैं।