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श्रीमद् भागवत कथा में सतानंद महाराज ने सुनाया द्रोपदी चीरहरण का वृतान्त

  • श्रीमद् भागवत कथा में सतानंद महाराज ने सुनाया द्रोपदी चीरहरण का वृतान्त

जलालपुर,अंबेडकरनगर। क्षेत्र के सल्लाहपुर गांव में ओम नमः शिवाय आश्रम पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सतानंद महाराज ने द्रोपदी के चीर हरण का वृतांत सुनाया। उन्होंने कहा कि राजा धृतराष्ट्र पुत्र मोह में कुछ सुनने समझने को तैयार नहीं थे। भगवान प्रभु श्री कृष्ण सब कुछ जानते हुए भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे। युवराज दुर्योधन अपने भाइयों और मामा सकुनी के उकसावे पर पांडवों को परेशान करने के लिए नित नए जतन खोजता रहता था। कौरवों ने सोची समझी रणनीति के सभी भाइयों और द्रोपदी को बेइज्जत करने के तहत कुचक्र रचा। उन्होंने पांडवों को चौसर खेलने का न्योता दिया और जीत हार की शर्त रखी। चौसर खेल में पांडव बुरी तरह पराजित होने लगे। उन्होंने धीरे धीरे अपना सब कुछ चाल चलने में लगाया किंतु जुए में सब कुछ हार गए। अंत में उन्होंने पांचो पांडवों की पत्नी द्रोपदी को जीत हार पर लगा दिया। द्रोपदी की शर्त लगते ही कौरव सेना चहकने लगी। अंतिम चाल भी पांडव हार गए और द्रोपदी शर्त के अनुसार कौरवों की हो गई। अब कौरव सेना अपना बदला पूरा करने के लिए द्रौपदी के चीरहरण का मन बनाती है। दुशासन को चीर हरण करने की अनुमति दुर्योधन देता है। चौसर खेलने के समय वहां भीष्म पितामह गुरु द्रोणाचार्य समेत अन्य महारथी बैठे थे। जब अट्टहास करते हुए दुशासन द्रोपदी के पल्लू को खींचता है तो द्रोपदी रोते हुए भीष्म पितामह समेत अन्य की तरफ मदद भरी नजरों से देखती है। किंतु शर्त के अनुसार कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। पांचो भाई मुक दर्शक बने रहे और दुशासन द्रोपदी को नंगा करने के लिए साड़ी खींचता रहा। मदद विहीन द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण को पुकारा और कहा कि जब मैं वस्त्र हीन सबके सामने हो जाऊंगी तो आप जैसे भगवान रहने से क्या फायदा। द्रोपदी की पुकार सुनते ही भगवान श्री कृष्ण ने साड़ी की डोर बढ़ा दी। सैकड़ो हाथी के समान बलवान दुशासन द्रोपदी को नंगा करने के लिए साड़ी खींचता रहा अंत में वह थक कर गिर गया। कथावाचक सत्ता नंद महाराज ने आगे कहा कि इस दुनिया में सबसे बड़ा ईश्वर है। जिसके ऊपर प्रभु की कृपा दृष्टि हो वह इस जीवन से लेकर अनंत जीवन तक उसकी आत्मा कष्ट से दूर रहेगी। कार्यक्रम से पहले यजमान पप्पू तिवारी ने महाराज सतानंद का पांव पूज माल्यार्पण कर उन्हें व्यास गद्दी पर बैठाया। कार्यक्रम में महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। रजनीश तिवारी, गंगासागर शुक्ला शिव शुक्ल नागा बाबा अनंत दास समेत अन्य व्यवस्था में लग रहे।

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