लोक मानस के लिए राम का आदर्श अनुकरणीय-मनीष श्रीवास्तव

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लोक मानस के लिए राम का आदर्श अनुकरणीय-मनीष श्रीवास्तव
जलालपुर,अंबेडकरनगर। लोक मानस के लिए राम का आदर्श चरित्र अनुकरणीय है। वह हमें सिखाता है कि जीवन में एक पुत्र,सखा,पिता,पति,राजा का कर्म क्या होना चाहिए। क्योंकि कर्म ही प्रधान हैं और यदि हम उसका अनुसरण रंच मात्र भी कर लें तो जीवन धन्य हो जायेगा। ठंड में उपस्थित दर्शकों को संबोधित एवं उत्साह वर्धन करते हुए नवयुवक आदर्श राम लीला समिति कांदीपुर के मंच संचालक मनीष श्रीवास्तव ने कही।
रामलीला मंचन में पंचवटी में राम सीता, लक्ष्मण का परण कुटी में निवास करना,सुपर्णखा के विवाह प्रस्ताव और हठ करने पर नाक,कान काटा जाना,इसकी शिकायत भाई खर,दूषण से करने पर रावण जैसे बलवान,उनका भी युद्ध में मृत्यु को प्राप्त होना,और अंत में लंका पति रावण से सारी बात कह सुनना जो रावण को सोचने पर मजबूर कर दिया।
महान ज्ञानी रावण ने सीता जी के हरण की बात सोच कर मामा मारीच से सोने का मृग बन कर छल करने को कहा। राम के बाद लक्ष्मण भी कुटी में रेखा खींच कर दूर गए तो छल कर रावण सीता का अपहरण कर पुष्पक विमान से लंका ले गया। रावण की भूमिका में प्रेम नारायण उपाध्याय का किरदार लोगों ने खूब सराहा। रामलीला की तमाम मनोहारी मंचन के बीच सीता का कारुणिक विलाप दर्शकों के क्रोध पीड़ा में सिसकने को बाध्य कर दिया।