लम्बी गाड़ी और गनर वाले नेता जी के कृत्यों से जिले में भाजपा को मजबूत होना आसान नहीं
-
गो-तस्कर को जैतपुर थाने से छुड़ाने में लगाई ताकत से लोगों में चर्चा जोरों पर
-
आखिर ऐसे नेताओं की परछाई से कैसे निजात पायेंगे मास्टर माइंड जिलाध्यक्ष
अंबेडकरनगर। भाजपा को जिले में मजबूत करने के लिए प्रदेश नेतृत्व का निरन्तर प्रयास जारी है लेकिन पार्टी में कुछ ऐसे महानुभाव प्रवेश कर गए हैं जिसके चलते पार्टी बढ़ाने के बजाय घटने लगी है। पूरे देश और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी दिन दुगुना रात चौगुना की रफ्तार से बढ़ रही है परंतु जिले में पार्टी के हालात का इसी से पता लगाया जा सकता है कि 2022 में जब बहुत दिनों के बाद सूबे में योगी सरकार रिपीट हुई थी उस दौरान भी यहां भाजपा का खाता नहीं खुल पाया।
इतना ही नहीं नगर पालिका के चुनाव में भी पार्टी की हालत कुछ ऐसी ही रही। ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के चुनाव में पार्टी हासिए पर दिखाई पड़ी। इन सब के बावजूद यहां के भाजपाई अपनी आदतों में सुधार लाने के लिए तैयार नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। जिले के कर्मठ और जुझारू कार्यकर्ता इसलिए आगे नहीं दिखाई पड़ते क्योंकि विगत कुछ दिनों से जिले की कमान ऐसे लोगों के हाथों में आ रही है जो अनुभवहीन है और उन्हें इस बात का पता ही नहीं है कि आखिर भाजपा जिले में कैसे मजबूत होगी?
जानकारों का कहना है पूर्वांचल में स्थित जैतपुर थाने में विगत दिनों एक गो-तस्कर पकड़ा गया था जिसकी पैरवी करने के लिए एक ऐसे जिला उपाध्यक्ष अपनी पूरी हैसियत लगाए पड़े थे जो जिले में किसी भी मंत्री या पार्टी के दिग्गज पदाधिकारी आने पर आगे पीछे लगे रहते हैं और अपनी लंबी-लंबी बातों से जो भी जिलाध्यक्ष बनता है उसे प्रभावित करके नेताजी अपनी दुकान चलाने में माहिर है।
जानकारों का तो यह भी कहना है कि जब से नया जिलाध्यक्ष जिले में बने हैं उनके आगे पीछे उपाध्यक्ष जी बहुत दिखलाई पड़ते हैं। जब जैतपुर के थानाध्यक्ष ने तस्कर को छोड़ने से मना कर दिया तो उस थानेदार की शिकायत करते हुए नेता जी ने जिलाध्यक्ष से भी थानेदार को फोन कराया और उसकी बड़ी शिकायत की लेकिन वर्तमान पुलिस अधीक्षक डॉक्टर कौस्तुभ बधाई के पात्र है जो की अपराधियों को बकसने और छोड़ने के मूड में नहीं है.
जिनकी ईमानदारी के कारण थाना प्रभारी को ताकत मिली और वह पशु तस्करी के अभियुक्त को छोड़ने से मना कर दिया जिसकी चर्चा पूरे जनपद में जोरों पर है। अब यहां सवाल उठाना स्वभाविक हो जाता है कि आखिर लखनऊ से चलकर जनपद में भाजपा को मजबूत करने का स्वप्न लेकर आए नए जिलाध्यक्ष जब ऐसे ही नेताओं के मकड़ जाल में घिरे हुए हैं तो आखिर 2024 में कैसे कमल खिला पाएंगे। इसी बात को लेकर भाजपा समर्थकों में कौतूहल व्याप्त है।
इतना ही नहीं नेता जी लंबी गाड़ी और गनर लेकर अपने आप को किसी विधायक या मंत्री से कम नहीं समझते हैं। जनपदवासी अब यह कहते सुने जा रहे हैं कि जब ऐसे ही लोग भाजपा में अगुवा बनकर नेता बने रहेंगे तो फिर यहां भाजपा का कमल खिलना आसन नहीं दिखाई दे रहा है। अपने आप को मास्टर माइंड बताने वाले जिलाध्यक्ष जी कैसे अपने इन परछाईयां से निजात पाते हुए उनके क्रिया कलापों पर अंकुश लगा पाएंगे।
इस बात की चर्चा गांव से लेकर जनपद मुख्यालय तक गूंजने लगी है। कुछ विपक्षी पार्टी से संबंध रखने वाले सत्ता के साथ दल-बदल करने में माहिर लोगों के बदौलत यहां 2024 में मोदी के हाथ मजबूत हो पाएंगे इसको लेकर जनमानस में आशंका व्याप्त है।