लग रहा है भाजपा के जिला टीम में जगह पाने के लिए महानुभावों के हाथ आयेगी निराशा

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लग रहा है भाजपा के जिला टीम में जगह पाने के लिए महानुभावों के हाथ आयेगी निराशा
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गो-तस्करों को संरक्षण देने वाले नेता जी की उम्मीदों पर पानी फिरने की संभावना
अम्बेडकरनगर। लग रहा है भाजपा के जिला टीम में स्थान पाने के लिए प्रयासरत महानुभावों के हाथ आएगी निराशा। गो-तस्करों को संरक्षण देने वाले नेता जी के उम्मीद पर भी फिर सकता है पानी। दिल के अरमां आसूंओं में रह गए, हम बेवफा होकर भी तन्हा रह गए। उक्त मशहूर गाना बीजेपी के नई जिला टीम और मंडल अध्यक्ष बनने की आस लगाने वाले मौसम वैज्ञानिक नेताओं के ऊपर सटीक बैठ रही है। 2022 में जिले की सभी विधानसभा सीट हारने और स्थानीय निकाय चुनाव में भी निराशा जनक प्रदर्शन के कारण जिले में अध्यक्ष तो भाजपा ने बदल दिया लेकिन मंडल अध्यक्ष और जिला टीम में बदलाव होने की जो संभावनाएं थी वह धीरे-धीरे छीड़ होती नजर आ रही है। कारण कि लोकसभा चुनाव सिर पर होने के चलते अब पार्टी नेतृत्व कोई भी जोखिम लेकर काम करने के मूड़ में नहीं है। यही कारण है कि विगत दिनों लखनऊ में हुई बैठक के दौरान प्रदेश नेतृत्व द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है कि जिन मंडलों में अध्यक्ष या तो काम न कर रहे हो अथवा पद खाली हो वहां ही बदलाव होना सुनिश्चित किया गया है। इसलिए जिले के 23 मंडलों में से बहुत मेहनत के बाद चार-पांच मंडल अध्यक्ष ही बदले जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिसमें कुर्की मंडल अध्यक्ष सदाराम वर्मा के निधन से खाली है जब कि बसखारी मडल के अध्यक्ष राजेंद्र निषाद ने काम करने में असमर्थता जाहिर की है। इसके अलावा बहुत मेहनत करके दो-तीन मंडल अध्यक्ष और बदला जाना ही संभव है। ऐसे में जो महानुभाव स्वयं को मंडल अध्यक्ष बनने के लिए जिलाध्यक्ष सहित कुछ महानुभावों के आगे-पीछे दिखलाई पड़ रहे थे उनके अरमानों पर पानी फिरना तय माना जा रहा है। यही हाल जिला टीम की है वर्तमान के जिला पदाधिकारी अपनी कुर्सी को कायम रखने के लिए गणेश परिक्रमा में दिखाई पड़ रहे हैं। वहीं कुछ नए महानुभाव सत्ता की चमक देखकर स्वयं का जिला टीम में स्थान बनाने के लिए सुबह-शाम दिन-रात परिक्रमा में दिखाई पड़ते हैं और कुछ महानुभाव महामंत्री बनने के लिए बहुत ही आतुर हैं। अभी एक महानुभाव जो अपने कारनामों के लिए चर्चा में बने रहते हैं और जनपद में जब कोई बड़ा नेता आता है तो उसके बगल से चलकर अपना फोटो उसके मना करने के बावजूद भी खिंचवाने के लिए व्याकुल नजर आने वाले नेता जी जो जैतपुर थाने में गो-तस्कर को छुड़ाने के लिए व्याकुल थे। लखनऊ जाकर एक बड़े पदाधिकारी के पास मिलने की तमन्ना पाकर खाली हाथ लौट आए। इस प्रकार की चर्चाएं संगठन और संगठन के बाहर जोरों पर सुनाई दे रही है। जानकारां और चर्चाओं पर भरोसा करें तो प्रदेश नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश है कि जो पद जिला संगठन में खाली है। उन्हीं को भरा जाए अन्यथा विवादों को न बढ़ाते हुए लोकसभा चुनाव में बढ़-चढ़कर मोदी के हाथों को मजबूत करते हुए दिल्ली में मजबूत सरकार का गठन करने में सभी कार्यकर्ता योगदान प्रदान करें, जिससे भारत सक्षम मजबूत और वैभवशाली बन सके। अब यह देखना है कि जब मौसम वैज्ञानिक राजनेताओं का शौक पदाधिकारी बनने का पूरा नहीं हो पाएगा तब भी इसी प्रकार से भाजपा कार्यालय पर बढ़-चढ़कर क्या उनका आना-जाना लगा रहेगा? भाजपा जनों और समर्थकों को उस वक्त का इंतजार है। अब देखना है कि स्वयं को बुद्धिमान समझने वाले मौसम वैज्ञानिक नेता सफल होते हैं अथवा मास्टर माइंड समझने वाले अध्यक्ष।