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मालीपुर में फर्जी इकरारनामा के सहारे करोड़ों की सरकारी जमीनों पर कब्जे को लेकर स्वर मुखर

  • मालीपुर में फर्जी इकरारनामा के सहारे करोड़ों की सरकारी जमीनों पर कब्जे को लेकर स्वर मुखर
  • मामला तहसील जलालपुर क्षेत्र मालीपुर बाजार में बने बेशकीमती जमीनों पर आलीशान मकानों का
  • भूमाफियाओं के निर्माण पर कब चलेगा बुल्डोजर, स्थानीय लोगों में बना चर्चा का विषय
  • अब तक लेखपालों के लिए
    नाजायज कमाई का जरिया बने हैं अवैध कब्जेदार,देते आ रहे हैं संरक्षण
  • मामले को डीएम से लेकर सीएम के संज्ञान में लायेंगे सरकार की बदनामी बर्दास्त नहीं-चन्द्रशेखर यादव

अम्बेडकरनगर। एक तरफ शासन द्वारा सरकारी जमीनों पर भूमाफियाओं के कब्जे को हटाने और उनके विरूद्ध कार्यवाही का अभियान चलाया जा रहा है। वहीं तहसील जलालपुर क्षेत्र के मालीपुर बाजार में फर्जी इकरारनामे के सहारे कई बीघा प्रतिबंधित जमीनों पर भूमाफियाओं ने करोड़ों की जमीन पर अवैध निर्माण कर लिया है जिसे लेकर शिकायतें भी होती जा रही है किन्तु अब तक देखा जाए तो जिस भी लेखपाल की तैनाती हुई उनके लिए यह अवैध कब्जा नाजायज कमाई का जरिया बना है।

इसे लेकर अब प्रबुद्ध वर्गीय लोगों के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं के स्वर मुखर होने लगा है कि काश! बाबा का बुल्डोजर इस अवैध निर्माण पर चलता तो इसका संदेश समाज में जाता, हालांकि इस मामले में प्रधान प्रतिनिधि ने भी अधिकारियों को पत्र व्यवहार करने की बात कही है।

उल्लेखनीय है सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी जमीनें जैसे तालाब,पोखरा,घूर गड्ढा, नदी कुण्ड,खलिहान,चारागाह,कूआं,नवीन परती एंव अन्य प्रतिबंधित जिन पर भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है अथवा उन पर आलीशान इमारते खड़ी हो चुकी हैं,को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन को आदेश निर्गत है कि तत्काल राजस्व अभिलेख के अनुरूप इन जमीनां को मुक्त कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही भी सुनिश्चित हो।

किन्तु उक्त ग्राम पंचायत जो पुरानी बाजार भी है, में कई बीघा तालाब नवीन परती के अलावा अन्य जमीनों पर भूमाफियाओं ने निर्माण कर उनमें रिहायसी और व्यवसायिक कमरों का निर्माण किया है। सूत्रों के अनुसार ऐसी जमीनों को कब्जा करने में भूमाफिया इकरारनामा बता रहें हैं किन्तु स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह फर्जी है यदि इन जमीनों का इकरारनामा होता तो वह खतौनी बनकर राजस्व अभिलेख में दर्ज हो गया होता।

इसी तरह के आइये हम कुछ नजीर देतें है जैसे रामजानकी मंदिर से होते हुए गांधी आश्रम के निकट कुछ साल पहले स्थापित डाकखाना तक की जमीन जो राजस्व अभिलेख में कई बीघा तालाब दर्ज है, पर दर्जनों लोग जिनमें अधिकांश गैर जनपद के हैं,के द्वारा भवन का निर्माण हो चुका है। इसके अलावा गाटा संख्या-342 जो कई भाग बीघों में होना बताया जा रहा है। इस जमीन पर बच्चूलाल यादव व विनय श्रीवास्तव आदि के साथ अन्य लोगों ने कब्जा कर भवन बनाया है।

यहां तक कि गन्ना समिति जो 5 दशक पहले यहां संचालित थी, वर्तमान में 5 बिस्वा के सापेक्ष डेढ़ में सिमट गयी है, द्वार और गोदाम अतिक्रमण की चपेट में है। गांधी आश्रम जिस जमीन पर है उसके साथ इर्द-गिर्द के बीघों की जमीन पर भूमाफिया प्रवृत्ति के लोग निर्माण करा चुके हैं। इसके अलावा और भी कई गाटों के अस्तित्व खत्म हो गये हैं।

इतने ही मामले में देखा जाय तो शिकायतें समय-समय पर होती आ रहीं हैं किन्तु इस दौरान जिन लेखपालों की तैनाती रही वे अपने दायित्व निर्वहन के बजाय अवैध कब्जेदारों के बचाव में उनकी भूमिका सामने आयी है अर्थात अतिक्रमण न हटवाकर 122-बी जैसी कार्यवाही की गयी। बताया जाता है कि बेदखली के आदेश भी हुए बावजूद झूठीं रिर्पोट दिया जाता रहा।

लेखपालों के इस खेल को लेकर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रबुद्ध वर्गीय लोगों का कहना है कि तहसील के अधिकारी से लेकर कर्मचारी यदि सही ढंग से शासन के आदेश का पालन करें तो इन जमीनों पर जो भी अवैध कब्जे हैं बाबा का बुल्डोजर चलने में देर नहीं होगी किन्तु सभी सरकार की साख पर बट्टा लगाने के लिए तुले हैं।

वहीं प्रधान माया यादव प्रतिनिधि चन्द्रशेखर यादव का कहना है कि जो भी अब तक अधिकारी व कर्मचारियों ने किया वह नहीं होगा। इस मामले को डीएम से लेकर कमिश्नर व शासन के संज्ञान में लायेंगे निष्पक्ष जांच कराने के लिए। इसके बाद जिनके कागजात होंगे वह सुरक्षित रहेंगे और जो अवैध कब्जेदार हैं वो कार्यवाही का शिकार होंगे। हम किसी भी दशा में शासन की बदनामी बर्दास्त करने वाले नहीं हैं। उक्त के सम्बंध में उपजिलाधिकारी के सीयूजी नम्बर पर उनका पक्ष जानने के लिए काल किया गया किन्तु उनके द्वारा रिसीब नहीं हो सका फिर बाद में नॉटरिचिबुल हो गया। (अगले अंक में और पढ़िए)

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