भारीडीहा में चिकित्सा शिविर आयोजित. डॉ. मनीष ने दांतो के परीक्षण कर निशुल्क बांटी दवाएं, दिए सुझाव

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पूर्व मंत्री स्व.रवींद्र नाथ तिवारी की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद शिविर का हुआ शुभारंभ
अंबेडकरनगर | समाजवादी, चिंतक विचारक व समाजवादी आंदोलन से जुड़े नेता पूर्व मंत्री स्व.रवीन्द्र नाथ तिवारी की ३०वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके ग्राम भारीडीहा में रवीन्द्र नाथ तिवारी स्मारक इण्टर कॉलेज में एक संगोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन व निशुल्क दन्त चिकित्सा शिविर लगाया गया। उक्त अवसर पर संगोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा के आयोजक व स्व. तिवारी जी के सुपौत्र व भाजपा नेता डॉ.अमित त्रिपाठी ने स्व. तिवारी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- अप्रतिम संसदीय ज्ञान के धनी समाजवादी नेता रवीन्द्र नाथ तिवारी ८ अगस्त १९९३ में हम लोगो को अलविदा कह गए थे।
राजनीति में तब से लेकर अब तक उनके जैसे विचारों की दृढ़ता,निर्भीकता,स्पष्टता ,एवं संघर्षशीलता दुर्लभ बनी हुई है। उनके जैसा एकला चलने का साहस भी किसी नेता में नहीं दिखता। भ्रष्टाचार व कदाचार के विरूद्ध उनके जैसा इंगित करो आन्दोलन भी अब कोई नही चलाता। इसके उलट लोकतंत्र, संविधान ,धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर गंभीर संकट के काले बादल दिखायी देते हैं।
यह स्थिति उनके अभाव के अंदेशों को और घना करती और उनके विचारों ,मूल्यों,सिद्धान्तों, व्यक्तित्व एवं कृतित्व को पहले से अधिक प्रासांगिक बनाती है। इस एहसास को भी जगाती है कि समाज मे फैली घोर निराशा और हताशा के माहौल में जनता को निर्भय व निडर बनाकर पूंजीवादी,तानाशाही व साम्प्रदायिक ताकतों के मुकाबले एकजुट करने के लिए उनके जैसे किसी नेता की हमें बहुत सख्त आवश्यकता है। क्योंकि उनके जैसे निर्भीक,साहसी और दृढ़इच्छाशक्ति वाले व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर ही हम देश व समाज को आर्थिक,सामाजिक व नैतिक संकट से उबार सकते हैं।
तिवारी जी कहा करते थे कि अपराधी व भ्रष्टाचारी बहुत कमजोर व कायर होते हैं।इसलिए उनसे कभी डरना नहीं चाहिए बल्कि नैतिकता और इच्छाशक्ति के बल पर उनको बेनकाब करना व उनका मुकाबला करना चाहिए। साथ ही उन्हें सजा दिलाकर उनका सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए।
राम भरोस गुप्ता ने स्व. तिवारी के राजनीतिक जीवन व संघर्षों को याद करते हुए बताया कि -अविभाजित फैज़ाबाद अब (अयोध्या) जिले के भारीडीहा गाँव मे ६ मार्च,१९३४ को जन्मे तिवारी ने अपने इन्ही विचारों और गुणों के बूते छात्र राजनीति से लेकर विधानसभा सदस्यता एवं कैबिनेट मंत्री पद तक का राजनीतिक सफर तय किया।कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा,कि कौन उनके साथ है,कौन नहीं अथवा कौन उनकी बात से खुश है अथवा नाराज़।
शारीरिक दुर्बलता तथा पारिवारिक कठिनाइयों को भी उन्होंने कभी अपने विचारों के आड़े नहीं आने दिया।राजनीतिक जोखिम उठाने की तो जैसे उनमें अदम्य छमता थी।सुविधा के बजाय संघर्ष की राजनीति उन्हें ज्यादा भाती थी। वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को अपना नेता मानते थे लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल हो जाने के बावजूद उन्होंने प्रजाशोसलिस्ट पार्टी नही छोड़ी और समाजवादी आन्दोलन की अलख जगाते रहे।
१९७७ में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हुआ और चंद्रशेखर उनके अध्यक्ष बने तो उन्होंने तिवारी को कटेहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाया,जिसमे वे जीते। उसके बाद वे १९७७,१९८५,एवं १९८९ में तीन बार कटेहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में विजयी हुए। अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं के लिए उन्होंने जोरदार ढंग से न केवल आवाज उठायी बल्कि क्षेत्र में सड़कों व पुलों का जाल बिछाने में भी सफल हुए। विधानसभा में उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों तथा तर्कों से सरकार और नौकरशाही निरुत्तर हो जाया करती थी।
स्व. तिवारी को याद करते हुए ग्राम प्रधान राम भवन वर्मा ने कहा कि स्व. तिवारी जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हमें आज भी समाजवादी समाज के निर्माण तथा अन्याय के खिलाफ निडरता से लड़ने की प्रेरणा देता है। वर्तमान राजनीतिक परिवेश में जब समाजवादी आंदोलन बिखराव व भटकाव के दौर से गुजर रहा है.
समाजवादियों तक मे नीतियों,सिद्धांतो,मूल्यों व विचारों के स्थान पर परिवारवाद,पूंजीवाद,अवसरवाद सम्पत्तिवाद एवं सत्तालोभ हावी होता जा रहा है,चरित्र, विचार व संघर्ष की राजनीति करने वालों का लोप हो रहा है,वैश्वीकरण, पूंजीवाद,आर्थिक विषमता,महँगाई, उदारीकरण, जाति एवं सम्प्रदाय की राजनीति जोर पकड़ती जा रही है,उनकी अधिक आवश्यकता महसूस होती है। वे होते तो सत्ता में बैठे साम्प्रदायिक और पूंजीवादी शक्तियां शायद ही इतनी मनमानी कर पाती।
क्योंकि अपनी चौतरफा विफलता से ध्यान हटाने के लिए उन्हें धार्मिक और साम्प्रदायिक भावनाओ को उभारते देख वे व्यापक आन्दोलन छेड़ देते। इन शक्तियों के नायकों द्वारा संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पदों पर बैठकर संवैधानिक मूल्यों और मर्यादाओं की अनदेखी करने को भी वे नहीं बर्दाश्त करते।बहरहाल समाजवादी आंदोलन को नए सिरे से शक्तिशाली बनाना ही उनको सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
जनपद के जाने माने दन्त चिकित्सक डॉ. मनीष पाण्डेय जी ने स्व. तिवारी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि तिवारी जी से हम सबको सीख लेनी चाहिए कि हम सबको अपने कार्यक्षेत्र में समाज के दबे- कुचले, गरीब, निर्बल लोगो की सेवा व मदद करते रहना चाहिए तभी हम एक स्वस्थ समाज व शसक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे।इस अवसर पर निशुल्क दंत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी किया गया.
जिसमें डेन्टल सर्जन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनीष पाण्डेय द्वारा विद्यालय के बच्चों एवं क्षेत्रवासियों के दांतों का परीक्षण किया गया एवं डॉ. विवेक श्रीवास्तव द्वारा लोगो के स्वास्थ्य की जांच की गयी ।उक्त अवसर पर रामसूरत यादव,श्याम नारायण तिवारी,शैलेश तिवारी,प्रदीप तिवारी,विशाल उपाध्याय,दिनेश तिवारी,कपिल देव तिवारी, सोनू पाठक, रोशन वर्मा, दीपक कुमार, अविनाश कुमार,मंशाराम, तारिक मिर्जा आदि गणमान्य लोगों ने स्व. तिवारी को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।