Ayodhya

इंतजामिया कमेटी क्या बताएगी इन चार मस्जिदों के चंदे को आखिरकार कौन डकार रहा

  • मस्जिद के नाम पर चंदे की लूट मचाने वाला सरगना आखिर कौन है

  • मस्जिदों का चंदा कौन डकार रहा क्या इंतेजामिया कमेटी बताएगी

टांडा अंबेडकर । नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा में स्थित सै.हजरत मखदूम अशरफ सिमनानी के पवित्र स्थली पर चल रहा पांच दिवसीय उर्स का मेला अपने अंतिम दौर से गुजर रहा है बाबा की पवित्र स्थली पर जियारत करने के लिए जायरीनों अलग-अलग दिन के सच ज्यादा नसीम के चाहने वालों का ताता लगा होता है। देश के विभिन्न प्रांतो से एवं विदेशों से भी श्रद्धालुगण दर्शन करने के लिए आते हैं।

उर्स मेले की व्यवस्था के लिए बनी इंतजामियां कमेटी दरगाह में आने वाले जायरीनों के लिए रैन बसेरा की सुविधा उपलब्ध कराने में फिसड्डी रहा जबकि इस कमेटी का जन्म जायरीनों के लिए ठहराव की व्यवस्था एवं हितों के लिए बना हुआ है किंतु विडंबना तो देखिए साहब उर्स मेले में मेले की देखरेख सुरक्षा व्यवस्था जायरिनों के लिए रैन बसेरा की जिम्मेदारी देखने वाला इंतेजामिया कमेटी इस बार उर्स के मेले में इस तरह से संवेदनहीन नजर आई कि आम जायरीनों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इंतजामिया कमेटी की व्यवस्था पूरी तरह से चरमराकर गई।

मौसम भी करवट बदल रहा कब बरसात हो जाती है कुछ पता नहीं और इस बरसात से बचने के कोई भी उपाय नजर नहीं आते जिसके कारण अपने आप को जारी आर सुरक्षित महसूस करते हैं। जायरीनों के लिए यह बड़ी चुनौतीपूर्ण और बड़ा संकट का समय है। किंतु इंतजामिया कमेटी को मानो ऐसा लगता है कि कोई लेना-देना ही ना हो।

कमेटी से ही जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि कैंपस के अंतर्गत चार मस्जिदे जिसमे औलिया मजिद,जनानी मस्जिद,जिन्नाती मस्जिद,जामा मस्जिद इन मस्जिदों में भारी भरकम चंदा आता है। पांच दिवसीय उर्फ के दौरान जायरीनों द्वारा दिए जाने वाले चंदे की राशि कई गुना बढ जाती है लेकिन सवाल तो बड़ा है कि इस चंदे का पैसा किसकी जेब मे जाता है।आखिरकार कौन सा नाम और चेहरा है जो इस चंदे के पैसे को डकार कर रहा है।

आखिरकार इन चार मस्जिदों से आने वाले चंदे के पैसे को किस काम मे इस्तेमाल किया जा रहा है। कौन सा कार्य किया जा रहा है। जनता के हित में लग रहा है या कुछ और ही गुल खिलाने की कोशिश है। अकीदत के साथ आने वाले जायरीनों द्वारा मस्जिदों में दिए जाने वाले चंदे के पैसे का लाभ कौन उठा रहा है। दबी जुबानों से चाय और पान की दुकानों पर ऐसे तमाम तीखे सवाल जनता के बीच में गूंज रही हैं यहां तक की खुद कमेटी के अंदर कुछ ऐसे लोग भी है जो यह जानना चाहते हैं कि इतना बड़ा घटिया खेल कौन खेल रहा है।

सवाल तो सबसे बड़ा है आखिर इन चार मस्जिदों के चंदा का पैसा कहां जाता है वो कौन है जो इन मस्जिदों के चंदे के पैसे से मालामाल हो रहा है? कौन डकार रहा है मस्जिदों के चंदे का पैसा? इंतजामिया कमेटी को इस बात का जवाब अवश्य देना चाहिए कि कैंपस के अंदर आने वाले इन चार मस्जिदों का चंदे का पैसा कहां जा रहा है।

किन कार्यों में लग रहा है चंदे के पैसों से किसे लाभ हो रहा है। या फिर इंन्तेजामिया कमेटी को इस बात का डर सता रहा है कि नाम और चेहरा खुल जाने से असलियत बाहर तो नहीं आ जाएगी। जायरीन को जिल्लत भरी जिंदगी से ना गुजरना पड़ता है। मजे कि बात है कि जायरीनों को इस बात का भनक भी नहीं लगता कि अंदर खाने क्या गोलमाल चल रहा है क्योंकि यहां तो बेचारे जायरीन बड़े ही अकीदत के साथ आते हैं किंतु उनकी दुर्दशा पर आंसू बहाने वाला कोई नहीं है।
जायरीन तो बेचारे बाहर से आते हैं उनकी सुनेगा तो कौन सुनेगा? ऐसी अव्यवस्थाओं और दुर्दशाओं के बीच उर्स का मेला संपन्न हो रहा है।

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