विधायक जश्न में मशगूल, बुनकर समाज परेशान

टांडा,अंबेडकरनगर।टांडा विधानसभा क्षेत्र के बुनकर समाज की समस्याएँ लगातार गहराती जा रही हैं। पारंपरिक रोज़गार से जुड़ा यह समाज बिजली की मार से त्रस्त है। एक ओर महंगाई और बाज़ार की मंदी पहले ही बुनकरों के जीवन को कठिन बना रही है, वहीं दूसरी ओर बिजली विभाग की मनमानी उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम कर रही है।बुनकरों का आरोप है कि बिजली विभाग के कर्मचारी बिना किसी ठोस कारण के उनके घरों और कारखानों में घुस जाते हैं। जांच के नाम पर उत्पीड़न किया जाता है और विरोध करने वालों को मुकदमे में फंसा दिया जाता है। कई परिवार ऐसे हैं जो डर-डरकर जी रहे हैं। उनका कहना है कि विभाग द्वारा अचानक छापेमारी की जाती है, मीटर और लाइन की मनमाने ढंग से चेकिंग की जाती है और थोड़ी-सी तकनीकी खामी को भी बिजली चोरी बताकर केस दर्ज करा दिया जाता है।बुनकर समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि बुनाई पहले से ही घाटे का सौदा बनती जा रही है। धागे और रंग की कीमतें बढ़ गई हैं, बाजार में माल की खपत कम हो गई है। ऐसे में बिजली विभाग की इस मनमानी से उनका रोज़गार पूरी तरह चौपट होने की कगार पर है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह उत्पीड़न नहीं रुका तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।इन सब हालातों के बीच टांडा के विधायक जी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक ज्यादातर समय लखनऊ में बिताते हैं। विधानसभा क्षेत्र में भी उनकी सक्रियता केवल जश्न, समारोह और पार्टियों तक सीमित रहती है। क्षेत्र की सबसे बड़ी आबादी बुनकर समाज है, लेकिन उनकी समस्याओं का हाल-चाल लेने विधायक शायद ही कभी उनके घर पहुंचे हों। बुनकरों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि उनका प्रतिनिधि उनके हक की लड़ाई लड़ेगा, लेकिन अब निराशा बढ़ती जा रही है। क्षेत्र में चर्चा है कि अगर विधायक जी ने समय रहते बुनकर समाज की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले चुनाव में इसका राजनीतिक असर भी साफ दिखाई देगा।