मखदूम बाबा के मजार पर ठीका पट्टी का खेल कौन कराता है श्रद्धालुओं से क्यों होती है छीना झपटी

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ऊपर से लेकर नीचे तक तीन चौखट पर तीन पेटियां आखिर क्यों?
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जायरीनो द्वारा तीनों दान पेटियों में दिया जाता है दान आखिर पैसा जाता है कहां
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एक साल के लिए करोड़ों रुपए का होता है ठीका पट्टी- सूत्र
टांडा अंबेडकर नगर। ठीका पट्टी, चंदा की वसूली, जायरीनों के साथ छीना झपटी और करोडो का ठेका को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है दरगाह किछौछा की पवित्र स्थली। बताते चले कि नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा में स्थित सै.हजरत मखदूम अशरफ बाबा की पवित्र स्थली जहां पर देश के कोने-कोने से और विदेश से भी जायरीनों का आगमन होता है और जायरीन बड़े ही अकीकत के साथ बाबा की पवित्र दर पर जियारत के लिए आते हैं। अपनी मनोकामना और रूहानी इलाज की शिफा पाने के लिए बाबा के चौखट पर माथा पर आते हैं।
सूत्र बताते हैं कि जायरीनों के साथ यहां पर जो व्यवहार होता है ।वह किसी से छुपा नहीं है ।जग जाहिर है। जायरीन बाबा के जियारत के लिए जब जाता है तो चादर भी चढ़ता है। दान पेटी में दान भी डालता है ।लेकिन जैसे ही सीढ़ी पर पहला कदम रखता है उससे पहले ही सारा खेल शुरू हो जाता है। आने वाले हर जायरीन को इन तीन चौखट से गुजरना पड़ता है ।पहला चौखट जहां पर बिकने वाला चिराग दूसरा चौखट , तीसरा चौखट दान पेटी का अब इन तीनों चौखट पर दान पेटियां रख्खी हुई है।आखिरकार क्यों और किसके संरक्षण में रखी गई है ।जिसे खजाना कहा जाता है।
बहुत ही विचित्र और हैरानी की बात है ।कि इन तीनों चौखट पर रखे जाने वाले दान पेटियों का सहित अन्य जगहों का ठेकाएक साल के लिए करोड़ों रुपए का होता है। और इन तीन चौखट सहित और भी चीज ठेके में शामिल है और इसी ठेके के नाते जायरिनों से छीना झपटी होती है। हर ठेकेदार 20 गुना पैसा वसूलने के चक्कर में पैसे की छीना झपटी जायरीनों से करता है। जो पूरे देश में मशहूर है। बताया जाता है कि यह ठीका एक साल का होता है ।और करोड़ों रुपए का टीका बताया जाता है ।
अब सवाल है कि इस ठीका पट्टी को कराता कौन है। और ठीका पट्टी किए गए तीनों दान पेटियों अर्थात खजाने का पैसा किसके पास जाता है। इस पैसे का क्या होता है ।कौन सा निराला खेल चलता है या कौन सा ऐसा कार्य होता है। जो समाज हित में देश हित में जायरिनों के हित में हो रहा है। इसका कुछ अता-पता आज तक किसी को नहीं है सवाल है कि तीनों दान पेटियों सहित अन्य जगहों का ठीका पट्टी करने वाला वह शख्स कौन है?
ठीका पट्टियों का पैसा किसके पास जाता है इस पैसे का क्या होता है जबकि यह पैसा बाबा के मजार पर जियारत करने के लिए आए हुए जायरिनों का पैसा होता है आखिर यह खेल कब से हो रहा है और कौन करवा रहा है। और कब तक या खेल अभी चलने वाला है?
सवाल बहुत बड़ा और बहुत गंभीर भी है ।इंतजामियां कमेटी क्या कर रही है ।
किसी को कुछ पता नहीं है इंतजामिया कमेटी को होने वाले हर साल के ठीका पट्टी के बारे में जानकारी देनी चाहिए जो जनता के हित में है। और जनता को उसकी जानकारी होनी चाहिए और बताना चाहिए कि दान पेटियों को क्यों रखा जाता है ।और इस दान पेटियों का पैसा कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कहां होता है इन तीनों दान पेटियों के पैसे से किसको लाभ पहुंच रहा है।