NR मंडल: करोड़ों के घोटाले में लेखा विभाग के ईमानदार अधिकारी व कर्मचारी हो रहे डिप्रेशन का शिकार

दर्जनों सेवा पुस्तिकाएं दफ्तर से गायब, मामले में रिकवरी के आदेश रद्दी टोकरी में
लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में एक ऐसा सनसनीखेज खुलासा हुआ है जिसमें करोड़ों रुपए का घोटाला होने का अंदेशा है और मामला कागजों में दफन हो चुका है,लेखा विभाग के ईमानदार तपके के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को डिप्रेशन का शिकार बनना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो लखनऊ मंडल के दर्जनों रिटायर अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा आम जनमानस में लखनऊ मंडल को एनसीआर जोन प्रयागराज में जोड़ने की मांग उठी। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ मंडल के लेखा विभाग में एक शोषित यूनियन,जो कथित तौर पर एक ही परिवार द्बारा पोषित है, कर्मचारियों पर तानाशाही और शोषणकारी दबाव डाल रही है।कर्मचारियों को जबरन यूनियन की गतिविधियों में शामिल होने और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने शक्ति प्रदर्शन के लिए मजबूर किया जाता है।यह स्थिति आजादी के 75 वर्ष बाद भी सामंतवादी सोच को दर्शाती है,जो प्रधानमंत्री के “सबका साथ,सबका विकास” के सिद्धांत के विपरीत है। तथाकथित यूनियन द्वारा दंड स्थानान्तरण का भय दिखाकर मानसिक उत्पीड़न और कथित वसूली की प्रथा कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ती है ।यह व्यवहार कार्यस्थल के माहौल को विषाक्त करता है और उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के लेखा विभाग की कार्यक्षमता व पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।ऐसी परिस्थितियों में असुरक्षा और भय पैदा करती है, जिससे उनकी उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। रेलवे प्रशासन को इस परिवार -नियंत्रित शोषित यूनियन के मनमानी पर अंकुश लगाए और सह देना बंद करे। निष्पक्ष एजेंसी से जांच और कठोर नीतियों के माध्यम से कर्मचारियों को सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए।यह सुनिश्चित करना समय की मांग है कि कर्मचारियों का शोषण रुके और रेलवे में न्यायपूर्ण व्यवस्था स्थापित हो।.मिली जानकारी के अनुसार यह घोटाला लगभग दो दशकों से चल रहा है जिसमें बड़े बड़े मगरमच्छ़ों का हाथ शामिल बताया जा रहा है, कुछ का तो अभी तक खुलासा नहीं हुआ है एवं कुछ तथाकथित मुख्य रुप से कुछ चर्चित रेलवे कर्मचारियों के काले कारनामों का काला चिट्ठा उजागर हो गया है जबकि इन सभी केसों में रेलवे मुख्यालय ने रिकवरी का आदेश भी दे चुका है लेकिन भ्रष्टाचारियों के आगे सब मामला रद्दी की टोकरी में दफन हो चुका है।इस घोटालों की फाईल में ऐसे ऐसे कर्मचारी नेताओं का नाम सामने आया है कि जिसको सुनकर हर रेलवे कर्मचारियों से लेकर जनमानस भी सकते में आ चुका है।आखिर कौन हैं इन घोटालों एवं भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी नेता जो कर्मचारियों का मसीहा जाने जाते थे और अब रिटायर हो चुके हैं। लखनऊ मंडल के एक चर्चित नेता जिनका नाम ईमानदारी की श्रेणी में आता है एवं तेजतर्रार नेताओं में गिना जाता है।वीके मिश्रा चर्चित यूनियन का मंडलमंत्री, भूतपूर्व प्लेटफार्म निरीक्षक चारबाग 2003 में रिटायर हो चुके हैं , सेवा पुस्तिका रिटायर मेंट के पहले गायब..मंडल के सबसे तेज़ तर्रार भूतपूर्व एसएसई सीडीओ/ चारबाग राम प्यारे चर्चित यूनियन का मंडल अध्यक्ष रिटायरमेंट 2009 एस एंडटी शाखा के तेजतर्रार मंडल अध्यक्ष चारबाग कमलकिशोर शर्मा ,एसएस ई/सिंगल एवं टेलीकाम विभाग रिटायरमेंट तारीख 2016..रणजीत सिंह भूतपूर्व एस एस ई/डीजलशेड आलमबाग रिटायरमेंट डेट 2014..जिनको अनुचित ग्रेड का लाभ दिया गया एवं कटौती नहीं की गयी।उमेश पराशर यूनियन के चर्चित नेताओं में शुमार विद्युत शाखा चारबाग लखनऊ चारबाग का चर्चित भूतपूर्व सीआईटी, वाणिज्य विभाग केएनएस वर्मा लखनऊ मंडल का सबसे चर्चित चेहरा। नटवरलाल मनीरामवर्मा,सीओएस लोको मैंकेंनिकल विभाग अयोध्या कैंट ,जो 2024 में रिटायर हो चुका है जिसको लगभग एक दर्जन से अधिक आरोपपत्र SF-5 -,SF-11 जैसे आरोपपत्र रेलवे विभाग द्बारा दिया गया है एक रिटायर्ड सीओएस मोटी रकम लेकर सेवापुस्तिका ही गायब कर दिया है। सूत्रों के अनुसार इस तरह से लगभग दर्जनों कर्मचारियों को लेखा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत से खेल खेला गया है,और इसकी भी रिकवरी का आदेश हुआ था लेकिन सर्विस रिकॉर्ड ही गायब हो गया मामला टांय टांय फिस।ये तो वो मामला है जो खुलकर सामने आया है।सुधीर सक्सेना सीओएम डीज़ल शेड आलमबाग चर्चित चेहरा जो लगभग दो तीन वर्ष पहले रिटायर हुए इनकी सेवा पुस्तिका भी हो चुकी गायब, अथवा फेरबदल हुआ है।सूत्रों की मानें तो अभी लगभग डेढ़ दर्जन और सेवा पुस्तिका भ्रष्टाचारियों द्धारा की गयी है गायब जिसका जल्द ही होगा खुलासा!रेलवे के अधिकृत सूत्र ने बताया कि रेलवे बोर्ड का स्पष्ट निर्देश है कि जिस भी कर्मचारी को गलत पदोन्नति,या ग़लत वेतन वृद्धि/गलत एमएसीपी का लाभ जो बाबू अथवा अधिकारी द्बारा दिया गया है तो उसके वेतन से कटौती की जाए।इसका स्पष्ट रूप से रेलवे बोर्ड का आदेश आ चुका है लेकिन लखनऊ मंडल में सारा कानून ताक पर रख दिया गया है। इस तरह से अगर निष्पक्ष एजेंसी से जांच हो तो दर्जनों बाबूओं की पेंशन बंद हो जायेगी और चले जायेंगे जेल।