पौराणिक तमसा नदी के जीर्णोद्धार की मुख्यमंत्री से मांग

अंबेडकरनगर। हिंदू धर्म ग्रंथ में वर्णित पवित्र पौराणिक नदी तमसा के जीर्णोद्वार, अतिक्रमण मुक्त और सदा नीरा सदा क्षीरा बनाए रखने के लिए भाजपा जिला महामंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है।गौरतलब हो कि वर्तमान समय में अति प्राचीन और पौराणिक नदी तमसा अपने अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में भाजपा जिला महामंत्री बाबा राम शब्द यादव ने लिखा है कि हिन्दू धर्म ग्रंथ में पौराणिक नदी तमसा का रामचरित मानस और बाल्मीकि रामायण में वर्णन है।राम चरित मानस के बालकाण्ड में दोहा संख्या 84 और अयोध्याकांड में दोहा संख्या 150 में तमसा नदी का उल्लेख किया गया है। किंतु हिन्दू धर्म शास्त्रों में वर्णित इस पावन नदी पर अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो गया है। वर्तमान समय में बलरामपुर चीनी मिल मिझौड़ा द्वारा छोड़े जा रहे जहरीले पानी से जहां जल काले रंग का होकर दूषित हो गया है। जीव जंतु विलुप्त हो रहे है।इतना ही नहीं इसके घाट तक होटल घर आदि अवैध निर्माण किए जा रहे है जिससे नदी की सीमा घटती चली जा रही है।कस्बा से निकल रहा नाला का दूषित जल इसकी पौराणिक को समाप्त कर रहा है।इस पवित्र नदी को मां सरयू नदी की सहायक नहीं कहा जाता है।इसका संगम श्रवण क्षेत्र में है।यह अति प्राचीन पौराणिक नदी अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ होकर बलिया जनपद के सहालाबाद में गंगा नदी में विलय हो जाती है।इस तमसा नदी का अस्तित्व बचाने के लिए कई बार शिकायती पत्र दिया गया।नदी के 100 मीटर दायरे में अवैध अतिक्रमण को चिन्हित किया गया किन्तु पूरी फाइल गायब कर दी गई।इस पवित्र नदी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इसका जीर्णोद्धार और पुनर्स्थापना जरूरी है।इस नदी तट पर प्रभु भोलेनाथ समेत अन्य कई देवी देवताओं का मंदिर है किंतु नदी सुखी होने के कारण इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। वर्तमान समय में सरयू नदी से जल छोड़कर इसके अस्तित्व को बचाया जा सकता है।