Ayodhya

एसडीएम पेशकार और निजी मुंशी पर धोखाधड़ी मुकदमे को हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, दिए स्थगन आदेश

 

अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील में न्यायिक अधिकारियों का फर्जी हस्ताक्षर से आदेश पारित तथा लॉगिन आईडी का मिस यूज कर आदेश को पोर्टल पर अपलोड के मामले में पूर्व उपजिलाधिकारी की तहरीर पर पेशकार और निजी मुंशी के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में दर्ज मुकदमे पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश पारित कर दिया है। मामला जलालपुर तहसील के हद बरारी मुकदमे से संबंधित है। जलालपुर तहसील के आजनपारा गांव निवासिनी लालदेई पत्नी संहारू ने गांव स्थित एक भूखंड का बैनामा लिया और यह बैनामा शुदा जमीन अदालत के आदेश पर उनके नाम दर्ज हो गई किंतु महिला उक्त जमीन पर कब्जा दखल से वंचित रही। जमीन पर कब्जा दखल प्राप्त करने के लिए महिला ने अधिवक्ता के माध्यम से राजस्व संहिता की धारा 24 हद बरारी का वाद उपजिला मजिस्ट्रेट अदालत में योजित किया। महिला की पत्रावली की जांच करने राजस्व निरीक्षक मौके पर पहुंचे और रिपोर्ट लगाई कि इसकी पैमाईश नहीं की जा सकती। इसके वावजूद तत्कालीन उपजिला मजिस्ट्रेट सदानंद सरोज के हस्ताक्षर से पत्थर नसब का आदेश ही नहीं पारित कर दिया अपितु इसे मुकदमे की साइट पर अपलोड भी कर दिया गया। जब उपजिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर राजस्व निरीक्षक के पत्थर नसब नहीं किया तो महिला ने उपजिला मजिस्ट्रेट समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र भेज आदेश का अनुपालन करने की गुहार लगाई। इसके वावजूद पत्थर नसब नहीं किया गया जिसके कारण महिला ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण लिया। माननीय उच्च न्यायालय ने इसके संबंध में गुरुवार 8 मई को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश जारी किया गया। बुधवार को जब इससे संबंधित पत्रावली देखी गई तो इस फर्जी प्रकरण का खुलासा किया गया। वर्तमान उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल ने जब फोन कर पूर्व में आदेश पारित करने वाले उपजिला मजिस्ट्रेट से फोन पर वार्ता किया और आदेश की कापी वॉट्सएप पर भेजा तो अधिकारी ने हस्ताक्षर को फर्जी करार दिया। उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल ने सदानंद सरोज से संबंधित अन्य फाइलों को पेशकार से मंगाया और उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षर से मिलान कराया तो मामला संदिग्ध प्रतीत हुआ। भीटी से जलालपुर कोतवाली पहुंचे उपजिला मजिस्ट्रेट सदानंद सरोज ने पेशकार शिव पूजन और निजी मुंशी श्याम जी के विरुद्ध फर्जी आदेश बनाकर फर्जी हस्ताक्षर करने तथा आई डी पासवर्ड का गलत इस्तेमाल करने की तहरीर दी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर पेशकार के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दिया। जिसके विरुद्ध पेशकार ने माननीय उच्च न्यायालय में वाद दायर किया और अधिवक्ता के माध्यम से बताया कि आदेश पर हस्ताक्षर उपजिला मजिस्ट्रेट का ही है इसमें कुछ फर्जी नहीं है। सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय ने मुकदमे पर स्टे दे दिया।कोतवाल संतोष कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की है।

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