टोल फ्री 1912 उपभोक्ताओं के लिए छलावा,बगैर जांच के अधिकारी कर रहे शिकायतों का निस्तारण

अम्बेडकरनगर। सरकार के आदेश पर उपभोक्ताओं शिकायतकर्ताओं के समस्याओं को गुणवत्ता परक निस्तारण के लिए जारी किया गया टोलफ्री नंबर छलावा साबित हो रहा है। टोलफ्री नंबरों पर की जा रही शिकायतों की बगैर स्थलीय जांच और समस्याओं का निस्तारण किए ही फर्जी तौर पर महज 12 से 24 घंटे के अंदर निस्तारित किया जा रहा है। महज कुछ घंटे के अंदर फर्जी निस्तारण देख जहां उपभोक्ता हैरान और परेशान है वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साख पर बट्टा लग रहा है। मामला मध्यांचल विद्युत वितरण ( बिजली विभाग) से जुड़ा है। गौरतलब हो कि सरकार के आदेश पर मध्यांचल विद्युत वितरण विभाग ने उपभोक्ताओं को अपनी समस्या बताने के लिए टोलफ्री नंबर 1912 जारी किया। इस नंबर पर शिकायत दर्ज कराने से पहले उपभोक्ताओं को अपना कनेक्शन नंबर बकाया बिल समेत अन्य जानकारी देने पर शिकायत दर्ज की जाती है। शिकायत दर्ज करने के कुछ ही देर में एक संदेश आता है जिसमें शिकायत नंबर लिखा होता है। शिकायत दर्ज कराने के 12 से 24 घंटे के अंदर ही शिकायत के निस्तारण का संदेश आता है। जबकि इस शिकायत की जांच कोई करता ही नहीं है। एक ऐसा ही मामला जलालपुर खंड से जुड़े नेवादा उपकेन्द्र से जुड़े बेरमा गांव का है। सेवानिवृत्त शिक्षक हरिनाथ गुप्ता अपने बिजली का बिल प्रति माह जमा करते है। फरवरी माह में इनके घर मीटर रीडर पहुंचा ही नहीं इसके बावजूद उसका चार से पांच गुना बिल भेज दिया गया।बिल का संदेश प्राप्त होने के बाद शिक्षक ने इसकी टेलीफोनिक शिकायत एसडीओ नेवादा और अधिशाषी अभियंता जलालपुर से की। शिकायत के बाद शिक्षक को बताया गया कि यह अनुमानित बिल भेजी गई है। एक दिन बाद मीटर रीडर का फोन आया उसने बताया कि बिल बगैर रीडिंग के भेज दी गई है इसे अगले माह दुरुस्त कर दी जाएगी। शिक्षक ने इस मामले की शिकायत तीन बार टोलफ्री नंबर 1912 पर दर्ज कराई। इधर शाम को शिकायत दर्ज कराई गई। कुछ देर में दर्ज शिकायत का नंबर आए और दूसरे दिन 10 बजे से पहले ही शिकायत के निस्तारण का संदेश प्राप्त हो गया। अब सवाल यह है कि सरकार द्वारा समस्याओं के निस्तारण के लिए जारी टोलफ्री नंबर का मतलब क्या है।
यह बोले अधिशाषी अभियंता जे राम
उक्त के सम्बंध में अधिशाषी अभियंता जे राम ने बताया कि टोलफ्री नंबरों पर प्राप्त शिकायतों की जांच के बाद गुणवत्ता परक निस्तारण किया जाता है। कभी कभी बिल ऑटो जनरेट हो जाती है। यदि दर्ज शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही बरती जा रही है कार्यवाही की जाएगी।