उर्दू अनुवादक से भीटी तहसीलदार के पेशकार बने रामबली को लेकर उठ रहे सवाल

अम्बेडकरनगर। भीटी तहसीलदार के पेशकार रामबली जिनकी नियुक्ति उर्दू अनुवादक के पद पर हुई थी किन्तु उससे इतर उनके द्वारा किये जा रहे कार्य को लेकर स्थानीय लोगों ने तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं । ऐसी दशा में उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच को लेकर भी चर्चा का विषय बना है। जानकारी के अनुसार रामबली की नियुक्ति तत्कालीन उर्दू अनुवादक के पद पर हुई थी किन्तु उनके द्वारा जिस पद पर नियुक्ति हुई है वहां दायित्व का निर्वहन नहीं किया जा रहा है। मौके पर उन्हें भीटी तहसीलदार का पेशकार बनाया गया है। इसे लेकर लोगों का कहना है कि यदि रामबली की नियुक्ति उर्दू अनुवादक के पद पर हुई थी तो वहां इनके स्थान पर नियुक्ति के अनुसार कौन दायित्व का निर्वहन कर रहा है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रामबली अपनी चापलूसी के बलबूते अधिकारियों में गहरी पैठ बनाकर नियम विरूद्ध पेशकार बन गये है जिसका मुख्य वजह नाजायज कमाई बताया जा रहा है। लोगों का यह भी कहना है कि जब से रामबली ने पेशकार के पद पर तैनाती पाया है उनके द्वारा वादकारियों से उनके मुकदमें जिताने के लिए अधिकारी के नाम पर मोटी रकम की सौदेबाजी होती आ रही है। ऐसी दशा में उनके द्वारा स्वयं भी नाजायज कमाई आये दिन की जा रही है। लोगों का यह भी कहना है कि कहीं न कहीं रामबली ने जो उर्दू के शैक्षिक प्रमाण हथियाया है उसमें भी संदिग्धता है,जांच कराया जाए तो वास्तविकता सामने आ जायेगी। यही नहीं इन्हे किस शासनादेश के तहत उर्दू अनुवादक होते हुए पेशकार पद की जिम्मेदारी दी गयी है वह भी स्पष्ट हो जायेगा। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि रामबली की सभी करतूतों को अधिकारी जान-बूझकर कमाऊपूत होने के चलते अंजान बने हैं।