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‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाने से लता दी ने जब नेहरू को रूला दिया था, बेहद रोचक है इस गाने के पीछे की कहानी

नई दिल्ली. भारत के राष्ट्रभक्ति गानों में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाने से बढ़कर शायद ही कोई गाना हो. बहुत कम लोगों को पता है कि इस गाने को गाने के लिए पहले स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) तैयार नहीं थीं. बहुत मान-मनौव्वल के बाद ही उन्होने यह गीत गाया था. लता दी पहले यह गीत अपनी छोटी बहन आशा के साथ गाना चाहती थीं लेकिन वह समय पर पहुंच नहीं पाई. बाद में लता मंगेशकर को किसी तरह दिल्ली लाया गया और उन्होंने इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू समेत पूरे देश की आंखों में आंसू ला दिया था. हालांकि तब लता दी को यह पता नहीं था कि यह गाना इतना मशहूर हो जाएगा कि भारत के इतिहास के सबसे मशहूर राष्ट्रभक्ति गीत बन जाएगा.

इस गाना को लिखने से लेकर जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आसूं तक, इसके किस्से बहुत ही दिलचस्प है. दरअसल, 1962 के युद्ध में हम चीन से बुरी तरह हार गए थे. हमारे हजारों सैनिक शहीद हो गए थे. देश के आत्मविश्वास को इससे गहरा सदमा लगा था. उसी समय कवि प्रदीप के मन में आया कि ऐसा कुछ लिखूं जिससे देश का आत्मविश्वास फिर से जाग जाएं. यही से शुरू हुआ इस गीत के जन्म लेने का सिलसिला.

गाने को लिखने की कहानी भी दिलचस्प

कवि प्रदीप की बेटी कि किताब के मुताबिक कवि प्रदीप मुंबई में माहिम समुद्रतट पर टहल रहे थे. तभी उनके दिमाग में एक शब्द कौंधा. उन्होंने अपने साथी से कलम और कागज मांगा और इस कागज पर इसी दिन उस महान गाने का जन्म हो गया जिसने देश में सबको रूला दिया. जब प्रदीप ने इस गाने को गाने के लिए लता मंगेशकर के सामने प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया. इसका कारण था कि उनके पास समय नहीं था जिससे वह इस गाने का रिहर्सल करती. इस गाने को सबसे पहले 1963 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में गाया जाना था. काफी मशक्कत के बाद लता मंगेशकर अकेले इस गीत को गाने के लिए दिल्ली आईं.

गाने से पहले नर्वस थीं लता

इस गाने के कंपोजर सी. रामचंद्र थे. दिल्ली के जिस स्टेडियम में ये समारोह होना था, उसमें राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णनन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी शामिल थीं. इसके अलावा दिलीप कुमार, राज कपूर, मेहबूब खान, शंकर-जयकिशन, मदन मोहन सहित तमाम बड़ी शख्सियतें आमंत्रित थीं. यह आयोजन आर्मी के जवानों के लिए फंड इकट्ठा करने आयोजित किया गया था. इतने बड़े-बड़े लोगों के सामने इस गाने को गाने में लता दी पहले थोड़ा नर्वस थीं. लता दी ने एक बार इंटरव्यू में कहा, ‘छकाछक भरे स्टेडियम में मैंने भजन अल्लाह तेरो नाम और फिर ऐ मेरे वतन के लोगों… गाया मैंने अपनी प्रस्तुति के बाद काफी राहत महसूस की. इसके बाद मैं स्टेज के पीछे गई और मैंने एक कप काफी पी.

और फिर पंडित जी ने बुलाया..

लता दी कहती हैं, मुझे नहीं पता था कि दर्शक इस गीत से बेहद प्रभावित हैं. कुछ देर बाद मेहबूब खान मेरे पास आए और बोले चलो आपको पंडित जी ने बुलाया है. इसके बाद महबूब मुझे उनलोगों के पास लेकर गए और बोले “ये रही हमारी लता. आपको कैसा लगा इसका गाना?” लता दी ने कहा, मैं उस वक्त हैरान हो गईं जब पंडितजी सहित सभी लोगों ने खड़े होकर मेरा अभिवादन किया. उन्होंने मुझसे कहा, ‘बहुत अच्छा मेरी आंखों में पानी आ गया’.

जब मैं मुंबई लौटी तो मुझे इसका कोई अंदाजा नहीं था कि ये गीत इतना लोकप्रिय हो जाएगा. लता कहती हैं, हालांकि कवि प्रदीप ने मुझसे कहा था कि देखना यह गीत इतना लोकप्रिय होगा कि तुम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती. इस समारोह में गाने के बाद इस गाने के मास्टर टेप को विविध भारती के स्टेशन पहुंचाया गया और रिकॉर्ड समय में एचएमवी उसका रिकॉर्ड बनवा बाज़ार में ले आई. देखते देखते ये गाना एक तरह का भारत की आवाज बन गईं.

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